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UTI क्या है? पेशाब में जलन से किडनी इन्फेक्शन तक – महिलाओं में ज्यादा क्यों होता है और इलाज क्या है?

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यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) ज्यादातर E. coli बैक्टीरिया से होता है जो यूरेथ्रा से ब्लैडर और किडनी तक पहुंचता है। महिलाओं में छोटी यूरेथ्रा, एनल एरिया की नज़दीकी, हॉर्मोनल बदलाव और प्रेगनेंसी की वजह से UTI ज्यादा दिखता है। जलन, बार–बार पेशाब, बदबूदार या धुंधला यूरिन, निचले पेट का दर्द जैसे लक्षण पहचानिए, जानिए कौन–से टेस्ट होते हैं, कौन–से ऐंटीबायोटिक दिए जाते हैं और रोजमर्रा की कौन–सी आदतें आपको इस दर्दनाक इंफेक्शन से बचा सकती हैं।

UTI क्या है और शरीर में कहां होता है इंफेक्शन?

यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन यानी UTI मूत्र तंत्र के किसी भी हिस्से – यूरेथ्रा (मूत्रमार्ग), ब्लैडर (मूत्राशय) या किडनी – में होने वाला बैक्टीरियल इंफेक्शन है। ज़्यादातर मामलों में यह E. coli नाम के बैक्टीरिया से होता है, जो आमतौर पर आंतों में harmless रहता है लेकिन गलत दिशा में जाकर मूत्रमार्ग में पहुंच जाए तो बढ़कर इंफेक्शन शुरू कर देता है।

अक्सर इंफेक्शन नीचे से ऊपर की तरफ बढ़ता है – पहले यूरेथ्रा में (urethritis), फिर ब्लैडर में (cystitis), और समय पर इलाज न मिले तो किडनी तक (pyelonephritis) पहुंच सकता है, जो ज्यादा गंभीर स्थिति मानी जाती है।

महिलाएं UTI से ज़्यादा क्यों परेशान होती हैं?

स्टडीज़ साफ दिखाती हैं कि UTI पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कहीं ज्यादा कॉमन है। इसके पीछे मुख्य कारण हैं:

  • महिलाओं की यूरेथ्रा लंबाई में छोटी होती है, इसलिए बैक्टीरिया के लिए बाहर से ब्लैडर तक पहुंचने की दूरी बहुत कम होती है।
  • यूरेथ्रा का मुंह एनल एरिया के ज़्यादा क़रीब होता है, जिससे E. coli जैसे आंतों के बैक्टीरिया आसानी से मूत्रमार्ग तक पहुंच सकते हैं, खासकर अगर साफ–सफाई ठीक न हो।
  • प्रेगनेंसी में हार्मोनल बदलाव और बढ़ता हुआ गर्भाशय यूरिनरी tract पर दबाव डालकर urine stasis (रुक–रुक कर या अधूरा खाली होना) बढ़ा देता है, जिससे बैक्टीरिया को multiply करने का समय मिल जाता है।
  • मेनोपॉज़ के बाद एस्ट्रोज़ेन कम होने से वजाइनल और यूरेथ्रल म्यूकोसा बदल जाता है, protective lactobacilli कम हो जाते हैं, और UTI का खतरा बढ़ जाता है।

इसीलिए गाइडलाइंस में reproductive और postmenopausal age की महिलाओं को UTI high–risk समूह माना जाता है, खासकर अगर पहले से recurrent infections की हिस्ट्री हो।

UTI के आम लक्षण: किन संकेतों को हल्के में न लें

लोअर UTI (ज्यादातर ब्लैडर और यूरेथ्रा) में ये लक्षण आमतौर पर दिखते हैं:

  • पेशाब करते समय जलन, चुभन या तेज़ दर्द (burning micturition)।
  • बार–बार पेशाब की इच्छा, लेकिन हर बार बहुत कम मात्रा में यूरिन निकलना।
  • निचले पेट (लोअर एब्डॉमेन) या पेल्विक एरिया में हल्का या मध्यम दर्द, भारीपन या खिंचाव जैसा एहसास।
  • यूरिन का रंग धुंधला दिखना, या तेज़, अप्रिय बदबू आना।
  • ऐसा लगना कि ब्लैडर पूरी तरह खाली नहीं हुआ, बार–बार “अधूरा” लगना।

अगर इंफेक्शन ऊपर किडनी तक पहुंच जाए, तो:

  • तेज़ बुखार, ठंड लगना।
  • पीठ के एक तरफ या कमर के ऊपर साइड में तीखा दर्द (flank pain)।
  • मितली, उलटी, बहुत ज्यादा थकान जैसे systemic लक्षण भी जुड़ सकते हैं।

ऐसे “upper UTI” या pyelonephritis के केस में तुरंत डॉक्टर के पास जाना जरूरी है, क्योंकि देर होने पर sepsis जैसी जानलेवा जटिलताएं भी हो सकती हैं।

डॉक्टर UTI की पहचान कैसे करते हैं? (टेस्ट्स और जांच)

सामान्य, uncomplicated UTI में ज्यादातर diagnosis history और एक basic urine test से हो जाता है। अक्सर ये जांच की जाती हैं:

  • Urine routine examination: इस टेस्ट में leukocytes (white blood cells), nitrites, bacteria और कभी–कभी red blood cells की मौजूदगी देखी जाती है, जो UTI की तरफ strong संकेत देते हैं।
  • Urine culture and sensitivity: बार–बार होने वाले, जटिल या treatment–resistant UTI में कल्चर करके पता लगाया जाता है कि कौन–सा बैक्टीरिया responsible है और कौन–सी ऐंटीबायोटिक उस पर सबसे effective रहेगी।
  • जटिल केसों में, खासकर पुरुषों, pregnant महिलाओं या kidney involvement के शक में ultrasound या अन्य imaging भी कराई जा सकती है।

इलाज: कब खुद–से दवा न लें और किन बातों का ध्यान रखें

Uncomplicated UTI का standard treatment छोटा–सा antibiotic course होता है, जो डॉक्टर आपकी age, symptoms, pregnancy status और local resistance pattern देखकर चुनते हैं। Self–medication से दो खतरे हैं –

  • incomplete course लेने से बैक्टीरिया पूरी तरह खत्म नहीं होते और resistant बन जाते हैं।
  • गलत antibiotic से असली infection दब तो नहीं पाता लेकिन side–effects हो सकते हैं।

आमतौर पर management में ये बातें शामिल रहती हैं:

  • 3–5 या कभी–कभी 7 दिनों का antibiotic course (जैसे nitrofurantoin, fosfomycin, trimethoprim–sulfamethoxazole आदि, जो guideline–based होते हैं)।
  • दर्द या जलन के लिए analgesics या कभी–कभी urinary analgesic दी जा सकती है, लेकिन ये infection को नहीं, सिर्फ symptoms को कम करती हैं।
  • खूब पानी पीना ताकि यूरिन पतला रहे और बैक्टीरिया को flush करने में मदद मिले।
  • severe या complicated केस (तेज़ बुखार, pregnancy, diabetes, बुज़ुर्ग, पुरुष) में कई बार लंबा कोर्स या hospitalization भी ज़रूरी हो सकता है।

बार–बार UTI हो तो क्या करें? (Recurrent UTI के लिए extra care)

अगर साल में 2–3 से ज्यादा बार UTI हो रहा है, तो इसे recurrent UTI category में रखा जाता है और इसके पीछे की वजहें ढूंढना ज़रूरी हो जाता है। आम कारणों में uncontrolled diabetes, stone, structural problems, post–menopausal changes या sexual activity linked UTI शामिल हो सकते हैं।

ऐसी स्थिति में डॉक्टर:

  • lifestyle और hygiene habits review करते हैं,
  • कुछ cases में low–dose prophylactic antibiotics या सिर्फ sex–associated episodes के लिए single dose सलाह दे सकते हैं,
  • post–menopausal महिलाओं के लिए local vaginal estrogen therapy consider करते हैं,
  • probiotics या cranberry जैसी nonantibiotic strategies भी evidence–based तरीके से जोड़ सकते हैं।

घर पर बचाव के आसान और practically useful तरीके

UTI को पूरी तरह avoid करना हमेशा possible नहीं, लेकिन risk काफी हद तक घटाया जा सकता है अगर ये आदतें बनाई जाएं:

  • दिनभर में पर्याप्त पानी पिएं ताकि हर 3–4 घंटे में comfortably यूरिन आ सके और ब्लैडर में स्टैंडिंग टाइम कम रहे।
  • पेशाब को देर तक न रोकें; लंबे समय तक रोके रखने से बैक्टीरिया multiply करने का ज्यादा मौका पाते हैं।
  • टॉयलेट के बाद हमेशा front to back (आगे से पीछे) wipe करें, खासकर महिलाओं के लिए यह बहुत जरूरी है।
  • sexual activity के बाद जल्द पेशाब कर लें ताकि urethra में आए बैक्टीरिया flushing से बाहर निकल जाएं; चाहें तो बाद में plain पानी से external area gently साफ कर लें (कठोर साबुन या intimate wash से बचें)।
  • रोजाना साफ, सूखा और breathable कॉटन अंडरवियर पहनें, बहुत tight synthetic lingerie या लगातार damp कपड़े (जैसे wet swimsuit) लंबे समय तक न रखें।
  • बहुत ज्यादा सुगंधित feminine products, douches या harsh detergents से intimate area पर irritation न बढ़ाएं, क्योंकि mucosa damage होने पर infection risk बढ़ सकता है।

कुछ स्टडीज़ में probiotics (oral या vaginal) recurrent UTI में लाभदायक दिखे हैं, लेकिन ये सब individual case के हिसाब से specialist से discuss करके ही शुरू करना बेहतर रहता है।

कब तुरंत डॉक्टर के पास जाना जरूरी है?

ये red flags हों तो देर न करें:

  • तेज़ बुखार, ठंड लगना, पीठ/साइड में जोर का दर्द।
  • गर्भावस्था में किसी भी तरह की burning या बार–बार पेशाब के symptoms।
  • पुरुष में UTI के लक्षण, क्योंकि ये अक्सर किसी underlying problem का संकेत हो सकते हैं।
  • शुगर, kidney disease या कमजोर immunity के साथ UTI के signs।
  • बच्चों, बुज़ुर्ग या पहले से heart/kidney problem वालों में confusion, बहुत ज़्यादा weakness या कम urine output।

समय पर इलाज होने पर ज्यादातर UTI कुछ दिनों में पूरी तरह कंट्रोल हो जाते हैं और लम्बे समय का नुकसान नहीं छोड़ते। delay या बार–बार “खुद–से दवा लेने” की आदत future में antibiotic resistance और kidney damage जैसी दिक्कतें बढ़ा सकती है।


FAQs

1. UTI ज़्यादातर किन लोगों को होता है?
UTI सबसे ज्यादा sexually active युवा महिलाओं, pregnant महिलाओं, post–menopausal महिलाओं, diabetes या कम immunity वाले लोगों और जिनको बार–बार पिछला infection हुआ हो, उनमें देखा जाता है।

2. क्या हर बार burning का मतलब UTI ही होता है?
जरूरी नहीं; dehydration, कुछ दवाएं, vaginal infection या skin irritation से भी जलन हो सकती है, इसलिए अगर साथ में बार–बार पेशाब, बदबूदार/धुंधला यूरिन या बुखार भी हो तो UTI की जांच ज़रूरी है।

3. क्या सिर्फ ज्यादा पानी पीकर UTI ठीक हो सकता है?
हल्के, शुरुआती cases में पानी बढ़ाने से कुछ improvement दिख सकता है, लेकिन bacterial infection के लिए आमतौर पर antibiotic की जरूरत होती है, इसलिए doctor की जांच के बिना सिर्फ घर के नुस्खों पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

4. क्रैनबेरी जूस और प्रोबायोटिक्स सच में मदद करते हैं?
कुछ रिसर्च suggest करती है कि बच्चों और महिलाओं में cranberry products या probiotics recurrent UTI का risk थोड़ा कम कर सकते हैं, लेकिन ये antibiotic का विकल्प नहीं हैं और सब पर समान असर नहीं करते; इन्हें supportive strategy की तरह specialist की सलाह से use करना बेहतर है।

5. क्या बार–बार UTI होने का मतलब future में kidney damage ज़रूरी है?
नहीं, अगर हर एपिसोड पर समय पर सही इलाज हो और underlying causes को address किया जाए, तो complications का खतरा काफी कम हो जाता है; neglected या poorly treated इंफेक्शन ही लम्बे समय में किडनी पर असर डाल सकते हैं।

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