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“सिर्फ मुझे नहीं, पूरे देश से माफी”: इंडिगो chief की वायरल फोटो पर क्या बोले एविएशन मिनिस्टर

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Not FDTL, But IndiGo’s Crew Rostering: How Internal Failures Triggered the December Flight Meltdown
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इंडिगो फ्लाइट संकट पर उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने कहा कि CEO पिटर एल्बर्स का हाथ जोड़ना पूरे देश से माफी थी; सरकार ने क्रू रोस्टरिंग की “ग्रोस मिसमैनेजमेंट” के लिए एयरलाइन के उड़ान ऑपरेशन 10% घटाने का आदेश दिया है।

फ्लाइट्स में हड़कंप, फिर माफी: इंडिगो संकट पर सरकार सख्त, 10% ऑपरेशंस घटाने का आदेश

इंडिगो CEO के folded hands: देश से माफी या सिर्फ औपचारिकता?

देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन इंडिगो हाल के दिनों में भारी अव्यवस्था और कैंसिल हुई फ्लाइट्स को लेकर लगातार सुर्खियों में रही। इसी बीच इंडिगो के CEO पिटर एल्बर्स की एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें वे दिल्ली में नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू के सामने हाथ जोड़कर बैठे दिख रहे थे, और सोशल मीडिया पर इसे लेकर तरह‑तरह की व्याख्याएं होने लगीं। अब खुद उड्डयन मंत्री ने साफ किया है कि एल्बर्स का यह इशारा सिर्फ मंत्री के लिए नहीं, बल्कि उन सभी भारतीय यात्रियों के लिए माफी का प्रतीक था जिन्हें इस संकट के दौरान असुविधा झेलनी पड़ी।

नायडू ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि CEO ने हाथ जोड़कर पूरे देश से क्षमा मांगी, क्योंकि लाखों यात्रियों को कैंसिल और डिले फ्लाइट्स की वजह से घंटों एयरपोर्ट पर फंसा रहना पड़ा। उनके मुताबिक, मंत्रालय ने इंडिगो प्रबंधन से सख्त सवाल पूछे और साफ कर दिया कि इतनी बड़ी कंपनी से इस स्तर की गड़बड़ी स्वीकार्य नहीं है, खासकर तब जब बाकी एयरलाइंस वही नए नियम अपनाकर भी सामान्य रूप से काम कर पा रही थीं।

फ्लाइट संकट: दो हफ्तों तक एयरपोर्ट्स पर अफरातफरी

करीब दो हफ्तों तक दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद समेत देश के कई बड़े एयरपोर्ट्स पर इंडिगो के यात्रियों को लंबी कतारों, देरी और अचानक कैंसिल हुई उड़ानों का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ दिन तो ऐसे रहे जब सैकड़ों फ्लाइट्स की टाइमिंग बुरी तरह बिगड़ गई और कई उड़ानें आखिरी समय पर रद्द करनी पड़ीं, जिससे यात्रियों में भारी नाराजगी देखी गई। सोशल मीडिया पर यात्रियों के वीडियो और शिकायतें वायरल हुईं, जिनमें लोगों ने घंटों तक चेक‑इन काउंटरों पर फंसे रहने, बोर्डिंग गेट बदलने और आखिरी समय पर सूचना मिलने की शिकायत की।

स्थिति इतनी बिगड़ गई कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सीधे दखल देना पड़ा और इंडिगो के CEO को तलब कर पूरे संकट पर विस्तृत प्रेजेंटेशन देने को कहा गया। मंत्रालय और DGCA ने अलग‑अलग बैठकों में एयरलाइन से पूछा कि जब नए Flight Duty Time Limitation (FDTL) नियमों के बारे में छह महीने पहले से जानकारी थी, तब भी क्रू रोस्टरिंग और शेड्यूलिंग में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई।

सरकार का सख्त कदम: इंडिगो को 10% फ्लाइट्स घटाने का आदेश

बैठक के बाद सरकार ने इंडिगो को अस्थायी तौर पर अपनी कुल उड़ान ऑपरेशंस में 10 प्रतिशत कट लगाने का आदेश दिया, ताकि सिस्टम पर दबाव कम हो और ऑपरेशन स्थिर हो सकें। DGCA ने पहले ही एयरलाइन की विंटर शेड्यूल में 5 प्रतिशत तक की कटौती का निर्देश दिया था, खासकर उन सेक्टरों में जहां फ्लाइट फ्रीक्वेंसी बहुत ज्यादा थी, और बाद में मंत्रालय के आदेश के साथ इसे 10 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया।

उड्डयन मंत्री ने कहा कि मंत्रालय का मानना है कि जब तक एयरलाइन आंतरिक रोस्टरिंग और प्लानिंग को सही नहीं कर लेती, तब तक फ्लाइट्स को थोड़ा कम करके ही सिस्टम को स्थिर किया जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस कटौती के बावजूद इंडिगो सभी मौजूदा डेस्टिनेशन पर उड़ानें जारी रखेगी, बस कुल संख्या कुछ समय के लिए घटाई जाएगी ताकि बार‑बार होने वाली कैंसिलेशन और मिसमैनेजमेंट से बचा जा सके।

इंडिगो ने बयान जारी कर कहा कि वह सरकार के निर्देशों का पालन करेगी और लगभग 10 प्रतिशत फ्लाइट्स को अस्थायी रूप से रैशनलाइज़ करते हुए अपने नेटवर्क को स्थिर करने की दिशा में काम करेगी। कंपनी ने यह भी आश्वासन दिया कि वह सभी प्रभावित यात्रियों को रिफंड या रीबुकिंग के विकल्प देगी और आगे ऐसी स्थिति न बने इसके लिए एक्सपर्ट टीम के साथ मिलकर आंतरिक प्रक्रियाओं की समीक्षा कर रही है।

मंत्री का आरोप: “क्राइसिस का कारण सिर्फ इंडिगो की ग्रोस मिसमैनेजमेंट”

के. राम मोहन नायडू ने Agenda AajTak समेत कई मंचों पर साफ शब्दों में कहा कि यह संकट मुख्यतः इंडिगो की “ग्रोस मिसमैनेजमेंट” का नतीजा था, न कि FDTL नियमों की वजह से। उनके अनुसार, DGCA ने नवंबर से लागू नए FDTL मानकों के लिए पहले से एयरलाइंस के साथ लगातार चर्चा की थी और बाकी कंपनियों ने पायलट‑क्रू ड्यूटी टाइम के हिसाब से अपने रोस्टर एडजस्ट भी कर लिए थे।

मंत्री ने आरोप लगाया कि इंडिगो ने अपने इंटरनल क्रू रोस्टरिंग सिस्टम को समय पर अपडेट नहीं किया, जिस कारण कुछ दिन पहले से ही क्रू‑शॉर्टेज की स्थिति बनने लगी और दिसंबर 3 और 4 को इसका “डोमिनो इफेक्ट” दिखा, जब बड़ी संख्या में फ्लाइट्स को कैंसल या देरी करनी पड़ी। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय केवल एयरलाइन की बातों पर भरोसा नहीं कर रहा, बल्कि DGCA के जरिए स्वतंत्र जांच भी करवा रहा है, ताकि यह पता चल सके कि सिस्टम में कहां चूक हुई और भविष्य में ऐसी स्थिति से कैसे बचा जाए।

CNBC‑TV18 की एक रिपोर्ट में नायडू ने बताया कि अभी तक लगभग 5.86 लाख प्रभावित यात्रियों को कुल 569 करोड़ रुपये से अधिक की रकम रिफंड या मुआवजे के रूप में दी गई है, जो इस संकट के पैमाने को दिखाता है। उनके मुताबिक, सरकार इस मामले को एक “उदाहरण” की तरह देख रही है और अगर जरूरत पड़ी तो और कड़े कदम उठाकर बाकी एयरलाइंस को भी संदेश देगी कि पैसेंजर कन्वीनियंस के साथ कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।​

CEO और कंपनी की प्रतिक्रिया: “हालात हमारी अपेक्षा से ज्यादा बिगड़ गए”

इंडिगो के CEO पिटर एल्बर्स ने एक अलग इंटरव्यू में माना कि हालात उनकी उम्मीद से कहीं ज्यादा तेजी से बिगड़ गए और ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए थी। उन्होंने स्वीकार किया कि कंपनी के आंतरिक रोस्टरिंग सिस्टम में आई गड़बड़ी और उससे पैदा हुआ क्रू‑शॉर्टेज मुख्य वजह रहा, जिसे समय रहते पहचानकर ठीक किया जा सकता था।

कंपनी के चेयरमैन और मैनेजमेंट ने बाद में पब्लिक मैसेज जारी कर यात्रियों से माफी मांगी और भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने, इसके लिए बाहरी विशेषज्ञों के साथ मिलकर प्रॉसेस रिव्यू और टेक्निकल अपग्रेड किए जाएंगे। एयरलाइन ने यह भी कहा कि वह मंत्रालय तथा DGCA के साथ सहयोग करते हुए सभी दिशानिर्देशों का पालन करेगी, जिसमें फेयर कैपिंग, समय पर जानकारी देना और रिफंड प्रोसेस को तेज करना शामिल है।​​

क्या सीख मिली यात्रियों और एयरलाइन सेक्टर को?

यह इंडिगो संकट दिखाता है कि एक भी बड़ी एयरलाइन की आंतरिक प्लानिंग में चूक पूरे देश के एविएशन सिस्टम को कैसे हिला सकती है, खासकर तब जब उसकी मार्केट शेयर लगभग 65 प्रतिशत हो और रोज 2,300 से ज्यादा फ्लाइट्स ऑपरेट कर रही हो। विशेषज्ञों का मानना है कि FDTL जैसे सेफ्टी‑फोकस्ड नियमों को लेकर एयरलाइंस को समय रहते टेक्नोलॉजी और स्टाफिंग में निवेश करना होगा, वरना छोटे‑से सॉफ्टवेयर या रोस्टरिंग ग्लिच से भी यात्रियों पर बड़ा असर पड़ सकता है।

यात्रियों के लिए भी यह अनुभव याद दिलाता है कि ट्रैवल प्लान बनाते समय बैक‑अप विकल्प, पर्याप्त बफर टाइम और बीमा जैसे उपाय मददगार हो सकते हैं, खासकर पीक ट्रैवल सीजन में। सरकार के लिए यह केस रेगुलेशन और मॉनिटरिंग को और मजबूत करने का संकेत है, ताकि भविष्य में किसी भी एयरलाइन की “ग्रोस मिसमैनेजमेंट” पूरे सिस्टम को ठप न कर सके।

5 FAQs (Hindi)

  1. इंडिगो CEO के हाथ जोड़ने वाली तस्वीर का क्या मतलब बताया गया?
    उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने कहा कि पिटर एल्बर्स का हाथ जोड़कर बैठना सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि उन सभी यात्रियों और देश के लोगों से माफी का प्रतीक था, जिन्हें फ्लाइट संकट के दौरान दिक्कत हुई।
  2. सरकार ने इंडिगो के खिलाफ कौन‑सा बड़ा कदम उठाया?
    नागरिक उड्डयन मंत्रालय और DGCA ने मिलकर इंडिगो को अपनी कुल उड़ान ऑपरेशंस में लगभग 10 प्रतिशत की अस्थायी कटौती करने का आदेश दिया, ताकि सिस्टम स्थिर हो सके और कैंसिलेशन की चेन टूटे।
  3. फ्लाइट संकट की मुख्य वजह क्या बताई गई?
    मंत्री के अनुसार, यह संकट FDTL नियमों की वजह से नहीं, बल्कि इंडिगो की इंटरनल क्रू रोस्टरिंग और प्लानिंग में “ग्रोस मिसमैनेजमेंट” के कारण हुआ, जिसे समय रहते ठीक किया जा सकता था।
  4. यात्रियों को कितना नुकसान हुआ और क्या मुआवजा मिला?
    सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक लगभग 5.86 लाख यात्रियों को कुल 569 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि रिफंड या मुआवजे के रूप में दी गई, जो कैंसिल और डिले फ्लाइट्स के पैमाने को दिखाता है।​
  5. इंडिगो ने आगे क्या आश्वासन दिया है?
    एयरलाइन ने सरकार के 10 प्रतिशत फ्लाइट कट आदेश का पालन करने, सभी प्रभावित यात्रियों को रिफंड/रीबुकिंग विकल्प देने और बाहरी विशेषज्ञों की मदद से अपने रोस्टरिंग व ऑपरेशंस सिस्टम की समीक्षा कर भविष्य में ऐसी स्थिति न आने देने का भरोसा दिया है।
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