अश्विनी वैष्णव के अनुसार FY25 में कोयला आयात कुल खपत के सिर्फ 19.2% पर आ गया, जो पिछले दशक का सबसे निचला स्तर है। 7.9% आयात गिरावट से लगभग 60,700 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत हुई और भारत ने पहली बार 1.048 बिलियन टन घरेलू कोयला उत्पादन का नया रिकॉर्ड बनाया।
1 बिलियन टन घरेलू कोयला उत्पादन: आयात घटने से भारत को भारी विदेशी मुद्रा लाभ
भारत में कोयला आयात घटा, फॉरेक्स में 60,000 करोड़ से ज्यादा की बचत: अश्विनी वैष्णव का बयान
देश की ऊर्जा सुरक्षा और विदेशी मुद्रा बचत के मोर्चे पर केंद्र सरकार ने कोयला क्षेत्र में बड़ा दावा किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की कुल कोयला खपत के मुकाबले आयातित कोयले की हिस्सेदारी लगातार घटकर 19.2 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो पिछले एक दशक की समीक्षा अवधि में सबसे निचला स्तर है। मंत्री के अनुसार, सिर्फ FY25 में ही कोयला आयात में 7.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई, जिससे देश को लगभग 60,700 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। सरकार का दावा है कि यह बदलाव घरेलू उत्पादन बढ़ाने, कोल लिंकज नीतियों में सुधार और आयात पर निर्भरता कम करने वाली रणनीतियों का संयुक्त परिणाम है।
अश्विनी वैष्णव ने आंकड़ों के साथ बताया कि भारत ने 2024-25 में पहली बार एक वित्त वर्ष में 1 बिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन का रिकॉर्ड बनाया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, FY25 में कुल घरेलू कोयला उत्पादन लगभग 1.048 बिलियन टन रहा, जो पिछले वर्षों की तुलना में स्पष्ट बढ़त को दिखाता है। इसी अवधि में कुल कोयला आयात 243.62 मिलियन टन के आसपास रहा, जबकि 2023-24 में यह 264.53 मिलियन टन था, यानी साल दर साल लगभग 20.9 मिलियन टन आयात में कमी आई। कोयला मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के अनुमानों के अनुसार, इस गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा में 6.9 अरब डॉलर यानी लगभग 53,000–60,000 करोड़ रुपये के बराबर बचत हुई, जो बाहरी भुगतान दबाव कम करने में सहायक है।
मंत्री ने अपने प्रेजेंटेशन में एक ग्राफ भी साझा किया, जिसमें FY15 से FY25 तक कोयला आयात की हिस्सेदारी के ट्रेंड को दिखाया गया। इसके अनुसार, 2014-15 में कुल खपत में आयातित कोयले की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत थी, जो 2015-16 में 24.4 और 2016-17 में 22.8 प्रतिशत तक घटी, लेकिन 2018-19 के आसपास यह फिर से 24–26 प्रतिशत की रेंज में चली गई और FY20 में दोबारा 26 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई। कोविड के बाद के वर्षों में घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात घटाने पर फोकस के साथ FY21 में यह शेयर 23.8 प्रतिशत, FY22 में 20.3 प्रतिशत तक गिरा, हालांकि FY23 और FY24 में यह हल्के उतार‑चढ़ाव के साथ 21.3 और 21.2 प्रतिशत पर रहा। अब FY25 में यह हिस्सा घटकर 19.2 प्रतिशत पर आ जाना, सरकार के मुताबिक, “ऐतिहासिक बदलाव” माना जा रहा है।
रेलवे और कोयला क्षेत्र की साझेदारी को भी इस बदलाव का अहम कारक बताया गया। अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि पिछले साल 823 मिलियन टन से ज्यादा कोयला रेलवे के जरिए ढोया गया, जिससे घरेलू कोयले की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित हुई और आयातित कोयले की जरूरत तुलनात्मक रूप से कम हुई। उन्होंने यह भी कहा कि देश के कई विद्युत संयंत्रों पर इस समय कोयले का स्टॉक रिकॉर्ड ऊंचाई पर है, जो पीक डिमांड के समय बिजली आपूर्ति को अधिक स्थिर बनाए रखने में मदद करेगा। इस बीच, कोयला आधारित बिजली उत्पादन में 3 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज होने के बावजूद, थर्मल पावर प्लांट्स द्वारा ब्लेंडिंग के लिए आयातित कोयले का उपयोग 40 प्रतिशत से ज्यादा घटा है, जो आयात प्रतिस्थापन की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत माना गया।
सरकार ने हाल ही में ‘CoalSETU’ नाम की नई नीति को भी मंजूरी दी है, जिसका पूरा नाम Policy for Auction of Coal Linkage for Seamless, Efficient & Transparent Utilisation है। इस नीति के तहत नॉन‑रेगुलेटेड सेक्टर के लिए 2016 की पुरानी लिंकज नीति में एक नया विंडो जोड़ा जाएगा, जिससे किसी भी घरेलू औद्योगिक खरीदार को लंबी अवधि के लिए कोयला लिंकज ऑक्शन में भाग लेने का मौका मिलेगा। नीति का उद्देश्य कोयले की आपूर्ति को ज्यादा पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और कुशल बनाना है, ताकि जरूरी उद्योगों को घरेलू कोयला समय पर और स्थिर कीमतों पर मिल सके; हालांकि इस विंडो के तहत कोकिंग कोयला ऑफर नहीं किया जाएगा। कोयला मंत्रालय पहले से कमर्शियल कोल माइनिंग, मिशन कोकिंग कोल और कोल लॉजिस्टिक प्लान जैसी पहलों के जरिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आपूर्ति तंत्र मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि कोयला आयात घटने से भारत के चालू खाते पर दबाव कुछ हद तक कम होगा, लेकिन साथ ही यह भी ज़रूरी है कि घरेलू खनन और उपयोग में पर्यावरणीय मानकों और क्लीन टेक्नोलॉजी पर पर्याप्त ध्यान दिया जाए। सरकार की दीर्घकालिक योजना में एक तरफ जहां 2029-30 तक घरेलू कोयला उत्पादन को लगभग 1.5 बिलियन टन तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है, वहीं दूसरी ओर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता तेजी से बढ़ाकर कोयले पर कुल निर्भरता धीरे‑धीरे घटाने की दिशा में भी काम हो रहा है। वर्तमान परिदृश्य में, आयात घटाना, घरेलू उत्पादन मजबूत करना और फॉरेक्स बचत बढ़ाना “विकसित भारत” के ऊर्जा रोडमैप का अहम हिस्सा बताया जा रहा है।
FAQs (Hindi)
- FY25 में भारत में कोयला आयात में कितनी कमी दर्ज हुई?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में कोयला आयात में लगभग 7.9 प्रतिशत की गिरावट आई और आयात 264.53 मिलियन टन से घटकर करीब 243.62 मिलियन टन पर आ गया। - कुल खपत के मुकाबले कोयला आयात का हिस्सा अब कितना रह गया है?
FY25 में कोयला आयात का हिस्सा कुल खपत का लगभग 19.2 प्रतिशत रहा, जो FY15–FY25 की अवधि में सबसे निचला स्तर है। - कोयला आयात घटने से विदेशी मुद्रा में कितनी बचत हुई?
अश्विनी वैष्णव और कोयला मंत्रालय के अनुसार, 2024-25 में आयात घटने से लगभग 60,700 करोड़ रुपये के बराबर विदेशी मुद्रा की बचत हुई, जो करीब 6.9 अरब डॉलर के आसपास है। - FY25 में भारत का कुल घरेलू कोयला उत्पादन कितना रहा?
भारत ने 2024-25 में पहली बार एक वित्त वर्ष में 1 बिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन किया और कुल उत्पादन लगभग 1.048 बिलियन टन दर्ज किया गया। - CoalSETU नीति क्या है और इसका लक्ष्य क्या है?
CoalSETU एक नई नीति है जिसके तहत नॉन‑रेगुलेटेड सेक्टर के लिए कोयला लिंकज की नीलामी लंबे समय के लिए एक अलग विंडो के माध्यम से की जाएगी, ताकि घरेलू कोयले का कुशल और पारदर्शी उपयोग हो सके और आयात पर निर्भरता और कम हो।
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