TTD Board ने मुंबई में 14.4 करोड़ के मंदिर, तिरुपति में 48 करोड़ के बच्चों के हार्ट सेंटर, शिक्षा, रोजगार और भक्त सुविधाओं के लिए कई बड़े फैसले मंजूर किए।
TTD Board के नए फैसले क्यों चर्चा में हैं
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ट्रस्ट बोर्ड ने हाल ही में एक अहम मीटिंग में कई ऐसे फैसले लिए हैं, जो सिर्फ धार्मिक दृष्टि से नहीं बल्कि सामाजिक सेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के स्तर पर भी काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। श्री वेंकटेश्वर मंदिर के आधिकारिक संरक्षक के रूप में TTD पहले से ही दुनिया के सबसे समृद्ध हिंदू तीर्थों में गिना जाता है, और अब उसके नए निवेश और योजनाएं भक्तों के अनुभव को अगले स्तर पर ले जाने की तैयारी दिखाती हैं।
TTD क्या है और इसकी भूमिका कितनी बड़ी है
TTD उस ट्रस्ट संस्था का नाम है जो तिरुपति स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर और उससे जुड़े कई मंदिरों, धर्मशालाओं, अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों का प्रबंधन करती है। दान, hundi और अनगिनत भक्तों के सहयोग से TTD के पास बड़े संसाधन हैं, जिनका उपयोग वह सामान्यतः मंदिर प्रशासन के साथ–साथ समाज–कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य और धर्म–प्रचार की गतिविधियों में करती है।
बोर्ड मीटिंग: अध्यक्ष और मुख्य उद्देश्य
ताज़ा बैठक TTD बोर्ड चेयरमैन बीआर नायडू की अध्यक्षता में हुई, जिसमें संस्था की पहुंच बढ़ाने, भक्त सुविधाओं को बेहतर बनाने और कल्याण–सम्बंधी सुविधाओं को अपग्रेड करने जैसे मुख्य उद्देश्यों पर चर्चा हुई। इस मीटिंग में मंदिर परिसर, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, वेतन और प्राचीन धरोहर के संरक्षण से जुड़े कई अहम एजेंडा पर निर्णय लिए गए, जिन्हें आधिकारिक प्रेस रिलीज़ के ज़रिए साझा किया गया।
मुंबई में नया श्रीवारी मंदिर: 14.4 करोड़ का प्रोजेक्ट
बोर्ड ने मुंबई के बांद्रा इलाके में श्रीवारी मंदिर के निर्माण को 14.4 करोड़ रुपये की लागत के साथ मंजूरी दी, जो महानगर में रहने वाले लाखों आस्थावानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। इससे मुंबई और आसपास रहने वाले भक्तों के लिए तिरुपति आए बिना ही श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन, पूजा और संस्कार–सम्बंधी गतिविधियों में हिस्सा लेना आसान हो जाएगा।
मुंबई मंदिर से भक्तों को होने वाले संभावित लाभ
जब लोकल स्तर पर TTD–प्रबंधित मंदिर बनता है तो वहां नियमित पूजा, त्योहार, अन्नदान, प्रसाद वितरण और आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन संभव होता है, जो महानगर जीवन की भागदौड़ के बीच भक्तों को मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक सहारा देता है। इसके साथ ही यह मंदिर दक्षिण भारतीय परंपरा, श्री वैष्णव परंपरा और तिरुपति संस्कृति को मुंबई जैसे कॉस्मोपॉलिटन शहर में और दृढ़ता से स्थापित करेगा।
श्री पद्मावती चिल्ड्रन्स हार्ट सेंटर के लिए 48 करोड़: स्वास्थ्य पर बड़ा निवेश
TTD बोर्ड ने तिरुपति स्थित श्री पद्मावती चिल्ड्रन्स हार्ट सेंटर के लिए 48 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ग्रांट को मंजूरी दी, ताकि वहां अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं विकसित की जा सकें। इस फैसले से बच्चों के हृदय रोगों के उपचार के लिए बेहतर उपकरण, आधुनिक ऑपरेशन थिएटर, ICU सुविधाएं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम को मजबूत करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
भक्त–सेवा से आगे ‘सामाजिक स्वास्थ्य सेवा’ की सोच
जब कोई धार्मिक संस्था बच्चों के हार्ट सेंटर पर इतना बड़ा निवेश करती है, तो यह इस बात का संकेत है कि उसका फोकस केवल धार्मिक आयोजनों तक सीमित नहीं, बल्कि गरीब और जरूरतमंद परिवारों को गुणवत्तापूर्ण इलाज देने पर भी है। ऐसे सेंटर में अक्सर दान पर आधारित या सब्सिडाइज्ड उपचार योजनाएं चलती हैं, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को बड़ी राहत मिलती है।
धार्मिक संस्थाएं और हेल्थकेयर: एक बदलती तस्वीर
भारत में कई बड़े मंदिर ट्रस्ट और धार्मिक संस्थाएं अब अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और विशेष उपचार केंद्र चला रही हैं, जिससे पब्लिक हेल्थ सिस्टम को भी अप्रत्यक्ष सहारा मिलता है। TTD का यह फैसला भी उसी शृंखला की एक मजबूत कड़ी है, जहां आस्था और आधुनिक चिकित्सा एक साथ मिलकर लोगों की जान बचाने और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
100 एकड़ में मंदिर वृक्षों की खेती: ध्वजस्तंभ और रथों के लिए
बोर्ड ने पालामनेरू क्षेत्र में 100 एकड़ भूमि पर उन पेड़ों की खेती करने का निर्णय लिया है, जिनका उपयोग मंदिरों के ध्वजस्तंभ (ध्वजास्थंभ) और रथों के लिए किया जाता है। इससे पवित्र उद्देश्यों के लिए जरूरी लकड़ी अनधिकृत कटाई से नहीं, बल्कि योजनाबद्ध, सतत और नियंत्रित खेती से उपलब्ध होगी, जो पर्यावरणीय दृष्टि से भी सकारात्मक है।
हरित पहल और धार्मिक आवश्यकताओं का संतुलन
धार्मिक आयोजनों में बड़े–बड़े रथ, स्थायी ध्वजस्तंभ और विभिन्न लकड़ी–आधारित संरचनाओं की जरूरत पड़ती है, जिन्हें पारंपरिक रूप से विशेष प्रकार की लकड़ी से बनाया जाता है। अपने ही नियंत्रण में ऐसी खेती शुरू करके TTD न सिर्फ धार्मिक मानकों को कायम रख रहा है, बल्कि जंगलों पर दबाव कम करने और पर्यावरण–अनुकूल समाधान की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है।
31 शैक्षणिक संस्थानों में डिजिटल क्लासरूम और आधुनिक सुविधाएं
TTD बोर्ड ने अपनी 31 शिक्षा संस्थाओं में डिजिटल क्लासरूम, CCTV आधारित निगरानी, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और अतिरिक्त स्टाफ जैसी सुविधाएं बढ़ाने का निर्णय लिया। यह कदम TTD शिक्षा विभाग की सब–कमेटी की रिपोर्ट पर आधारित है, जो दिखाता है कि संस्था अपने छात्रों को आधुनिक, सुरक्षित और टेक–सपोर्टेड लर्निंग वातावरण देना चाहती है।
धार्मिक ट्रस्ट के स्कूलों में ‘एजुकेशन अपग्रेड’ का महत्व
जब मंदिर–प्रबंधित स्कूल और कॉलेज डिजिटल सुविधाओं से लैस होते हैं, तो वहां पढ़ने वाले सामान्य और गरीब घरों के बच्चे भी 21वीं सदी की शिक्षा से जुड़ पाते हैं। CCTV और डिजिटल टूल्स से सुरक्षा, पारदर्शिता और अनुशासन में सुधार होता है, जिससे अभिभावकों का भरोसा भी बढ़ता है।
तिरुपति में 20 एकड़ में इंटीग्रेटेड टाउनशिप की योजना
बोर्ड ने तिरुपति में 20 एकड़ क्षेत्र में एक ‘इंटीग्रेटेड टाउनशिप’ की प्लानिंग के लिए आर्किटेक्ट नियुक्त करने को मंजूरी दी, ताकि भक्तों की सुविधा के लिए व्यवस्थित आवास और अन्य सेवाएं विकसित की जा सकें। ऐसी टाउनशिप में भविष्य में गेस्ट हाउस, भोजनालय, पार्किंग, ट्रांसपोर्ट, हेल्प डेस्क और अन्य सुविधाएं एक ही कॉम्प्लेक्स में मिलने की संभावना रहती है, जो विशेषकर बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए बहुत उपयोगी रहेगा।
कॉटेज डोनेशन पर नई व्यापक नीति की तैयारी
TTD बोर्ड ने कॉटेज डोनेशन (भक्तों द्वारा दी जाने वाली कुटीर/कमरा दान योजना) पर नई व्यापक नीति लाने का निर्णय लिया, ताकि पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित हो सके। नई नीति से उम्मीद है कि दानदाताओं के अधिकार और सुविधाएं स्पष्ट होंगी, साथ ही TTD के लिए इन कॉटेजों के रखरखाव और आवंटन की प्रक्रिया भी व्यवस्थित बनेगी।
महिला डिग्री कॉलेज में हॉस्टल सीटें बढ़ीं
तिरुपति स्थित श्री पद्मावती महिला डिग्री कॉलेज के हॉस्टल में 270 नई सीटें जोड़ने का फैसला किया गया, जिससे कुल क्षमता 2,100 से बढ़ जाएगी। यह कदम खासकर दूरदराज से आने वाली छात्राओं के लिए राहत भरा होगा, जिन्हें सुरक्षित और सस्ती आवास सुविधा की चिंता कम होगी और वे पढ़ाई पर अधिक फोकस कर सकेंगी।
श्रीवारी पोतु (मंदिर किचन) में 18 नए पद
TTD ने राज्य सरकार को श्रीवारी पोतु, यानी मंदिर किचन में 18 नए पोटु सुपरवाइज़र (पचका) पद बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया, जहां प्रतिदिन लाखों प्रसाद और भोजन तैयार होते हैं। अधिक सुपरवाइज़र और प्रशिक्षित किचन स्टाफ से गुणवत्ता नियंत्रण, स्वच्छता, समय पर प्रसाद वितरण और बड़े त्योहारों के दौरान सुचारू प्रबंधन में मदद मिलेगी।
प्राचीन संरचनाओं के संरक्षण के लिए विशेष विभाग
बोर्ड ने तिरुमला की प्राचीन संरचनाओं और धरोहरों के संरक्षण के लिए एक विशेष विभाग बनाने और अनुभवी अधिकारियों की नियुक्ति का फैसला किया। इससे पुराने मंदिर ढांचे, शिलालेख, प्राचीन मंडप और ऐतिहासिक निर्माणों की वैज्ञानिक मरम्मत और सुरक्षित रख–रखाव संभव होगा, जो सांस्कृतिक विरासत के लिए बेहद जरूरी है।
पुजारियों, परिचारकों और प्रसाद कर्मियों की सैलरी में बढ़ोतरी
TTD से संबद्ध मंदिरों में सेवा देने वाले 62 पुजारियों, परिचारकों, पोतु कर्मचारियों और प्रसाद वितरकों के वेतन में वृद्धि का निर्णय भी बोर्ड मीटिंग में लिया गया। वेतन बढ़ने से इन सेवक–वर्ग का मनोबल बढ़ेगा, जो 24×7 भक्त सेवा, पूजा–पाठ, प्रसाद तैयार करने और वितरण जैसे महत्वपूर्ण काम संभालते हैं, पर अक्सर चर्चाओं में पीछे रह जाते हैं।
TTD की समग्र सोच: आस्था, सुविधा और सामाजिक जिम्मेदारी
इन सभी फैसलों को एक साथ देखें तो साफ दिखता है कि TTD की रणनीति केवल मंदिर विस्तार तक सीमित नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, विरासत संरक्षण और भक्त–सुविधाओं पर संतुलित फोकस रखती है। मुंबई मंदिर, हार्ट सेंटर, डिजिटल क्लासरूम, टाउनशिप, हॉस्टल सीटें और वेतन वृद्धि – सब मिलकर यह संदेश देते हैं कि आस्था के साथ–साथ इंसानी गरिमा और सामाजिक जिम्मेदारी भी उनके निर्णयों का बड़ा आधार है।
आगे भक्त क्या उम्मीद कर सकते हैं
जैसे–जैसे ये प्रोजेक्ट जमीन पर उतरेंगे, भक्तों को बेहतर व्यवस्था, साफ–सुथरी सुविधाएं, सुव्यवस्थित आवास और अधिक मानवीय सेवा अनुभव होने की संभावना है। साथ ही, यह मॉडल अन्य मंदिर ट्रस्टों और धार्मिक संस्थाओं के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है कि वे अपने संसाधनों का उपयोग समाज के व्यापक हित में कैसे करें।
FAQs
प्रश्न 1: TTD बोर्ड ने मुंबई में किस प्रकार का मंदिर मंजूर किया और उसकी लागत कितनी है?
उत्तर: बोर्ड ने मुंबई के बांद्रा इलाके में श्रीवारी मंदिर निर्माण को मंजूरी दी है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 14.4 करोड़ रुपये रखी गई है।
प्रश्न 2: श्री पद्मावती चिल्ड्रन्स हार्ट सेंटर को कितनी अतिरिक्त ग्रांट दी गई है?
उत्तर: तिरुपति स्थित इस बच्चों के हृदय केंद्र के लिए TTD बोर्ड ने 48 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ग्रांट को मंजूरी दी है, ताकि अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित की जा सकें।
प्रश्न 3: TTD के तहत कितने शिक्षा संस्थानों में डिजिटल क्लासरूम जैसी सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी?
उत्तर: बोर्ड ने 31 TTD शिक्षा संस्थानों में डिजिटल क्लासरूम, CCTV, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और अतिरिक्त स्टाफ जैसी आधुनिक सुविधाएं बढ़ाने का निर्णय लिया है।
प्रश्न 4: इंटीग्रेटेड टाउनशिप की योजना किस जगह और कितने क्षेत्र में है?
उत्तर: TTD ने तिरुपति में 20 एकड़ क्षेत्र में भक्तों की सुविधा के लिए एक इंटीग्रेटेड टाउनशिप की प्लानिंग हेतु आर्किटेक्ट नियुक्त करने का फैसला किया है।
प्रश्न 5: TTD ने कर्मचारियों और सेवकों से जुड़े कौन–से फैसले लिए हैं?
उत्तर: बोर्ड ने श्रीवारी पोतु में 18 नए पोटु सुपरवाइजर पदों के लिए प्रस्ताव, 62 पुजारियों, परिचारकों, पोतु कर्मियों और प्रसाद वितरकों के वेतन में बढ़ोतरी, और प्राचीन संरचनाओं के संरक्षण के लिए एक विशेष विभाग बनाने का निर्णय लिया है।
- Sri Padmavathi Children’s Heart Centre 48 cr grant
- Sri Venkateswara temple richest shrine
- Tirumala Tirupati Devasthanams news
- TTD board decisions
- TTD cottage donation policy
- TTD devotee facilities
- TTD education institutions digital classrooms
- TTD integrated township Tirupati
- TTD Mumbai temple 14 cr
- TTD Potu Supervisors posts
- TTD salary hike priests
Leave a comment