मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा – ऑस्ट्रेलिया जैसा कानून लाएं जो 16 साल से कम बच्चों को सोशल मीडिया से रोके। PIL में पैरेंटल सुपरविजन को अपर्याप्त बताया। जागरूकता कैंपेन तेज करें।
सोशल मीडिया पर 16 साल की उम्र सीमा: मद्रास HC ने केंद्र को ऑस्ट्रेलिया मॉडल अपनाने को कहा!
मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा सुझाव: 16 साल से कम बच्चों पर सोशल मीडिया बैन का ऑस्ट्रेलिया मॉडल अपनाए केंद्र
25 दिसंबर 2025 को मद्रास हाईकोर्ट ने बच्चों के ऑनलाइन जोखिमों पर चिंता जताई। डिविजन बेंच – जस्टिस जी जयचंद्रन और जेकेके रामकृष्णन – ने एक PIL को क्लोज करते हुए केंद्र से कहा कि ऑस्ट्रेलिया जैसा कानून लाए, जो 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया से रोके। कोर्ट ने कहा, पैरेंटल मॉनिटरिंग अकेले काफी नहीं। डिजिटल दुनिया में सिस्टेमिक प्रोटेक्शन जरूरी।
PIL 2018 में मादुरै के एस विजयकुमार ने फाइल की थी। इसमें कहा गया कि बच्चे आसानी से पॉर्नोग्राफिक कंटेंट तक पहुंच जाते। ISP, चाइल्ड प्रोटेक्शन अथॉरिटी से पैरेंटल कंट्रोल, सेफगार्ड्स की मांग। सीनियर काउंसल ने ऑस्ट्रेलिया लॉ का हवाला दिया। कोर्ट को तर्क में दम लगा। अथॉरिटीज के काउंटर-अफिडेविट से संतुष्टि नहीं – स्टेट्यूटरी ड्यूटीज प्रॉपरली फुलफिल नहीं।
ऑस्ट्रेलिया लॉ: ग्लोबल ट्रेंड
ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में 16 साल से नीचे सोशल मीडिया यूज बैन किया। प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक, इंस्टा, टिकटॉक) को एज वेरिफिकेशन करना होगा। उल्लंघन पर भारी जुर्माना। दुनिया भर में डिबेट तेज – बच्चे-अडोलसेंट्स पर सोशल मीडिया इफेक्ट्स। भारत में वॉलंटरी कोड लेकिन HC सख्त कानून चाहता।
PIL vs कोर्ट निर्देश:
| विशेषता | PIL मांग | HC सुझाव/निर्देश |
|---|---|---|
| मुख्य मुद्दा | हानिकारक डिजिटल कंटेंट | 16< सोशल मीडिया बैन |
| सॉल्यूशन | पैरेंटल कंट्रोल ISP | ऑस्ट्रेलिया जैसा कानून |
| इंटरिम | जागरूकता कैंपेन | तेज करें, वल्नरेबल ग्रुप्स तक |
| जिम्मेदारी | ISP, चाइल्ड अथॉरिटी | केंद्र लेजिस्लेशन |
बच्चों के ऑनलाइन रिस्क्स: आंकड़े
- NCRB: 2024 में 50,000+ साइबर क्राइम्स माइनर्स पर।
- UNICEF: भारत में 44 करोड़ इंटरनेट यूजर्स <18 साल।
- पॉर्न, बुलिंग, ग्रूमिंग कॉमन। पैरेंट्स 70% अनवेयर (IAMAI)।
कोर्ट का इंटरिम ऑर्डर
नए कानून तक अथॉरिटीज जागरूकता कैंपेन तेज करें। सभी मीडिया से वल्नरेबल ग्रुप्स तक मैसेज। प्रोएक्टिव एक्शन लें। कोर्ट ने PIL क्लोज लेकिन मुद्दा खुला रखा।
ग्लोबल परिप्रेक्ष्य: उम्र सीमाएं
| देश | सोशल मीडिया न्यूनतम उम्र |
|---|---|
| ऑस्ट्रेलिया | 16 |
| अमेरिका (COPPA) | 13 |
| यूरोप (GDPR) | 13 |
| भारत | 13 (वॉलंटरी), कोई कानून नहीं |
भारत में मौजूदा सिस्टम
- IT रूल्स 2021: प्लेटफॉर्म्स को पैरेंटल कंट्रोल देना।
- NCPCR गाइडलाइंस लेकिन एनफोर्समेंट वीक।
- MeitY पोर्टल ब्लॉकिंग लेकिन प्रिवेंटिव नहीं। HC चाहता सख्त लेजिस्लेशन।
इंप्लीमेंटेशन चैलेंजेस
- एज वेरिफिकेशन: ID प्रूफ, बायोमेट्रिक्स?
- प्लेटफॉर्म्स पर बोझ: टेक कंपनियां विरोध करेंगी।
- प्राइवेसी vs सेफ्टी बैलेंस।
- ग्रामीण क्षेत्रों में अवेयरनेस।
राजनीतिक- सोशल इम्पैक्ट
केंद्र अगर लाए तो BJP का चाइल्ड सेफ्टी पुश। विपक्ष प्राइवेसी पर सवाल। पैरेंट्स वेलकम करेंगे। स्कूल-EV एजुकेशन बढ़ेगा।
भविष्य की राह
HC सुझाव से IT एक्ट अमैंडमेंट संभव। NCPCR को पावर। ISP मैंडेटरी फिल्टर्स। बच्चे सुरक्षित डिजिटल स्पेस।
5 FAQs
- HC ने केंद्र को क्या सुझाव दिया?
ऑस्ट्रेलिया जैसा कानून – 16< बच्चों को सोशल मीडिया बैन। - PIL किसने फाइल की?
मादुरै के एस विजयकुमार, 2018 में। - इंटरिम क्या निर्देश?
जागरूकता कैंपेन तेज, वल्नरेबल ग्रुप्स तक। - ऑस्ट्रेलिया लॉ में क्या?
16 साल से कम यूज बैन, प्लेटफॉर्म्स जिम्मेदार। - क्यों पैरेंटल कंट्रोल काफी नहीं?
डिजिटल एनवायरनमेंट में सिस्टेमिक प्रोटेक्शन जरूरी।
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