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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है आत्मनिर्भरता

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की विश्वभारती यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की आज जयंती भी है। शिवाजी उत्सव नाम से गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने एक कविता भी लिखी थी। रविंद्र नाथ टैगोर ने एकता का जो संदेश दिया था, उसे कभी भूलना नहीं है। इस विश्वविद्यालय ने भारत की आत्मा को जिंदा रखा है और इसकी पहचान को आगे बढ़ाने का काम किया है।

पीएम मोदी ने कहा कि मेरा आग्रह है कि अगले 25 वर्षों के लिए विश्व भारती के विद्यार्थी मिलकर एक विजन डॉक्यूमेंट बनाएं। वर्ष-2047 में, जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष का समारोह बनाएगा, तब तक विश्व भारती के 25 सबसे बड़े लक्ष्य क्या होंगे, ये इस विजन डॉक्यूमेंट में रखे जा सकते हैं। भारत जो है, जो मानवता, जो आत्मीयता, जो विश्व कल्याण की भावना हमारे रक्त के कण-कण में है, उसका एहसास बाकी देशों को कराने के लिए विश्व भारती को देश की शिक्षा संस्थाओं का नेतृत्व करना चाहिए।

हम इस वर्ष अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। विश्व भारती के प्रत्येक विद्यार्थी की तरफ से देश को सबसे बड़ा उपहार होगा कि भारत की छवि को और निखारने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरुक करें। बंगाल ने अतीत में भारत के समृद्ध ज्ञान-विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश को नेतृत्व दिया। बंगाल, एक भारत, श्रेष्ठ भारत की प्रेरणा स्थली भी रहा है और कर्मस्थली भी रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार Gender Inclusion Fund की भी व्यवस्था की गई है। हाल ही में सरकार ने देश और दुनिया के लाखों Journals की फ्री एक्सेस अपने Scholars को देने का फैसला किया है। इस साल बजट में भी रिसर्च के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से आने वाले 5 साल में 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव रखा है।

पीएम मोदी ने कहा कि विश्व भारती तो अपने आप में ज्ञान का वो उन्मुक्त समंदर है, जिसकी नींव ही अनुभव आधारित शिक्षा के लिए रखी गयी थी। ज्ञान की Creativity की कोई सीमा नहीं होती है, इसी सोच के साथ गुरुदेव ने इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं, बल्कि समाज की, देश की हर एक भावी पीढ़ियों की भी वो धरोहर है। आपका ज्ञान अपकी स्किल एक समाज, एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है।

 

 

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