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Hyderabad Paediatrician की जीत,FSSAI ने मानी बात

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Hyderabad के एक Paediatrician की लड़ाई में बड़ी जीत। FSSAI ने ORS जैसा दिखने वाले शुगरी ड्रिंक्स पर लेबल लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। जानें यह फैसला बच्चों की सेहत के लिए क्यों है अहम।

FSSAI का फैसला: ORS का लेबल लगाने वाली Sugar Drinks पर Ban,Hyderabad Doctor को मिली बड़ी जीत

भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी और सराहनीय जीत हासिल हुई है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक अहम फैसला लेते हुए उन सभी व्यावसायिक शुगर युक्त पेय पदार्थों (Sugary Beverages) पर ‘ORS’ (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) का लेबल लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला हैदराबाद की एक सामाजिक रूप से सक्रिय बाल रोग विशेषज्ञ (Paediatrician) डॉक्टर की लगातार चल रही मुहिम का सीधा नतीजा है, जिन्होंने इस गलत प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई थी।

यह फैसला उपभोक्ताओं, खासकर माता-पिता और बच्चों की सेहत की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आइए विस्तार से समझते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है, क्यों जरूरी था यह प्रतिबंध और इससे आम जनता को क्या फायदा होगा।

क्या था पूरा मामला? एक डॉक्टर की लड़ाई

मामला हैदराबाद की प्रसिद्ध पीडियाट्रिशन डॉ. स्पूर्ति वर्मा का है। उन्होंने देखा कि बाजार में कई कंपनियां अपने शुगर-बेस्ड इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स और एनर्जी ड्रिंक्स को ‘ORS’ या ‘ORS Style’ जैसे नामों और लेबल से बेच रही हैं। यह एक गंभीर समस्या थी क्योंकि आम लोग, खासतौर पर कम पढ़े-लिखे माता-पिता, इन हाई-शुगर ड्रिंक्स को असली ORS समझकर अपने बीमार बच्चों को पिला रहे थे।

डॉ. वर्मा ने इस मुद्दे को उठाया और FSSAI के सामने एक आवेदन दायर किया। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से भी इस जागरूकता को फैलाया और मीडिया का ध्यान इस ओर खींचा। उनका तर्क साफ था: ORS एक स्ट्रिक्ट मेडिकल-ग्रेड फॉर्मूला है, जिसे डायरिया और डिहाइड्रेशन जैसी गंभीर स्थितियों में इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया गया है। इसे किसी शुगरी ड्रिंक के साथ भ्रमित होने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

FSSAI ने क्या फैसला सुनाया?

FSSAI ने डॉ. वर्मा की चिंता को गंभीरता से लिया और एक आदेश जारी किया। इस आदेश के मुताबिक:

  • अब कोई भी फूड बिजनेस ऑपरेटर (FBO) अपने उत्पादों पर “Oral Rehydration Solution” या “ORS” शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकता, जब तक कि वह उत्पाद FSSAI द्वारा तय किए गए मानकों (Food Safety and Standards Regulations, 2017) पर पूरा न उतरता हो।
  • इसका सीधा मतलब यह है कि बाजार में मिलने वाले साधारण इलेक्ट्रोलाइट पाउडर, एनर्जी ड्रिंक्स और कार्बोनेटेड पेय, जिनमें चीनी की मात्रा अधिक होती है, अब ORS का लेबल नहीं लगा सकेंगे।

क्यों जरूरी था यह प्रतिबंध? ORS बनाम शुगरी ड्रिंक्स

आम लोगों के लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि एक रेगुलर ORS और एक कमर्शियल इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक में जमीन-आसमान का फर्क होता है।

  • ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS):
    • उद्देश्य: यह एक मेडिकल उत्पाद है जिसका मकसद डायरिया या उल्टी जैसी स्थितियों में शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को दूर करना है।
    • घटक: इसमें ग्लूकोज और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड) का एक विशिष्ट और संतुलित अनुपात होता है, जो छोटी आंत में पानी के अवशोषण को आसान बनाता है।
    • शुगर: इसमें शुगर की मात्रा बहुत कंट्रोल्ड और सटीक होती है।
    • मान्यता: WHO और UNICEF जैसी वैश्विक स्वास्थ्य संस्थाओं ने इसके फॉर्मूले को मान्यता दी हुई है।
  • कमर्शियल इलेक्ट्रोलाइट/एनर्जी ड्रिंक्स:
    • उद्देश्य: ये मुख्य रूप से एनर्जी बूस्ट करने या स्वाद के लिए बनाए जाते हैं।
    • घटक: इनमें इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ-साथ बहुत अधिक मात्रा में चीनी, कार्बन डाइऑक्साइड, कृत्रिम स्वाद और रंग होते हैं।
    • नुकसान: एक बीमार बच्चे को यह ड्रिंक पिलाने से उसकी स्थिति और बिगड़ सकती है। अधिक शुगर आंतों में और पानी खींच सकती है, जिससे डायरिया बढ़ सकता है। इससे मोटापा, दांतों की सड़न और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

आम जनता और माता-पिता के लिए क्या मायने हैं इस फैसले के?

  1. स्पष्टता और सुरक्षा: अब माता-पिता बाजार में ORS का लेबल देखकर भ्रमित नहीं होंगे। वे आसानी से असली ORS को पहचान सकेंगे, जिससे बच्चों की सेहत को खतरा कम होगा।
  2. जागरूकता बढ़ेगी: यह फैसला लोगों को यह सिखाने का एक मौका है कि ORS एक दवा है, जिसे केवल जरूरत पड़ने पर ही इस्तेमाल करना चाहिए, न कि एक रोजमर्रा का पेय।
  3. उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा: यह फैसला गलत और भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा करता है। कंपनियां अब स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील लोगों को लुभाकर अपने उत्पाद नहीं बेच पाएंगी।
  4. बच्चों का स्वास्थ्य सुरक्षित: यह फैसला सीधे तौर पर बच्चों के स्वास्थ्य को सुरक्षित करता है, जो ऐसे भ्रामक उत्पादों के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं।

एक जिम्मेदार फैसला

FSSAI का यह कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति में एक बड़ी उपलब्धि है। यह दिखाता है कि जब एक जिम्मेदार नागरिक और चिकित्सक अपनी आवाज उठाता है, तो बड़े बदलाव संभव हैं। डॉ. स्पूर्ति वर्मा के प्रयासों ने न सिर्फ एक गलत प्रथा को बंद करवाया है, बल्कि देश भर के लाखों बच्चों को संभावित नुकसान से बचाया है।

अब माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे सजग रहें। बच्चे को डायरिया या उल्टी होने पर हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही असली ORS का इस्तेमाल करें। बाजार में मिलने वाले रंग-बिरंगे और स्वादिष्ट पेय पदार्थों को कभी भी ORS का विकल्प न समझें। यह छोटी सी सावधानी आपके बच्चे के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती है।


FAQs

1. क्या अब बाजार में ORS उपलब्ध नहीं होगा?
ओआरएस पूरी तरह से उपलब्ध रहेगा। यह प्रतिबंध सिर्फ उन उत्पादों पर लगा है जो असली ORS नहीं हैं, लेकिन उसका लेबल लगाकर भ्रामक विज्ञापन कर रहे थे। असली ORS, जैसे WHO फॉर्मूला वाले पैकेट, मेडिकल स्टोर्स पर आसानी से मिल जाएंगे।

2. असली ORS की पहचान कैसे करें?
असली ORS एक मेडिकल उत्पाद है। इसे हमेशा एक केमिस्ट की दुकान (मेडिकल स्टोर) से ही खरीदें। इसके पैकेट पर आमतौर पर “WHO Approved Formula” या “ORS” लिखा होता है और इसमें सोडियम, पोटैशियम, ग्लूकोज आदि की मात्रा स्पष्ट रूप से mentioned होती है। इसका स्वाद हल्का नमकीन होता है।

3. क्या इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स पीना पूरी तरह से गलत है?
नहीं, स्वस्थ व्यक्ति व्यायाम के बाद या गर्मी में पसीना बहाने के बाद इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स ले सकते हैं। लेकिन समस्या तब होती है जब इन्हें एक मेडिकल उत्पाद (ORS) के विकल्प के रूप में पेश किया जाता है। बीमारी की स्थिति में इनका इस्तेमाल नुकसानदायक हो सकता है।

4. घर पर ORS कैसे बनाएं?
WHO का मानक ORS घर पर बनाना मुश्किल है क्योंकि इसमें सामग्री का सही अनुपात जरूरी है। बेहतर है कि पहले से तैयार ORS के पैकेट ही इस्तेमाल करें। आपात स्थिति में, एक लीटर साफ उबले पानी में 6 चम्मच चीनी और आधा चम्मच नमक मिलाकर एक बेसिक सॉल्यूशन बनाया जा सकता है, लेकिन यह उतना प्रभावी नहीं होता।

5. क्या यह प्रतिबंध सभी तरह के पेय पदार्थों पर लागू होगा?
जी हां, यह प्रतिबंध सभी फूड बिजनेस ऑपरेटर्स (FBOs) पर लागू होगा, चाहे वे बड़ी कंपनियां हों या छोटे ब्रांड। कोई भी उत्पाद जो FSSAI के ORS के मानकों पर खरा नहीं उतरता, वह अब इस नाम और लेबल का इस्तेमाल नहीं कर सकता।

6. अगर कोई कंपनी अब भी ORS का लेबल इस्तेमाल करती है तो क्या करें?
अगर आपको बाजार में कोई उत्पाद ORS का गलत लेबल लगाकर बेचता हुआ दिखे, तो आप FSSAI की शिकायत पोर्टल (https://cfportal.fssai.gov.in/) पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इससे उपभोक्ता सजगता बनी रहेगी।

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