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Misleading Real Estate Ads: सेंट्रल गाइडलाइन के बाद अब बिल्डर्स पर शिकंजा

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Real Estate Ads Misleading
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सरकार ने बिल्डर्स और एजेंट्स के भ्रामक Real Estate Ads पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जिनमें सरकारी स्कीम जैसा प्रचार किया जा रहा था। मकान खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए RERA और राज्यों को रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है।

मकान खरीदारों के हित में सरकार सख्त, Misleading Real Estate Ads पर रोक

सरकार ने देशभर में प्रॉपर्टी बाजार में लगातार सामने आ रहे गुमराह करने वाले बिल्डर्स और एजेंट्स के विज्ञापनों पर सख्ती का निर्देश दिया है। हाल ही में केंद्रीय सलाहकार परिषद (CAC) की बैठक में यह मुद्दा उठा, जिसमें पाया गया कि कई बिल्डर्स और एजेंट सरकारी स्कीम जैसी ‘सरकारी शैली’ की भाषा का इस्तेमाल कर प्रोजेक्ट्स को आम उपभोक्ताओं को भ्रमित करने के लिए दिखा रहे हैं।

क्या है मामला?

सरकार को ऐसे विज्ञापनों की रिपोर्ट मिली जिनमें प्रकाशक या प्रमोटर का नाम तक जाहिर नहीं किया गया था। इससे बिल्डर्स जरूरी प्रोजेक्ट जानकारी जाहिर करने की कानूनी बाध्यता से बच रहे हैं। कई बार ऐसे विज्ञापन रियल एस्टेट एजेंट्स द्वारा प्रसारित किए जाते हैं, जो उपभोक्ताओं को धोखा दे सकते हैं।

क्यों जरूरी है कार्रवाई?

Advertising Standards Council of India (ASCI) द्वारा महाराष्ट्र में की गई एक स्टडी में पता चला कि 2,087 प्रॉपर्टी विज्ञापनों में से 1,027 ने राज्य RERA के निर्धारित मानकों का उल्लंघन किया। FPCE (होमबायर्स समूह) ने भी RERA वेबपेज, डेवेलपर वेबसाइट और स्वीकृत योजनाओं के आंकड़ों में अंतर का मुद्दा उठाया है।

सरकार के निर्देश और आगे क्या?

गृह व शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में CAC ने राज्यों और RERA को निर्देश दिए हैं कि ऐसे विज्ञापनों को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करें और खरीदारों की सुरक्षा के लिए समय-समय पर रिपोर्ट जमा करें। FPCE ने बार-बार उपभोक्ता सुरक्षा के लिए कठोर कार्रवाई की मांग की है।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1: बिल्डर्स गुमराह करने वाले विज्ञापन कैसे पेश कर रहे थे?
A: सरकारी स्कीम जैसा प्रचार, प्रमोटर/प्रकाशक का नाम न दिखाना, जरूरी सूचना छिपाना।

Q2: सरकार ने राज्यों और RERA को क्या निर्देश दिया है?
A: ऐसे विज्ञापनों पर तत्काल कार्रवाई के लिए और रिपोर्ट जमा करने के लिए।

Q3: ASCI की स्टडी का क्या निष्कर्ष आया?
A: महाराष्ट्र में 50% से ज्यादा प्रॉपर्टी विज्ञापन RERA मानकों का उल्लंघन करते हैं।

Q4: FPCE ने किस समस्या की ओर ध्यान दिलाया है?
A: RERA वेबपेज, डेवेलपर वेबसाइट और योजनाओं में डेटा का मेल न होना।

Q5: खरीददारों को कैसे सुरक्षित किया जा सकता है?
A: ASCI और RERA द्वारा कड़े नियम लागू करना और कड़ी निगरानी।

Q6: आगे क्या कदम उठाए जाएंगे?
A: राज्य सरकारें और RERA लगातार निगरानी कर ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाएंगी।


यह कदम रियल एस्टेट खरीदारों की सुरक्षा के लिए अहम है, ताकि लोग भ्रामक विज्ञापनों के जाल में न फंसें और पारदर्शी सौदे हो सकें।

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