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शिक्षक गैरहाज़िरी के खिलाफ Allahabad HC की सख्ती

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Allahabad HC ने उत्तर प्रदेश सरकार को शिक्षकों की गैरहाज़िरी रोकने के लिए व्यापक उपायों का प्रस्ताव मांगा है। जानें क्या हैं संभावित समाधान – बायोमेट्रिक सिस्टम, CCTV, और कड़ी निगरानी। शिक्षा के अधिकार पर पड़ रहे प्रभाव की पूरी जानकारी।

शिक्षकों की गैरहाज़िरी:Allahabad HC ने यूपी सरकार को घेरा,मांगे गैरहाज़िरी रोकने के व्यापक उपाय

कल्पना कीजिए एक सरकारी स्कूल की, जहाँ दसवीं कक्षा के छात्र पूरी सुबह स्कूल के बाहर बैठे हैं, क्योंकि उनकी कक्षा का शिक्षक महीनों से नियमित रूप से स्कूल नहीं आ रहा है। यह कोई अलग-थलग घटना नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों के सरकारी स्कूलों की एक कड़वी हकीकत है। शिक्षकों की गैरहाज़िरी (Teacher Absenteeism) भारत की शिक्षा व्यवस्था की एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिससे लाखों बच्चों की पढ़ाई और भविष्य बर्बाद हो रहा है।

इसी गंभीर मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सख्त रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह शिक्षकों की गैरहाज़िरी रोकने के लिए व्यापक और प्रभावी उपाय (Comprehensive Measures) पेश करे। हाईकोर्ट ने यह निर्देश एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान दिया है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों की लगातार अनुपस्थिति छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार (Fundamental Right to Education) का सीधा उल्लंघन है।

यह लेख इसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर गहराई से प्रकाश डालेगा। हम जानेंगे कि हाईकोर्ट ने exactly क्या कहा, शिक्षक गैरहाज़िरी के पीछे क्या कारण हैं, इससे बच्चों की पढ़ाई पर क्या बुरा असर पड़ रहा है, और कौन से ठोस उपाय इस समस्या का समाधान हो सकते हैं।

मामला क्या है? Allahabad HC का हस्तक्षेप

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के बेसिक शिक्षा विभाग (Basic Education Department) को नोटिस जारी किया और उनसे जवाब मांगा। मुख्य रूप से कोर्ट का ध्यान प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की बड़े पैमाने पर अनुपस्थिति की ओर गया है।

हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि “शिक्षकों की नियमित अनुपस्थिति शिक्षा की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करती है और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ शिकायतें दर्ज करना ही काफी नहीं है, बल्कि एक रोकथाम तंत्र (Preventive Mechanism) विकसित करना जरूरी है।

हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से निम्नलिखित बिंदुओं पर एक व्यापक योजना (Comprehensive Plan) पेश करने को कहा है:

  • शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी उपाय (Technological Solutions)।
  • गैरहाज़िर शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाने वाली प्रक्रिया।
  • निगरानी तंत्र (Monitoring Mechanism) को मजबूत बनाने के उपाय।
  • शिक्षकों को नियमित रूप से स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना।

शिक्षक गैरहाज़िरी: एक राष्ट्रीय समस्या

यह समस्या सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है। विश्व बैंक और भारत सरकार के कई अध्ययनों में पाया गया है कि भारत के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की गैरहाज़िरी की दर 20% से 25% के बीच है। इसका मतलब है कि हर चार में से एक शिक्षक किसी भी दिन स्कूल में मौजूद नहीं होता। कुछ दूरदराज के इलाकों में यह आंकड़ा और भी ज्यादा चौंकाने वाला है।

शिक्षक गैरहाज़िरी के प्रमुख कारण

इस गंभीर समस्या की जड़ें काफी गहरी हैं और इसके कई कारण हैं:

  • कमजोर निगरानी तंत्र: अक्सर स्कूलों की निगरानी करने वाले अधिकारी (जैसे ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) नियमित रूप से स्कूलों का दौरा नहीं करते। जब निगरानी ही नहीं है, तो जवाबदेही (Accountability) तो बन ही नहीं सकती।
  • गैर-शैक्षणिक कार्यों में उलझाव: शिक्षकों को अक्सर चुनाव ड्यूटी, जनगणना, और अन्य सरकारी कामों में लगा दिया जाता है, जिससे उनकी शिक्षण गतिविधियाँ बाधित होती हैं।
  • दूरदराज के स्कूलों में तबादला: कई शिक्षकों को उनके घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित स्कूलों में तैनात किया जाता है, जहाँ आवागमन और रहने की समस्या के कारण वे नियमित रूप से उपस्थित नहीं हो पाते।
  • प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार: कई बार गैरहाज़िर शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती या फिर रिश्वत देकर मामला दबा दिया जाता है।
  • कम motivation और प्रोफेशनल विकास की कमी: कुछ शिक्षकों में पढ़ाने का जज्बा नहीं रह गया है। उन्हें training और career growth के अवसर नहीं मिलते, जिससे उनका motivation level कम हो जाता है।

गैरहाज़िरी के प्रभाव: बच्चों के भविष्य से खिलवाड़

शिक्षकों की अनुपस्थिति का सीधा और विनाशकारी असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ता है।

  • सीखने के स्तर में गिरावट: अगर शिक्षक ही स्कूल में नहीं आएगा, तो बच्चे क्या सीखेंगे? इसका सीधा असर बच्चों के reading, writing और arithmetic skills पर पड़ता है। ASER (Annual Status of Education Report) की रिपोर्टें लगातार यही दिखाती हैं।
  • ड्रॉपआउट दर में वृद्धि: जब बच्चों को स्कूल में कुछ सीखने को नहीं मिलता, तो उनका स्कूल जाने का motivation खत्म हो जाता है और वे पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं।
  • अनुशासनहीनता: बिना शिक्षक के कक्षा में अनुशासन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है, जिससे पूरे स्कूल का माहौल खराब होता है।
  • सार्वजनिक धन की बर्बादी: सरकार शिक्षकों का वेतन और स्कूलों के infrastructure पर करोड़ों रुपया खर्च करती है। जब शिक्षक काम पर नहीं आते, तो यह सार्वजनिक धन की सीधी बर्बादी है।

संभावित समाधान: कैसे रोकी जा सकती है गैरहाज़िरी?

हाईकोर्ट के निर्देशों के मद्देनजर, यूपी सरकार और अन्य राज्य निम्नलिखित ठोस उपाय अपना सकते हैं:

  • बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम (Biometric Attendance System): सभी स्कूलों में बायोमेट्रिक (फिंगरप्रिंट या आइरिस स्कैन) उपस्थिति प्रणाली लागू की जाए। इसका डेटा real-time basis पर एक central server पर अपलोड होना चाहिए, ताकि उच्च अधिकारी कहीं से भी निगरानी कर सकें।
  • स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे (CCTV Cameras): प्रत्येक स्कूल में CCTV कैमरे लगाए जाएँ, जिससे यह पता चल सके कि शिक्षक कक्षाओं में पढ़ाने के लिए उपस्थित हैं या नहीं।
  • नियमित और अचानक निरीक्षण (Random and Surprise Inspections): शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बिना सूचना के निरीक्षण किए जाएँ। इन निरीक्षणों की रिपोर्ट ऑनलाइन सार्वजनिक की जाए।
  • सख्त कार्रवाई (Strict Action): गैरहाज़िर शिक्षकों के खिलाफ zero tolerance policy अपनाई जाए। बिना अनुमति अनुपस्थित रहने पर वेतन कटौती, तबादला, या निलंबन जैसी कार्रवाई की जाए।
  • प्रोत्साहन (Incentives): नियमित और बेहतर प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को पुरस्कृत किया जाए, उनकी प्रशंसा की जाए और उन्हें कैरियर में आगे बढ़ने के अवसर दिए जाएँ।
  • शिकायत निवारण तंत्र (Grievance Redressal Mechanism): parents और local community के लिए एक आसान ऑनलाइन/ऑफलाइन शिकायत प्रणाली बनाई जाए, ताकि वे शिक्षकों की अनुपस्थिति की रिपोर्ट कर सकें।

शिक्षा की बुनियाद को मजबूत करने का समय

इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह हस्तक्षेप एक सराहनीय और जरूरी कदम है। शिक्षकों की गैरहाज़िरी सिर्फ एक प्रशासनिक समस्या नहीं है; यह एक सामाजिक और राष्ट्रीय समस्या है जो देश के future human capital को नुकसान पहुँचा रही है। अगर हम एक educated और skilled population चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर बच्चे को एक qualified और dedicated teacher मिले।

यूपी सरकार को अब हाईकोर्ट के निर्देशों को गंभीरता से लेते हुए एक ठोस रोडमैप पेश करना चाहिए। सिर्फ कागजी योजनाओं से काम नहीं चलेगा, जमीन पर इसे लागू करना होगा। तकनीक का इस्तेमाल, कड़ी निगरानी और जवाबदेही तय करने से ही इस deep-rooted problem पर काबू पाया जा सकता है। हर बच्चे का शिक्षा का अधिकार सुरक्षित हो, इसके लिए एक शिक्षक की नियमित उपस्थिति पहली और सबसे जरूरी शर्त है।


FAQs

1. क्या बायोमेट्रिक सिस्टम शिक्षकों की गैरहाज़िरी रोकने का सबसे अच्छा तरीका है?
बायोमेट्रिक सिस्टम एक प्रभावी tool जरूर है क्योंकि यह attendance में हेराफेरी रोकता है। लेकिन यह अकेला काफी नहीं है। अगर निगरानी और कार्रवाई ठीक नहीं है, तो शिक्षक बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा लगाकर स्कूल से चले जाते हैं। इसलिए, बायोमेट्रिक के साथ-साथ random inspections और strict action जरूरी है।

2. शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाना कितना सही है?
शिक्षकों का मुख्य काम बच्चों को पढ़ाना है। उन्हें गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाना उनके professional time का दुरुपयोग है और इससे शिक्षा का नुकसान होता है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि शिक्षकों को election duty जैसे कामों में लगाना सिर्फ exceptional circumstances में ही ठीक है।

3. क्या parents और local community इस समस्या को solve करने में भूमिका निभा सकते हैं?
बिल्कुल। Parents और School Management Committees (SMCs) की एक बड़ी भूमिका हो सकती है। वे शिक्षकों की daily attendance पर नजर रख सकते हैं और अनुपस्थिति की सूचना higher authorities को दे सकते हैं। जब community सक्रिय होती है, तो शिक्षकों पर positive pressure बनता है।

4. गैरहाज़िर शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया क्या है?
आमतौर पर, पहली बार अनुमति के बिना अनुपस्थित रहने पर warning दी जाती है। लगातार अनुपस्थित रहने पर वेतन कटौती की जा सकती है। गंभीर मामलों में, chargesheet दिया जाता है और departmental inquiry के बाद शिक्षक को suspend या dismiss भी किया जा सकता है। लेकिन अक्सर यह प्रक्रिया बहुत धीमी और ineffective होती है।

5. क्या निजी स्कूलों में भी शिक्षकों की गैरहाज़िरी की समस्या है?
निजी स्कूलों में यह समस्या सरकारी स्कूलों के मुकाबले कम देखने को मिलती है। इसका मुख्य कारण है निजी स्कूलों में strict monitoring और immediate action। अगर एक teacher निजी स्कूल में regularly absent रहता है, तो उसे job से हाथ धोना पड़ सकता है। इसलिए accountability का level वहाँ ज्यादा है।

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