जानें वो प्रेरणादायक किस्सा जब APJ Abdul Kalam को एक ग्राइंडर उपहार में मिला और उन्होंने जो आगे किया, वह हर भारतीय के लिए एक बड़ा सबक बन गया। सादगी और देशभक्ति की मिसाल।
जब APJ Abdul Kalam को मिला ग्राइंडर तोहफा, आगे जो हुआ वो बना भारत के लिए सबक
APJ Abdul Kalam सिर्फ एक महान वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति ही नहीं थे, बल्कि वह एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिनका पूरा जीवन ही प्रेरणा से भरा हुआ था। उनकी सादगी, ईमानदारी और देश के प्रति समर्पण की कहानियां आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। ऐसी ही एक छोटी सी लेकिन बेहद प्रभावशाली घटना है एक ‘मिक्सर ग्राइंडर’ को लेकर। यह किस्सा उनके चरित्र की उस ऊंचाई को दर्शाता है, जिसे पाना हर किसी के बस की बात नहीं है।
अगर आप भी उन लाखों लोगों में शामिल हैं जो डॉ. कलाम को प्यार और सम्मान करते हैं, तो यह कहानी आपके दिल को छू जाएगी और आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि एक इंसान कितना सादगीभरा और सिद्धांतों पर चलने वाला हो सकता है। आइए, विस्तार से जानते हैं इस पूरी घटना के बारे में।
वह घटना: जब कलाम साहब को मिला एक अनोखा तोहफा
यह घटना उस समय की है जब डॉ. कलाम भारत के राष्ट्रपति पद पर थे (2002-2007)। एक बार, तमिलनाडु के एक संगठन ने उनकी पत्नी (जो अब इस दुनिया में नहीं थीं) की याद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में डॉ. कलाम को आमंत्रित किया गया और सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान, आयोजकों ने राष्ट्रपति का सम्मान करते हुए उन्हें एक उपहार दिया। यह उपहार कोई महंगी पेंटिंग, मूर्ति या शील्ड नहीं, बल्कि एक साधारण ‘मिक्सर ग्राइंडर’ था। यह देखकर कलाम साहब थोड़ा हैरान हुए, लेकिन उन्होंने विनम्रतापूर्वक उस उपहार को स्वीकार कर लिया।
उपहार मिलने के बाद क्या हुआ? कलाम साहब ने क्या कदम उठाए?
एक आम इंसान होता तो शायद उस उपहार को घर ले जाता और इस्तेमाल कर लेता। लेकिन डॉ. कलाम कोई आम इंसान नहीं थे। उनके लिए राष्ट्रपति भवन में कोई भी चीज व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राष्ट्र की संपत्ति होती है। उन्होंने तुरंत एक बेहद ही अनूठा और सिद्धांतों वाला फैसला लिया।
- सबसे पहले उन्होंने राष्ट्रपति भवन के प्रोटोकॉल अधिकारी से संपर्क किया। उन्होंने अधिकारी से पूछा कि क्या राष्ट्रपति के तौर पर उन्हें मिले इस उपहार को वह व्यक्तिगत रूप से रख सकते हैं या नहीं।
- प्रोटोकॉल अधिकारी ने जवाब दिया कि राष्ट्रपति भवन के नियमों के अनुसार, राष्ट्रपति को मिला कोई भी उपहार जिसकी कीमत 5,000 रुपये से कम हो, वह उसे व्यक्तिगत तौर पर रख सकता है।
- इसके बाद, डॉ. कलाम ने उस ग्राइंडर की कीमत पता करने का निर्देश दिया। जब पता चला कि ग्राइंडर की कीमत 5,000 रुपये से कम है, तभी उन्होंने उसे अपने पास रखने का फैसला किया।
यह घटना दिखाती है कि डॉ. कलाम कितने ईमानदार और नियमों का पालन करने वाले इंसान थे। वह चाहते तो बिना किसी को बताए उस ग्राइंडर को अपने पास रख सकते थे, क्योंकि यह कोई महंगा उपहार नहीं था। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने सही प्रक्रिया का पालन किया और तभी उपहार स्वीकार किया जब नियमों ने उन्हें इसकी इजाजत दी।
इस छोटी सी घटना से हम क्या सीख सकते हैं?
डॉ. कलाम के जीवन की यह छोटी सी घटना हम सभी के लिए एक बहुत बड़ा सबक है। इसे हम कुछ इस तरह से समझ सकते हैं:
- सादगी और ईमानदारी: देश के सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी डॉ. कलाम ने कभी भी अपनी सादगी और ईमानदारी को नहीं छोड़ा। एक मामूली ग्राइंडर के लिए भी उन्होंने नियमों का पालन किया।
- नियमों का पालन: उन्होंने सिखाया कि चाहे कोई भी पद हो, नियम सबके लिए बराबर होते हैं। बड़े पद पर होने का मतलब यह नहीं है कि आप नियमों से ऊपर हैं।
- जिम्मेदारी की भावना: उनके लिए राष्ट्रपति भवन की हर चीज देश की संपत्ति थी। उनमें जिम्मेदारी की इतनी गहरी भावना थी कि वह एक छोटे से उपहार के मामले में भी पारदर्शिता बनाए रखना चाहते थे।
- आदर्श व्यवहार: उनका यह आचरण हमें यह सिखाता है कि कैसे छोटी-छोटी बातों में भी सही और गलत का फर्क समझना चाहिए।
निष्कर्ष: एक राष्ट्र के लिए प्रेरणा का स्रोत
डॉ. कलाम का जीवन हमें बताता है कि असली महानता महंगी चीजें इकट्ठा करने में नहीं, बल्कि सादगी और सिद्धांतों में होती है। आज के दौर में जहां भ्रष्टाचार और स्वार्थ की खबरें आम हैं, वहां डॉ. कलाम जैसे लोग एक मशाल की तरह हैं जो हमें सही रास्ता दिखाते हैं।
वह सच्चे अर्थों में ‘जनता के राष्ट्रपति’ थे। उनकी यह कहानी न सिर्फ हमें नैतिकता का पाठ पढ़ाती है, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि देश के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है। एक छोटा सा मिक्सर ग्राइंडर आज भी उनकी महानता की कहानी कहता है और आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देता है कि सच्चा सम्मान पद से नहीं, बल्कि अपने चरित्र और कर्मों से मिलता है।
FAQs
1. क्या डॉ. कलाम ने वास्तव में ग्राइंडर का इस्तेमाल किया?
जी हां, एक बार नियमों की जांच करने और उसे व्यक्तिगत रूप से रखने की अनुमति मिलने के बाद, डॉ. कलाम ने उस ग्राइंडर का इस्तेमाल किया। यह उनकी सादगी को दर्शाता है कि वह रोजमर्रा की जिंदगी में भी ऐसी चीजों का इस्तेमाल करते थे।
2. यह घटना कहां और कब हुई थी?
यह घटना तब की है जब डॉ. कलाम भारत के राष्ट्रपति थे (2002-2007)। इसका आयोजन तमिलनाडु के एक संगठन द्वारा किया गया था, जिसने उनकी पत्नी की याद में एक कार्यक्रम रखा था।
3. राष्ट्रपति भवन में उपहारों के क्या नियम हैं?
राष्ट्रपति भवन के नियमों के अनुसार, राष्ट्रपति को मिले उपहारों की एक सूची बनाई जाती है। अगर किसी उपहार की कीमत एक निश्चित सीमा (उस समय 5,000 रुपये) से कम होती है, तो राष्ट्रपति उसे व्यक्तिगत रूप से रख सकते हैं। महंगे उपहार सरकारी संपत्ति माने जाते हैं।
4. क्या डॉ. कलाम ने कोई और ऐसा उदाहरण पेश किया है?
डॉ. कलाम का पूरा जीवन ही ऐसी मिसालों से भरा हुआ है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रपति बनने के बाद भी वह अपने जूते खुद पॉलिश करते थे और अपना सामान खुद संभालते थे। वह अपनी व्यक्तिगत जरूरतों के लिए सरकारी संपत्ति का इस्तेमाल नहीं करते थे।
5. इस कहानी से हमें क्या प्रेरणा लेनी चाहिए?
इस कहानी से हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि चाहे हम कितने भी बड़े पद पर क्यों न पहुंच जाएं, हमें अपनी सादगी, ईमानदारी और नियमों के प्रति सम्मान नहीं खोना चाहिए। छोटे-छोटे फैसले ही हमारे चरित्र का निर्माण करते हैं।
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