असम सरकार अवैध अतिक्रमण से भूमि मुक्त कर रही है, आदिवासी समुदायों को वन अधिकार अधिनियम के तहत जमीन दे रही है।हिमंता बिस्वा सरमा ने 4,673 परिवारों को पट्टे वितरित किए।
जनजातीय गौरव वर्ष में असम का कदम: वन अधिकार अधिनियम के तहत भूमि वितरण
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार अवैध अतिक्रमण से भूमि को मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसे आदिवासी एवं देशी समुदायों को लौटाने का कार्य कर रही है। असम के गोलबारा और कामरूप जिलों में व्यापक अतिक्रमण के कारण जनजातीय समुदायों को उनकी राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों से वंचित होना पड़ा है।
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि देशी लोग असम की ‘जाती, माटी और भेती’ के सच्चे संरक्षक हैं, और सरकार ने प्रत्येक समुदाय को न्याय, सम्मान और सशक्तिकरण देने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में बको, दुधनई और वेस्ट गोलबारा विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन और सम्मान की रक्षा की गई है।
आज के समय में इन क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन के कारण आदिवासी अपने ही ज़मीन पर अल्पसंख्यक हो गए हैं। इसका मुख्य कारण अवैध प्रवासियों का भूमि अतिक्रमण है, जो अक्सर बाढ़ प्रभावित होने का बहाना बनाकर यहाँ बस जाते हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अंतर्गत 4,673 जनजातीय परिवारों को पट्टे वितरित किए हैं।
मुख्यमंत्री ने जनता को सतर्क रहने और केवल पट्टे पाने पर ही नहीं, बल्कि हर समय अपने वन क्षेत्र की रक्षा के लिए जागरूक रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उनका मिशन प्रदेश के वन क्षेत्रों का संरक्षण करना है, जहां कुछ संदिग्ध लोग वन क्षेत्रों में प्रवेश कर उन्हें नष्ट कर रहे हैं और कब्जा कर रहे हैं। सरकार ने अब तक 193 वर्ग किलोमीटर वन भूमि को अवैध अतिक्रमण से मुक्त कर दिया है और आगे भी अवैध कब्जाधारियों को हटाने का कार्य जारी रहेगा।
2021 में पद संभालने के बाद हिमंता बिस्वा सरमा ने संबंधित विभागों को निर्देशित किया कि असम के वन क्षेत्रों में रहने वाले हर जनजातीय परिवार को भूमि अधिकार प्रदान किए जाएं। इस अवसर पर जनजातीय गौरव वर्ष (1 से 15 नवंबर) के उत्सव के तहत लखरा, बंदपारा, कुलशी, लोहरघाट, बमुनिगांव, बको और सिंगरा जैसे रिज़र्व वन क्षेत्रों में रहने वाले गारो, रैभा, बोडो और कार्बी समुदायों को भूमि पट्टे सौंपे गए।
राष्ट्र 150वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगवान बिरसा मुंडा को याद कर जनजातीय गौरव वर्ष मना रहा है। मुख्यमंत्री ने बिरसा मुंडा, जया थाओसेन, रशीमणि हाजोंग, शहीद कमला पूरी, कटिराम रैभा, हेमराम पाटोर, शहीद मघीराम काचारी, भिंबोर डेउरी और शहीद बिर संबुधान फांगलोचन सहित कई आदिवासी पात्रों को श्रद्धांजलि दी।
यह पहल असम में आदिवासी एवं देशी समुदायों के राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो राज्य के वन और भूमि संरक्षण के प्रति सरकार के सतत प्रयासों को दर्शाती है।
FAQs:
- वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत असम में भूमि वितरण क्या है?
- असम सरकार ने अब तक कितनी भूमि अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराई है?
- असम के किन जनजातीय समुदायों को भूमि पट्टे दिए गए हैं?
- अवैध अतिक्रमण को रोकने के लिए असम सरकार क्या कदम उठा रही है?
- जनजातीय गौरव वर्ष का असम में क्या महत्त्व है?
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