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अस्थमा: एक दीर्घकालिक श्वसन रोग जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता

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अस्थमा एक दीर्घकालिक (क्रॉनिक) श्वसन रोग है, जिसमें फेफड़ों की वायु नलिकाएं (airways) सूज जाती हैं और संकीर्ण हो जाती हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। यह रोग बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित करता है और काफी आम है। अस्थमा का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है, लेकिन दवाओं, जीवनशैली में बदलाव और सही देखभाल से इसे अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2019 में दुनिया भर में लगभग 26.2 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित थे और इससे लगभग 4.61 लाख मौतें हुई थीं।
कम और मध्यम आय वाले देशों में अस्थमा अक्सर कम पहचान और कम इलाज के चलते और भी खतरनाक साबित होता है।

इस लेख में अस्थमा के कारण, लक्षण, निदान, उपचार, रोकथाम और इसके सामाजिक प्रभावों की विस्तार से जानकारी दी गई है।


1. अस्थमा क्या है?

अस्थमा एक दीर्घकालिक सूजनकारी बीमारी है जो फेफड़ों की वायु नलिकाओं को प्रभावित करती है। इसमें वायुमार्ग:

  • सूज जाते हैं (inflammation)
  • संकीर्ण हो जाते हैं
  • बाहरी ट्रिगर्स के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाते हैं
  • बलगम (mucus) से भर जाते हैं जिससे हवा का प्रवाह और बाधित होता है

इन बदलावों के कारण व्यक्ति को सांस फूलना, घरघराहट, सीने में जकड़न, और खांसी जैसी समस्याएं होती हैं, खासकर रात में या सुबह जल्दी।


2. अस्थमा के प्रकार

कई प्रकार के अस्थमा होते हैं, जैसे:

🔹 एलर्जिक अस्थमा:
धूल, परागकण, फफूंदी, पालतू जानवरों की रूसी या कुछ खाद्य पदार्थों से उत्पन्न होता है।

🔹 गैर-एलर्जिक अस्थमा:
मानसिक तनाव, सर्द हवा, व्यायाम, संक्रमण या रसायनों से होता है।

🔹 व्यावसायिक अस्थमा:
कारखानों, निर्माण स्थलों आदि में धूल, धुएं या रसायनों के संपर्क से होता है।

🔹 व्यायाम प्रेरित अस्थमा:
खेल या शारीरिक गतिविधि से बढ़ता है, विशेष रूप से ठंडे और सूखे वातावरण में।

🔹 बचपन का अस्थमा:
बचपन में शुरू होता है, कुछ बच्चों में समय के साथ ठीक हो सकता है।

🔹 गंभीर अस्थमा:
बहुत दुर्लभ होता है और उच्च मात्रा में दवाओं से भी नियंत्रित नहीं होता।


3. कारण और जोखिम कारक

अस्थमा के कारण आनुवंशिक (genetic) और पर्यावरणीय (environmental) दोनों हो सकते हैं:

🔸 आनुवंशिक कारण:

  • परिवार में अस्थमा या एलर्जी का इतिहास
  • शरीर की एलर्जी प्रतिक्रिया देने की प्रवृत्ति (Atopy)

🔸 पर्यावरणीय कारण:

  • वायु प्रदूषण
  • घर के भीतर की एलर्जी (जैसे धूल, फफूंदी, कॉकरोच)
  • सिगरेट का धुआं
  • रासायनिक धुएं या तेज़ गंध

🔸 अन्य ट्रिगर्स:

  • सर्दी-जुकाम जैसी श्वसन संक्रामक बीमारियाँ
  • भावनात्मक तनाव
  • मौसम में अचानक बदलाव
  • कुछ दवाएं (जैसे ऐस्पिरिन)

4. अस्थमा के लक्षण

लक्षण समय-समय पर बदल सकते हैं और इनकी गंभीरता भी अलग हो सकती है:

  • सांस फूलना
  • सीने में जकड़न या दर्द
  • घरघराहट (सीटी जैसी आवाज)
  • बार-बार खांसी (खासकर रात में या सुबह)
  • नींद में खलल

गंभीर अस्थमा अटैक के दौरान लक्षण तेजी से बिगड़ते हैं और आपातकालीन इलाज की आवश्यकता पड़ सकती है।


5. निदान (Diagnosis)

सही समय पर और सटीक निदान अस्थमा नियंत्रण में अहम भूमिका निभाता है:

  • चिकित्सकीय इतिहास:
    लक्षणों, परिवार में अस्थमा/एलर्जी की जानकारी
  • शारीरिक परीक्षण:
    डॉक्टर स्टेथोस्कोप से सांसों की आवाज़ सुनते हैं
  • फेफड़ों के परीक्षण:
    • स्पाइरोमेट्री
    • पीक फ्लो मीटर
    • ब्रोंकोडाइलेटर टेस्ट
  • एलर्जी टेस्ट:
    स्किन प्रिक या ब्लड टेस्ट
  • मेथाकोलिन टेस्ट:
    अगर अस्थमा का संदेह हो लेकिन अन्य टेस्ट स्पष्ट न हों

6. इलाज और प्रबंधन

अस्थमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे व्यक्तिगत उपचार योजना से प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है:

🩺 दवाएं:

i) लॉन्ग टर्म कंट्रोल मेडिसिन्स (रोजाना ली जाती हैं):

  • इनहेल्ड स्टेरॉयड (जैसे Budesonide, Fluticasone)
  • लॉन्ग-एक्टिंग बीटा एगोनिस्ट (LABA)
  • Leukotriene Modifiers (जैसे Montelukast)
  • Biologics (गंभीर अस्थमा के लिए)

ii) शॉर्ट टर्म रिलीफ मेडिसिन्स (अटैक में):

  • शॉर्ट-एक्टिंग बीटा एगोनिस्ट (जैसे Albuterol)
  • ओरल स्टेरॉयड (गंभीर मामलों में)

🫁 इनहेलर और नेबुलाइज़र:

दवा सीधे फेफड़ों तक पहुंचाने में मदद करते हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए नेबुलाइज़र उपयोगी होते हैं।

🔍 स्व-निगरानी और देखभाल:

  • पीक फ्लो मीटर से फेफड़ों की क्षमता की निगरानी
  • ट्रिगर से बचाव
  • नियमित चेकअप

7. बच्चों में अस्थमा

बच्चों में अस्थमा अधिक गंभीर हो सकता है क्योंकि उनकी वायु नलिकाएं छोटी होती हैं।

✅ प्रबंधन में शामिल:

  • ट्रिगर की पहचान
  • बच्चों के लिए अनुकूल इनहेलर
  • अभिभावकों और शिक्षकों की जागरूकता
  • विकास की निगरानी

8. अस्थमा का अनियंत्रित होना – परिणाम

अगर अस्थमा को गंभीरता से नहीं लिया गया तो यह कई समस्याएं पैदा कर सकता है:

  • बार-बार अस्पताल जाना
  • स्कूल या काम में अनुपस्थिति
  • नींद की कमी
  • फेफड़ों को स्थायी क्षति
  • तनाव, चिंता और अवसाद
  • जानलेवा अटैक की संभावना

9. रोकथाम और जीवनशैली में बदलाव

✅ रोकथाम के उपाय:

  • धूल, फफूंदी और धुएं से दूर रहना
  • एयर प्यूरीफायर और डिह्यूमिडिफायर का उपयोग
  • धूम्रपान न करें
  • कामकाजी जगह पर मास्क आदि पहनें

✅ स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली:

  • मौसमी टीकाकरण (फ्लू, निमोनिया)
  • संतुलित आहार
  • नियमित व्यायाम
  • योग, प्राणायाम, ध्यान

10. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति, विशेषकर जिनकी बीमारी गंभीर हो, मानसिक दबाव भी महसूस करते हैं।

💡 सहायक उपाय:

  • काउंसलिंग
  • रोगी शिक्षा कार्यक्रम
  • सहायक समूह
  • स्कूल और ऑफिस में सहूलियत

11. विकासशील देशों में अस्थमा

कम आय वाले देशों में अस्थमा को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है:

  • जागरूकता की कमी
  • इलाज की कमी
  • दवाएं महंगी
  • सामाजिक कलंक

इस कारण यहां अस्थमा से मृत्यु दर ज्यादा होती है। सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियानों की जरूरत है।


12. वैश्विक और राष्ट्रीय प्रयास

🌍 वैश्विक पहलें:

  • GINA (Global Initiative for Asthma): WHO द्वारा समर्थित संगठन
  • World Asthma Day: मई में जागरूकता के लिए

🇮🇳 भारत में प्रयास:

  • सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा वितरण
  • स्कूलों और गांवों में जागरूकता अभियान
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अस्थमा की जांच व इलाज

निष्कर्ष

अस्थमा एक गंभीर लेकिन प्रबंधनीय रोग है। समय पर पहचान, सही इलाज, जीवनशैली में सुधार और जागरूकता से अस्थमा पीड़ित व्यक्ति एक स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकता है।
सार्वजनिक स्तर पर जागरूकता, किफायती इलाज और पर्यावरणीय प्रदूषण पर नियंत्रण जरूरी है ताकि अस्थमा के बोझ को कम किया जा सके।

👉 अब समय है कि अस्थमा को गंभीरता से लिया जाए और इसे नजरअंदाज न किया जाए।

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