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अयोध्या राम मंदिर पर ध्वजारोहण ने पूरी भारत की संस्कृति को दी नई पहचान: पीएम मोदी

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Flag Hoisting at Ram Temple Marks Revival of Indian Civilization and Unity: PM Modi
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या राम मंदिर में केसरिया ध्वज फहराने को सांस्कृतिक गर्व और राष्ट्रीय एकता का नया अध्याय बताया।

पीएम मोदी का राम मंदिर ध्वजारोहण पर बयान- यह गर्व और एकता का प्रतीक है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अयोध्या के राम मंदिर में केसरिया ध्वज फहराने की घटना को एक ऐसे नए अध्याय के रूप में वर्णित किया, जो “सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय एकता” को दर्शाता है। इस अवसर पर राम मंदिर में केसरिया ध्वज फहराने की भव्य घटना में प्रधानमंत्री मोदी के साथ RSS प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे।

पीएम मोदी ने इस पाइथक समारोह की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह ध्वजारोहण हमारे देश की प्राचीन सभ्यता के पुनरुत्थान का प्रतीक है और सामूहिक आस्था, समर्पण एवं विश्वास की जीत का परिचायक है।

उन्होंने कहा, “यह ध्वज केवल एक आध्यात्मिक प्रतीक नहीं है बल्कि हमारे इतिहास, संस्कृति और राष्ट्र भावना की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।” मोदी ने यह भी कहा कि यह अवसर सभी राम भक्तों के लिए गर्व, कृतज्ञता और दिव्य आनंद का क्षण है क्योंकि सदियों पुराने घाव अब भर रहे हैं।

कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालुओं, धार्मिक प्रमुखों, और राजनीतिक गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। यह आयोजन न केवल अयोध्या के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक बन गया।

प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा, “हमें अपने इतिहास और अपनी पहचान पर गर्व होना चाहिए। गुलामी की मानसिकता को छोड़कर हम नए भारत का निर्माण करें।” उन्होंने अतिथियों और देशवासियों को आह्वान किया कि वे इस सांस्कृतिक और राष्ट्रीय जागृति की प्रक्रिया में एकजुट रहें।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

  1. मोदी ने ध्वजारोहण को क्या बताया?
    सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय एकता का नया अध्याय।
  2. कार्यक्रम में कौन-कौन उपस्थित थे?
    प्रधानमंत्री मोदी, मोहन भागवत, हजारों श्रद्धालु।
  3. ध्वज का सांस्कृतिक महत्व क्या है?
    भारतीय सभ्यता का पुनरुत्थान और आस्था की जीत।
  4. पीएम मोदी ने किस मानसिकता को त्यागने की बात कही?
    गुलामी की मानसिकता।
  5. यह कार्यक्रम भारत के लिए क्या प्रतीक है?
    सांस्कृतिक पुनरुत्थान और राष्ट्रीय एकता।
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