शेख हसीना को विशेष ट्रिब्यूनल द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा पर बांग्लादेश में गहरा राजनीतिक विवाद छिड़ गया है, जहां समर्थकों ने इसे झूठा और जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया है।
शेख हसीना की सजा पर विरोध और समर्थन की प्रतिक्रिया, देश में राजनीतिक ध्रुवीकरण तेज
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को विशेष ट्रिब्यूनल द्वारा मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए फांसी की सजा सुनाए जाने पर देश में राजनीतिक तूफान छिड़ गया है। समर्थकों ने इस फैसले को ‘नकली’, ‘घड़िया’, और ‘एक दिन की न्याय प्रक्रिया’ करार दिया है।
Awami League और हसीना के करीबी स्रोतों ने आरोप लगाया है कि इस मामले में कोई ठोस साक्ष्य नहीं है और गवाहों को केवल सत्यापन के लिए बुलाया गया था। उन्होंने चेतावनी दी है कि यह फैसला देश को कट्टरपंथ की ओर धकेल सकता है। वहीं, विपक्षी दल जमानत-ए-इस्लामी ने ट्रिब्यूनल के फैसले का स्वागत करते हुए इसे बांग्लादेश के इतिहास का महत्वपूर्ण दिन बताया।
धार्मिक और राजनीतिक मतभेदों ने देश में व्यापक प्रदर्शनों को जन्म दिया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने राजधानी ढाका समेत अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है।
निर्वासित शेख हसीना ने इस ट्रिब्यूनल को ‘कांगारू कोर्ट’ करार दिया है और कहा है कि उन्हें उचित सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। उनके पार्टी ने पूरे देश में बंद की अपील की है।
यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति को गहरे विभाजन में डाल रहा है और देश में सामाजिक स्थिरता के लिए चुनौती पेश कर रहा है। सभी पक्षों से मामले को शांति और संवेदनशीलता के साथ संभालने की अपील की जा रही है।
FAQs
- शेख हसीना को किस पर दोषी ठहराया गया?
मानवता के खिलाफ अपराधों में। - उनके समर्थकों की प्रतिक्रिया क्या रही?
फैसला नकली और जल्दीबाजी में लिया गया बताया। - विपक्ष ने क्या कहा?
फैसले का स्वागत किया और इसे ऐतिहासिक बताया। - देश की स्थिति कैसी है?
राजनीतिक ध्रुवीकरण और सुरक्षा के बढ़े हुए इंतजाम। - शेख हसीना ने क्या जवाब दिया?
ट्रिब्यूनल को कांगारू कोर्ट कहा और उचित सुनवाई की मांग की।
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