शेख हसीना ने युनूस सरकार पर भारत के साथ नकारात्मक संबंध बनाने का आरोप लगाया और बांग्लादेश लौटने के लिए लोकतांत्रिक सुधारों को जरूरी बताया।
शेख हसीना ने युनूस को भारत विरोधी बताया, लोकतंत्र की बहाली पर जोर दिया
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने युनूस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि उन्होंने देश के भारत के साथ पारंपरिक मजबूत संबंधों को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह तभी देश लौटेंगी जब लोकतांत्रिक भागीदारी को बहाल किया जाएगा।
उन्होंने एक विशेष ईमेल साक्षात्कार में कहा कि वह भारत सरकार और जनता के सौजन्य का आभार व्यक्त करती हैं, लेकिन देश की वर्तमान स्थिति में सुधार के बिना लौटना संभव नहीं है। शेख हसीना ने संविधान के तहत निष्पक्ष और समावेशी चुनावों की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने माना कि उनकी सरकार पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान नियंत्रण खो गई थी, और इसे एक दुखद और अफसोसजनक स्थिति बताया। उन्होंने कुछ वरिष्ठ छात्र नेताओं को दोषी ठहराते हुए कहा कि उन्होंने आंदोलन को भड़काया।
शेख हसीना ने युनूस की भारत विरोधी नीति को “मूर्खतापूर्ण और आत्मघाती” करार दिया और उन्हें एक कमजोर और अस्वीकृत शासक बताया। वह विश्वास जताती हैं कि दीर्घकालिक भारत- बांग्लादेश संबंध इस संकट से उबरेंगे।
उन्होंने कहा कि यदि आवामी लीग को चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखा गया, तो आगामी चुनाव वैध नहीं होंगे और बांग्लादेश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर खो जाएगा।
FAQs:
- शेख हसीना ने युनूस सरकार पर क्या आरोप लगाए?
- उनकी भारत सरकार और जनता के प्रति क्या प्रतिक्रियाएँ हैं?
- वह बांग्लादेश लौटने की क्या शर्त रखती हैं?
- चुनाव प्रक्रिया में आवामी लीग की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?
- इस राजनीतिक संकट का बांग्लादेश-भारत रिश्तों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
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