BARC छोटे परमाणु रिएक्टर (55MW एवं 200MW) विकसित कर रहा है जिन्हें वाणिज्यिक जहाजों व कैप्टिव पावर प्लांट्स में लगाया जा सकेगा।
भारत के पोत-नौकाओं के लिए परमाणु रिएक्टर विकास: 55MW से 200MW तक की परियोजना
भारत के पोत-नौकाओं के लिए 200 मेगावाट के परमाणु रिएक्टर का विकास
भारतीय विज्ञानिक संस्थान Bhabha Atomic Research Centre (BARC) ने दो छोटे परमाणु रिएक्टरों—55 मेगावाट (MW) और 200 मेगावाट (MW)—के विकास की घोषणा की है जिन्हें न केवल औद्योगिक कैप्टिव पावर प्लांट्स में परिनियोजित किया जाएगा, बल्कि वाणिज्यिक जहाजों में भी लगाया जा सकता है। ये Bharat Small Modular Reactors (BSMR) नामक परियोजना का हिस्सा हैं।
परमाणु ऊर्जा का सिद्धांत
परमाणु विखंडन (nuclear fission) प्रक्रिया में भारी न्यूक्लिआई जैसे यूरेनियम–235 या प्लूटोनियम–239 के नाभिक दो भागों में टूटते हैं, जिससे भारी मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती है। इस ऊष्मा से भाप बनाई जाती है जो टरबाइन घुमाकर विद्युत उत्पादन करती है।
छोटे परमाणु रिएक्टर (SMR) के लाभ
- कॉम्पैक्ट डिज़ाइन: SMR अपेक्षाकृत छोटे आकार के होते हैं, जिससे उन्हें जहाजों, रिमोट साइट्स या कैप्टिव पावर प्लांट्स में इंस्टॉल करना आसान होता है।
- मॉड्यूलर निर्माण: फैक्ट्री में मॉड्यूलर यूनिट्स का उत्पादन कर साइट पर असेंबली की जा सकती है, जिससे निर्माण समय और लागत में कमी आती है।
- उच्च सुरक्षा मानक: BSMR में पैसिव सुरक्षा प्रणालियाँ मौजूद होंगी जो डाउनटाइम को न्यूनतम रखेंगी और रेडिएशन रिस्क कम करेंगी।
BARC की BSMR परियोजना
BARC के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, 55MW व 200MW रिएक्टरों को उर्जा-गहन उद्योगों जैसे सीमेंट फैक्ट्रियों के कैप्टिव पावर प्लांट्स में लगाया जाएगा। साथ ही इन्हें मर्चेंट नेवी के जहाजों में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा, जिससे जहाजों के ईंधन उपयोग और उत्सर्जन में भारी कमी आएगी।
वर्तमान परमाणु-संचालित बेड़े
भारत फिलहाल दो घरेलू निर्माण परमाणु पनडुब्बियाँ—INS Arihant और INS Arighaat—चला रहा है जिनमें 83MW के रिएक्टर लगे हैं। तीसरी पनडुब्बी INS Aridhaman परीक्षण के दौर से गुजर रही है। नए SMR, इनसे छोटे या बड़े, दोनों में पोत-संचालित ऊर्जा के मामले में बदलाव लाएंगे।
संवैधानिक एवं नियामक संशोधन
भारत सरकार ने परमाणु ऊर्जा अधिनियम (AEA), 1962 में संशोधन प्रस्तावित किए हैं जिससे निजी क्षेत्र को सिविल परमाणु क्षेत्र में भागीदारी की अनुमति मिलेगी। प्रमुख बिंदु:
- निजी संचालक: निजी कंपनियों को पावर प्लांट संचालन और फ्यूल साइकिल के फ्रंट-एंड गतिविधियाँ करने की अनुमति।
- विदेशी ईंधन आपूर्ति: निजी कंपनियाँ विदेशी स्रोतों से न्यूक्लियर ईंधन आयात कर सकेंगी, साथ ही इस्तेमाल हो चुके ईंधन के निर्यात के समझौते भी संभव होंगे।
- CLND अधिनियम में संशोधन: न्यूक्लियर उपकरण आपूर्तिकर्ताओं की जिम्मेदारी को अनुबंध के अनुसार सीमित करने का प्रावधान।
भारत का 100GW परमाणु लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक 100GW परमाणु क्षमता हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो वर्तमान 8.8GW से लगभग 11 गुना वृद्धि होगी। SMR की सहज तैनाती, alongside बड़े रिएक्टरों के निर्माण से इस लक्ष्य को प्राप्त करना आसान होगा।
भारतीय वैज्ञानिकों का 55MW व 200MW SMR विकास न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि पर्यावरणीय रूप से स्वच्छ और विश्वसनीय शक्ति स्रोत उपलब्ध कराएगा। AEA और CLND में प्रस्तावित संशोधन निजी निवेश के द्वार खोलेंगे और 2047 तक 100GW के परमाणु लक्ष्य को साकार करने में मदद करेंगे।
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