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बिहार के इन विधानसभा क्षेत्र पर बिछने लगी चुनावी बिसात होने वाला है उप-चुनाव

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पटना: यह सीट राजद विधायक डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद यादव के जहानाबाद से सांसद बन जाने के बाद खाली हुई है. 2020 के विधानसभा चुनाव में सुरेन्द्र यादव ने जेडीयू के अभय कुमार कुशवाहा को हराया था.दिलचस्प यह है कि यहां से हारने वाले अभय कुशवाहा राजद में शामिल हो गये और औरंगाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ सांसद बन गए.

अब चर्चा है कि सुरेन्द्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव बेला से उपचुनाव लड़ सकते हैं.उन्होंने चुनाव अभियान शुरू भी कर दिया है.जेडीयू से मनोरमा देवी के पुत्र रॉकी यादव भी जोर लगा रहे हैं.शोषल मीडिया पर उनका भी प्रचार चल रहा है.विश्वनाथ की उम्मीदवारी पक्की करने के लिए अकेले उनके सांसद पिता सुरेन्द्र यादव ही काफी हैं.दूसरी ओर रॉकी को एक मंत्री का समर्थन प्राप्त है.हालांकि,जदयू के दो मंत्रियों के बीच यादव और मुस्लिम उम्मीदवार को लेकर चीज़ बना हुआ है.नीतीश के बेहद क़रीबी(कर्ताधर्ता)मंत्री का सॉफ़्ट कॉर्नर मुस्लिम उम्मीदवार को लेकर है तो मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र एक मंत्री यादव उम्मीदवार के पक्ष में है.संजय झा के पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद स्तिथि थोड़ी बदल भी सकती है. जदयू से कई मुसलमान भी बेलागंज पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं मगर उनका पैरवीकार कमज़ोर है.देवेश चन्द्र ठाकुर ने मुसलमानों पर बयान देकर जदयू के मुसलमानों की स्तिथि और ख़राब कर दी है.चर्चा तो यहां तक है कि एनडीए में शामिल दल के एक मंत्री ने उम्मीदवारी पर मंथन के दौरान कह दिया कि बेलागंज से मुसलमान नहीं जीतेगा.अब देखना है कि बेलागंज के मुसलमान उम्मीदवारी नहीं मिलने पर कितना गम्भीरता से लेते हैं?इमामगंज (गया):यह हॉट सीट है, क्योंकि जीतन राम मांझी के गया से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है. उन्हें भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया है.

हाल ही में उनकी पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा की ओर से समीक्षा बैठक की गई,लेकिन उसमें इमामगंज उपचुनाव पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है. चर्चा है कि जीतन राम मांझी और उनके मंत्री पुत्र संतोष सुमन तय करेंगे कि इमामगंज से कौन लड़ेगा.क्या मांझी अपनी बहू दीपा संतोष मांझी को उपचुनाव लड़वा सकते हैं? इस सवाल पर पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता मानते हैं कि वे नही लड़ेंगी.लेकिन कुछ लोग यह भी मानते हैं कि राजनीति में कुछ भी संभव है.इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री के दूसरे बेटे प्रवीण मांझी की भी तगड़ी दावेदारी है.उम्मीदवार परिवार से ही होगा.पिछले विधानसभा चुनाव में हम पार्टी का गठबंधन जेडीयू के साथ था.जीतन राम मांझी ने राजद के उदय नारायण चौधरी को हराया था.इस बार भी हम पार्टी एनडीए के साथ है.राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी कई दिनों से गया में डेरा डाले हुए हैं.साफ है उदय नारायण चौधरी राजद से इमामगंज उपचुनाव लड़ सकते हैं.तरारी (आरा):यह सीट माले विधायक सुदामा प्रसाद के आरा से सांसद बन जाने के बाद खाली हुई है.उन्होंने केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को हराया.सुदामा प्रसाद ने पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय बाहुबली सुनील पांडेय को हराया था.बीजेपी से कौशल किशोर तीसरे नंबर पर रहे थे.

2015 में सुदामा प्रसाद ने सुनील पांडेय की पत्नी गीता पांडेय को हराया था.इस बार तरारी विधानसभा उपचुनाव में माले की तरफ से पार्टी का कोई ग्रास रुट नेता ही चुनाव लड़ेगा.सुदामा प्रसाद की पत्नी शोभा देवी सीपीआई एमएल की कद्दावर नेत्री हैं और नगर निगम चुनाव में मेयर पद के लिए अपनी किस्मत अजमा चुकी हैं, लेकिन इसकी उम्मीद नहीं के बराबर है कि सुदामा प्रसाद की पत्नी को उपचुनाव में माले तरारी से टिकट देगी.माले परिवारवाद में विश्वास नहीं रखती है.इससे पहले अगिआंव उपचुनाव में भी माले ने मनोज मंजिल की पत्नी को टिकट नहीं देकर शिव प्रकाश को उतारा था.शिव प्रकाश की जीत भी हुई.माले राज्य कमेटी की बैठक भोजपुर में 6-7 जुलाई को होनी है.इसमें तरारी उपचुनाव की रणनीति बनेगी और उम्मीदवार भी तय किया जा सकता है।

रामगढ़ (बक्सर) :यहां से सुधाकर सिंह राजद के विधायक थे.वे बक्सर से लोकसभा का चुनाव जीत गए.सुधाकर बिहार सरकार में कृषि मंत्री भी रह चुके हैं.किसानों से जुड़े सवाल लगातार उठाने और नीतीश कुमार की कृषि नीति की आलोचना करने की वजह से उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था.सुधाकर सिंह के सांसद चुने जाने के बाद उनके भाई अजीत सिंह ने राजद की सदस्यता ली.उससे पहले अप्रैल में उन्होंने जदयू छोड़ दिया था.अजीत सिंह ने कहा था कि मैं पिछले 15 वर्षों से राजनीति में सक्रिय हूं.अगर पार्टी मुझे टिकट देती है तो मैं चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटेंगे.विधानसभा चुनाव में सुधाकर सिंह ने बसपा के अंबिका यादव को 189 वोट से हराया था.यहां से अंबिका यादव के भतीजे सतीश यादव उर्फ पिंटू चुनाव लड़ने की पुरजोर तैयारी में हैं.बीजेपी से अशोक सिंह तीसरे नंबर पर थे.इसलिए इस बार अजीत सिंह, सतीश यादव और अशोक सिंह के चुनाव लड़ने की पूरी संभावना दिख रही है.अजीत सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह के बेटे हैं.ज़ाहिर सी बात है पिता अध्यक्ष ,भाई सांसद इनकी दावेदारी मज़बूत है.लालू-तेजस्वी के लिए जगदानन्द सिंह को नज़रंदाज़ करना आसान नहीं होगा.

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