कैलिफोर्निया में फंगल संक्रमण वैली फीवर के मामले जलवायु परिवर्तन के कारण 1,200% से अधिक बढ़ गए हैं, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता बढ़ी है।
कैलिफोर्निया में वैली फीवर के मामले 1,200% बढ़े, जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार
कैलिफोर्निया में वैली फीवर नामक फंगल संक्रमण के मामले पिछले कई वर्षों में तेजी से बढ़े हैं, जो 2025 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ दशकों में संक्रमण के मामलों में 1,200% से ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई है, जिसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से फंगस का तेजी से फैलना माना जा रहा है।
वैली फीवर, जिसे कॉक्सिडियोइडोमाइसिस भी कहा जाता है, एक सांस संबंधी बीमारी है जो दो प्रजातियों Coccidioides immitis और Coccidioides posadasii के फंगस के बीजाणुओं को सांस के ज़रिए अंदर लेने से होती है। यह फंगस मुख्यतः कैलिफोर्निया के रेतीले और सूखे इलाकों के मिट्टी में पाया जाता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण कैलिफोर्निया में गीली सर्दियों के बाद सूखी और गर्म वायु के साथ धूल के तूफान आते हैं, जो मिट्टी में छिपे फंगस के बीजाणुओं को हवा में फैला देते हैं। ज़्यादातर मामलों में संक्रमण सूखे मौसम में अधिक होता है, खासकर यूक्ला के विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम के उतार-चढ़ाव ने फंगस की पनपना और फैलाव को बढ़ावा दिया है।
संक्रमित लोगों में खांसी, बुखार, थकान, सांस लेने में कठिनाई जैसे फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में फेफड़ों में संक्रमण हो सकता है जो जानलेवा भी हो सकता है। कैलिफोर्निया के सेंट्रल वेली और सेंट्रल कोस्ट क्षेत्रों में इस बीमारी के मामले सबसे ज़्यादा पाए जाते हैं।
स्वास्थ्य अधिकारी लोगों को बड़े खुले इलाकों में धूल भरे मौसम में बाहर होने से बचने और बिना किसी मास्क के सांस न लेने की सलाह दे रहे हैं। विशेष रूप से बुजुर्ग, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले और पहले से बीमार लोग अधिक जोखिम में हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
- वैली फीवर क्या है?
- यह एक फंगल संक्रमण है जो सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करता है और फ्लू जैसी बीमारी का कारण बनता है।
- कैलिफोर्निया में इसके मामले क्यों बढ़े हैं?
- वैली फीवर के लक्षण क्या हैं?
- कौन लोग अधिक संक्रमित होते हैं?
- इस बीमारी से बचाव कैसे करें?
- धूल भरे इलाकों में मास्क पहनें, धूल भरे मौसम में बाहर कम जाएं, और लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
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