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क्या Rosemary सच में घाव को बिना दाग़ के भर सकती है? नई साइंटिफिक स्टडी की पूरी सच्चाई

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नई रिसर्च के मुताबिक Rosemary में मौजूद कार्नोसिक एसिड TRPA1 रिसेप्टर को एक्टिवेट करके घाव भरने की स्पीड बढ़ा सकता है और स्कार कम कर सकता है—फिलहाल सिर्फ माउस स्टडी में। जानिए इसका सच, रिस्क और स्किनकेयर में सही उपयोग।

Rosemary:किचन की जड़ी–बूटी से स्कार–फ्री स्किन तक?

सोशल मीडिया पर पिछले कुछ समय से रोज़मेरी ऑयल और Rosemary–बेस्ड स्किनकेयर खूब ट्रेंड कर रहे हैं—खासकर हेयर ग्रोथ, ग्लो और “बिना दाग़ के घाव भरने” के दावों के साथ। अब दिलचस्प बात यह है कि पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी और दूसरी टीमों की नई रिसर्च वाकई दिखा रही है कि रोज़मेरी में मौजूद एक कंपाउंड कार्नोसिक एसिड घाव भरने की प्रक्रिया पर गहरा असर डाल सकता है। लेबोरेटरी माउस पर की गई स्टडीज़ में एक खास तरह की रोज़मेरी–आधारित क्रीम ने घाव जल्दी भरने, कम फाइब्रोसिस और ज्यादा “रीजनरेटिव” हीलिंग (जैसे बालों के फॉलिकल, ऑयल ग्लैंड और छोटे कार्टिलेज स्ट्रक्चर का वापस बनना) जैसा असर दिखाया।

हालांकि अभी यह सारे नतीजे मुख्य रूप से जानवरों पर और कंट्रोल्ड सेटिंग में दिखे हैं, लेकिन इससे यह संकेत अवश्य मिलता है कि Rosemary सिर्फ एक सुगंधित मसाला नहीं, बल्कि भविष्य में घाव और स्कार–ट्रीटमेंट के लिए सीरियस कैंडिडेट हो सकती है। साथ–ही–साथ, वैज्ञानिक टीम खुद चेतावनी देती है कि सोशल मीडिया पर चल रहे होममेड ऑयल या रैंडम प्रोडक्ट्स को इन नतीजों के बराबर मान लेना अभी वैज्ञानिक रूप से सही नहीं है।


कार्नोसिक एसिड क्या है और यह स्किन पर क्या करता है?

कार्नोसिक एसिड रोज़मेरी (Rosmarinus officinalis) और सेज जैसे पौधों में पाया जाने वाला एक डाइटरपेनिक पॉलीफेनॉल है, जो मजबूत एंटीऑक्सीडेंट और एंटी–इन्फ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। हेयर और स्किन पर हुई पिछली स्टडीज़ में यह हेयर फॉलिकल्स की प्रोटेक्शन, ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को घटाने और इंफ्लेमेशन कम करने में पॉज़िटिव असर दिखा चुका है, जिससे इसे एलोपेसिया और फोटो–डैमेज्ड स्किन जैसे क्षेत्रों में भी संभावित थेरेपी माना जा रहा है।

नई JCI Insight स्टडी में रिसर्चर्स ने खासतौर पर कार्नोसिक एसिड–रिच रोज़मेरी एक्सट्रैक्ट पर ध्यान दिया और पाया कि जब इसे वयस्क माउस की त्वचा पर लगाए गए फुल–थिकनेस वूंड मॉडल में टॉपिकली लगाया गया, तो यह न सिर्फ घाव बंद होने की स्पीड बढ़ाता है बल्कि फाइब्रोटिक स्कार–टीशू को कम करके टिश्यू स्ट्रक्चर को बच्चों जैसी “रीजनरेटिव” प्रोफाइल की तरफ शिफ्ट कर सकता है। यह वही गुण हैं जो मनुष्य के लिए लंबे समय से “स्कारलेस हीलिंग” का सपना रहे हैं।


TRPA1: स्किन नर्व पर छोटा–सा रिसेप्टर, बड़ा रोल

स्टडी का सबसे दिलचस्प हिस्सा यह था कि कार्नोसिक एसिड का असर सीधे–सीधे एक खास नर्व रिसेप्टर TRPA1 पर निर्भर पाया गया। TRPA1 (Transient Receptor Potential Ankyrin 1) एक सेंसरी आयन चैनल है जो दर्द, ठंड और केमिकल इरिटेंट्स (जैसे मस्टर्ड ऑयल, फॉर्मलिन आदि) को सेंस करने में मदद करता है। पहले के काम ने दिखाया था कि अगर TRPA1 को खास तरीके से एक्टिवेट किया जाए, तो कुछ जानवर मॉडल में स्किन की वूंड–हीलिंग बच्चों जैसी रीजनरेटिव पैटर्न की ओर शिफ्ट हो सकती है, खासकर ईयर–होल और बैक–स्किन वूंड मॉडल में।

नई रोज़मेरी स्टडी में जब कार्नोसिक एसिड वाली क्रीम TRPA1–डिफिशिएंट माउस पर लगाई गई, तो वह रीजनरेशन और स्कार–रिडक्शन वाला फायदा लगभग गायब हो गया, जबकि नॉर्मल TRPA1 वाले माउस में यह असर साफ दिखा। इसका मतलब यह निकाला गया कि कार्नोसिक एसिड TRPA1 को एक तरह से “फ्रेंडली ऑन” कर देता है, जिससे वूंड–हीलिंग सिर्फ स्कार बनाकर बंद नहीं होती, बल्कि बालों के फॉलिकल, ऑयल ग्लैंड और अन्य स्ट्रक्चर दोबारा बनने की दिशा में बढ़ सकती है।


मस्टर्ड ऑयल और इमिक्विमोड भी TRPA1 को ऑन करते हैं – फिर रोज़मेरी खास क्यों?

TRPA1 को एक्टिवेट करने वाले और भी एजेंट पहले से जाने जाते हैं, जैसे मस्टर्ड ऑयल, allyl isothiocyanate वाले मस्टर्ड–सीड कंपोनेंट्स और 5% इमिक्विमोड क्रीम, जो पहले की रिसर्च में रीजनरेटिव हीलिंग से जुड़े दिखे हैं। लेकिन इनके साथ सबसे बड़ी समस्या यह रही कि ये अक्सर काफी इरिटेशन, जलन और इंफ्लेमेशन पैदा करते हैं, जो रोज़मर्रा के वूंड–केयर या कॉस्मेटिक इस्तेमाल के लिए बहुत प्रैक्टिकल नहीं हैं।

रोज़मेरी/कार्नोसिक एसिड के साथ, माउस मॉडल में देखा गया कि TRPA1 एक्टिवेशन के बावजूद स्किन पर वह आक्रामक इरिटेशन नहीं हुआ जो मस्टर्ड ऑयल या इमिक्विमोड जैसी चीजों के साथ दिखता है। यही वजह है कि रिसर्चर्स इसे TRPA1–बेस्ड वूंड–हीलिंग स्ट्रेटेजी का “ज्यादा जेंटल और टॉलरबल” विकल्प मान रहे हैं, हालांकि इंसानों में सेफ्टी और डोज़–रेंज की जांच अभी बाकी है।


कितना “मैजिक” है, और कितनी “लैब रियलिटी”?

सबसे ज़रूरी बात यह है कि अभी तक की स्टडीज़ मुख्य रूप से माउस पर और कंट्रोल्ड वूंड मॉडल (जैसे कान में छोटा छेद, स्किन बायोप्सी–साइज कट) पर हुई हैं, जहां रोज़मेरी–एक्सट्रैक्ट या प्योर कार्नोसिक एसिड क्रीम सीधे घाव की जगह पर और तय डोज़ में लगाया गया। रोज़मर्रा के इंसानी घाव (सर्जरी इन्सिजन, मुंहासों के दाग़, जलन या ट्रॉमा) की हीलिंग इन मॉडल से काफी जटिल होती है, जिसमें इंफेक्शन, डायबिटीज़, ब्लड–सप्लाई, उम्र, दवाएं आदि कई फैक्टर जुड़े रहते हैं।

दूसरी बड़ी बात यह भी है कि स्टडी में रोज़मेरी क्रीम को घाव के आसपास की स्किन पर रैंडम नहीं, बल्कि घाव की साइट पर और समय–सीमा के साथ लगाया गया; जब इसे दूर की स्किन पर लगाया गया, तो लाभ नहीं दिखा। इसका मतलब यह है कि यह “पूरे चेहरे पर रोज़मेरी मल लो और दाग़ गायब” वाला मैजिक नहीं, बल्कि अच्छी–तरह फॉर्म्युलेटेड और साइंटिफिकली टेस्टेड टॉपिकल मेडिकेशन की तरह काम करने वाला उम्मीदवार हो सकता है।


होममेड रोज़मेरी ऑयल vs लैब–फॉर्म्युलेटेड क्रीम: बड़ा फर्क

सोशल मीडिया पर घूम रहे कई DIY वीडियो में लोग रोज़मेरी की टहनियों को तेल में उबाल–भूनकर, हफ्तों भीगाकर या एल्कोहल में डालकर “सुपर सीरम” बना रहे हैं, जो स्किन और बाल दोनों पर लगाने के लिए प्रमोट होता है। लेकिन रिसर्च में इस्तेमाल हुआ रोज़मेरी एक्सट्रैक्ट एक स्टैंडर्डाइज़्ड, कंट्रोल्ड कार्नोसिक एसिड–कंटेंट वाला फॉर्म्युलेशन था, न कि किचन–स्टाइल होममेड मिक्स।

होम–इन्फ्यूज़्ड ऑयल में कार्नोसिक एसिड की मात्रा और स्टेबिलिटी कितनी है, यह आमतौर पर किसी को नहीं पता; ऊपर से, गलत स्टोरेज, फंगस, सोल्वेंट–इरिटेशन और एलर्जी जैसे रिस्क अलग। वैज्ञानिक टीमों ने खुद इंटरव्यू और प्रेस–रिलीज़ में कहा है कि इंसानों में क्लीनिकल ट्रायल, डोज़–रेेंज, एलर्जी–प्रोफाइल और लॉन्ग–टर्म सेफ्टी पता लगे बिना किसी भी रोज़मेरी प्रोडक्ट को “मेडिकल वूंड–ट्रीटमेंट” मान लेना जल्दबाज़ी होगी, भले ही हल्की स्किनकेयर के लिए कुछ लोगों को फील–गुड रिज़ल्ट मिल रहे हों।


संभावित फ्यूचर यूज़: सर्जरी, जलन, मुंहासों के दाग़?

अगर आने वाले क्लीनिकल ट्रायल्स में रोज़मेरी–आधारित कार्नोसिक एसिड क्रीम इंसानों में भी सेफ और असरदार साबित होती है, तो इसके कुछ संभावित उपयोग इस तरह के हो सकते हैं:

  • सर्जरी के ताज़ा इन्सिजन पर स्कार कम करने के लिए (स्टिच हटने के बाद, डॉक्टर की निगरानी में)
  • बर्न–वूंड या स्किन ग्राफ्टिंग के बाद रीजनरेटिव हीलिंग सपोर्ट
  • एक्ने (मुंहासे) के बाद बनने वाले बॉक्सकार/रोलिंग स्कार्स में अर्ली–स्टेज ट्रीटमेंट सपोर्ट

इन सबमें कॉमन बात यह होगी कि प्रोडक्ट प्रिस्क्राइब्ड, क्लीनिकली टेस्टेड और रजिस्टर्ड मेडिकेशन/डर्मा–कॉस्मेटिक के रूप में आए, ना कि “होमकिचन मिक्स” के रूप में। साथ ही, डायबिटिक वूंड्स, डीप बर्न्स, इंफेक्टेड घाव या इम्यून–कम्प्रोमाइज्ड पेशेंट्स में इसकी जगह और लिमिटेशन अलग से टेस्ट करनी पड़ेगी, क्योंकि ऐसी सिचुएशन में इंफेक्शन कंट्रोल और ब्लड–फ्लो सबसे पहले आते हैं।


फिलहाल आम यूज़र्स के लिए प्रैक्टिकल गाइड

  • छोटे–मोटे कट, जलन या सर्जरी–वूंड में अभी भी गोल्ड–स्टैंडर्ड नियम हैं: साफ–सफाई, इंफेक्शन प्रिवेंशन, जरूरत हो तो टetanus/एंटीबायोटिक और डॉक्टर द्वारा सुझाए गए घाव–ड्रेसिंग या मेडिकेटेड क्रीम।
  • यदि आपकी स्किनकेयर रूटीन में पहले से रोज़मेरी–एक्सट्रैक्ट वाला प्रोडक्ट है और वह कोई जलन/एलर्जी नहीं कर रहा, तो रिसर्च के मुताबिक यह संभावना है कि उसमें मौजूद कार्नोसिक एसिड स्किन बैरियर और हीलिंग पर कुछ पॉज़िटिव असर डाल रहा हो।
  • लेकिन खुले, गहरे या ताज़ा घाव पर, खासकर सर्जरी या डायबिटीक वूंड जैसी सिचुएशन में, किसी भी हर्बल–प्रोडक्ट या DIY ऑयल को बिना डॉक्टर की सलाह के सीधे लगाना रिस्की हो सकता है—इससे इंफेक्शन या एलर्जिक रिएक्शन का खतरा बढ़ सकता है।

(FAQs)

1. क्या मैं छोटे कट या निशान पर सीधे रोज़मेरी ऑयल लगा सकता/सकती हूं ताकि स्कार न बने?
अभी तक क्लीनिकल डेटा इंसानों पर इतना मजबूत नहीं है कि रोज़मेरी ऑयल को “ऑफिशियल वूंड–ट्रीटमेंट” कहा जा सके; जो स्टडीज़ हुई हैं, वे माउस पर और खास तरह की लैब–फॉर्म्युलेटेड क्रीम के साथ हुई हैं। छोटे, साफ घाव पर अगर कोई कॉस्मेटिक रोज़मेरी–क्रीम इस्तेमाल करना चाहें तो पहले पैच टेस्ट और डॉक्टर की सलाह लेना बेहतर है, और गहरे/इंफेक्टेड वूंड पर इसे पेशेवर इलाज का विकल्प नहीं माना जा सकता।

2. क्या रोज़मेरी क्रीम से पुराने दाग़ और पुरानी सर्जरी–स्कार भी गायब हो सकते हैं?
फिलहाल उपलब्ध रिसर्च नई चोटों और सक्रिय वूंड–हीलिंग फेज़ पर केंद्रित है, जहां टॉपिकल कार्नोसिक एसिड से स्कार–फॉर्मेशन कम और रीजनरेशन ज्यादा दिखा। बहुत पुराने, परिपक्व स्कार्स पर इसका कितना असर होगा, इस पर अभी ठोस ह्यूमन डेटा नहीं है, इसलिए अभी इसे “पुराने दाग़ मिटाने वाली क्रीम” कहना वैज्ञानिक रूप से ठीक नहीं।

3. रोज़मेरी या कार्नोसिक एसिड से कोई साइड–इफेक्ट भी हो सकता है?
माउस मॉडल में रोज़मेरी–एक्सट्रैक्ट क्रीम ने मस्टर्ड ऑयल या इमिक्विमोड जैसे TRPA1–एक्टिवेटर की तुलना में कम इरिटेशन दिखाया, लेकिन इंसानों में कुछ लोगों को फिर भी एलर्जिक रिएक्शन, कांटैक्ट डर्मेटाइटिस या जलन हो सकती है—जैसा किसी भी एसेंशियल–ऑयल या हर्बल–एक्सट्रैक्ट के साथ होता है। इसलिए किसी भी नए रोज़मेरी–प्रोडक्ट को पहले छोटी जगह पर टेस्ट करना और लालिमा/खुजली होने पर तुरंत बंद करना ज़रूरी है।

4. क्या रोज़मेरी खाने से (जैसे चाय या मसाले के रूप में) वूंड–हीलिंग पर वही असर होगा?
रिसर्च में जो मेकनिज़्म दिखा है, वह खास तौर पर “टॉपिकल”, यानी घाव की जगह पर सीधे लगाए गए कार्नोसिक एसिड–क्रीम से जुड़ा है, न कि रोज़मेरी खाने या पीने से। रोज़मेरी का सीमित मात्रा में फूड या टी में इस्तेमाल सामान्यतः सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसे स्कार–फ्री हीलिंग की बराबर की थेरेपी मानना अभी सही नहीं है।

5. आने वाले सालों में हमें रोज़मेरी–आधारित वूंड–क्रीम बाज़ार में दिखने लगेगी?
कई डर्मेटोलॉजी और कॉस्मेटिक–साइंस रिपोर्ट्स यह संकेत दे रही हैं कि इन प्रीक्लीनिकल नतीजों के बाद इंडस्ट्री रोज़मेरी/कार्नोसिक एसिड–बेस्ड टॉपिकल्स पर काम तेज़ करेगी, खासकर “पोस्ट–प्रोसीजर”, “पोस्ट–एक्ने” और “माइल्ड स्कार” के सेगमेंट में। लेकिन किसी भी सीरियस मेडिकल वूंड–ट्रीटमेंट के रूप में इसे स्वीकार करने से पहले फेज़–वाइज़ ह्यूमन ट्रायल, रेगुलेटरी अप्रूवल और लॉन्ग–टर्म सेफ्टी डेटा ज़रूरी होगा, जिसमें कुछ साल तो लग ही सकते हैं।

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