Home उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा- विकास की नई पहचान बनेगा गोरखपुर का प्राणि उद्यान
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा- विकास की नई पहचान बनेगा गोरखपुर का प्राणि उद्यान

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गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रंगों-उमंगों के पर्व होली के उपलक्ष्य में शनिवार को पूर्वांचलवासियों ज्ञान व मनोरजंन के केंद्र के रूप में गोरखपुर चिड़ियाघर की सौगात दी। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद अशफाकउल्ला खां के नाम से बने प्राणि उद्यान का लोकार्पण करने के साथ ही उन्होंने तमाम खूबियों से नायाब इस परिसर का भ्रमण व निरीक्षण किया। इस अवसर पर यहां आयोजित लोकार्पण समारोह में सीएम योगी ने कहा कि गोरखपुर का यह प्राणि उद्यान विकास की नई पहचान बना है। यह पर्यटन का माध्यम और रोजगार का साधन भी बना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कानपुर और लखनऊ के बाद यह प्रदेश का तीसरा चिड़ियाघर है। 151 वन्यजीव यहां आ चुके हैं। इनकी संख्या 400 तक पहुंचाई जाएगी। उन्होंने चिड़ियाघर प्रबंधन से कहा कि दीपावली तक यहां कुछ और नयापन दिखना चाहिए। निरंतरता बनी रहनी चाहिए। उन्होंने चिड़ियाघर में अपने भ्रमण के दौरान बब्बर शेर और बंगाल टाइगर के दिखने का जिक्र करते हुए कहा कि इस ज़ू में कई विशिष्ट चीजें भी हैं। मसलन, यहां 7 डी थिएटर में कम समय में प्रकृति के साथ समन्वय बनाया जा सकता है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखपुर चिड़ियाघर कल रविवार से आमजन के लिए खोल दिया जाएगा। इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से कहा कि एक माह तक स्कूली बच्चों के मनोरंजन व ज्ञानवर्धन के लिए यहां प्रवेश मुफ्त दिया जाना चाहिए। इस दौरान मास्क व सामाजिक दूरी का भी ध्यान रखा जाए। हर दिन के लिए अलग अलग दिन तय किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई स्कूल या कोई व्यक्ति वन्यजीव को गोद लेता है तो उसका उल्लेख जीव के बाड़े पर किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चिड़ियाघर का संरक्षण नागरिकों का भी दायित्व है। उन्होंने अपील की कि ज़ू में प्लास्टिक या पॉलीथिन लेकर न आएं, अस्त्र शस्त्र लेकर आने, धूम्रपान, ज़ू की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से बचे। कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे वन्यजीवों में भय या उत्तेजना हो। इस दौरान उन्होंने लखनऊ चिड़ियाघर का उदाहरण देते हुए कहा कि लखनऊ चिड़ियाघर का यह सौंवा साल है। पर्यटन, ज्ञान व मनोरंजन केंद्र, रोजगार के साधन के रूप में इसकी प्रासंगिकता आज भी कायम है।

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