CDSCO ने छह राज्यों में खांसी की दवाईयों की सख्त जांच शुरू की, बच्चों की मौत से जुड़ी चिंताएं बढ़ीं। जानिए जांच की प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय।
खतरनाक दवा घोटाले: खांसी की सिरप से बच्चों की मौतें, CDSCO जांच तेज
सीडीएससीओ ने छह राज्यों में खांसी की दवाओं की गुणवत्ता जांच के लिए जोखिम-आधारित निरीक्षण शुरू किया है, क्योंकि मध्य प्रदेश में संदूषित खांसी सिरप से बच्चों की मौतों की रिपोर्ट मिली है। यह लेख इस गंभीर मुद्दे पर विस्तार से प्रकाश डालता है, जिसमें वैज्ञानिक तथ्यों, स्वास्थ्य प्रभावों, और दवा सुरक्षा उपायों को शामिल किया गया है।
सीडीएससीओ के जोखिम-आधारित निरीक्षण: बच्चों की सुरक्षा के लिए कड़ी योजना
हाल की घटनाओं में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा क्षेत्र में खांसी सिरप के सेवन से कई बच्चों की मृत्यु होने की खबरें सामने आईं। इस मामले की गहन जांच के लिए केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने छह राज्यों में 19 दवा निर्माण इकाइयों में जोखिम-आधारित निरीक्षण शुरू किया है। यह पहल यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि दवाओं की गुणवत्ता उच्चतम मानकों के अनुरूप हो और ऐसी त्रासदियों को पुनः रोकने के उपाय लागू हो सकें।
दूषित सिरप में पाया गया डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG): खतरनाक विषाक्त पदार्थ
टीमों ने दुर्घटना से जुड़े दवा नमूनों का परीक्षण किया, जिसमें विशेष रूप से डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) की जांच की गई। DEG एक जहरीला औद्योगिक विलायक है, जिसे दवाओं में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह किडनी फेलियर, लीवर क्षति, और यहां तक कि मौत तक का कारण बन सकता है। तमिलनाडु के कांचीपुरम में बना “कोल्डरिफ” खांसी सिरप, जिसे Sresan Pharma द्वारा निर्मित किया गया था, में DEG की मात्रा अनुमत सीमा से अधिक पाई गई।
सरकारी कार्रवाई और प्रतिबंध
तमिलनाडु सरकार ने इस दवा की बिक्री पर 1 अक्टूबर से पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है और इसे बाजार से तुरंत हटा दिया गया है। मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों ने भी प्रभावित दवाओं के नियंत्रण और जांच को सख्त किया है। इस मामले की जांच में ICMR, AIIMS नागपुर, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI), और अन्य शीर्ष स्वास्थ्य संस्थान शामिल हैं।
गुणवत्ता नियंत्रण के लिए निगरानी प्रणाली
यह जांच दवा निर्माण की गुणवत्ता नियंत्रण प्रणालियों को मजबूत बनाने और कच्चे माल की जांच और आपूर्ति श्रृंखला की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक कदम है। CDSCO ने सभी संबंधित राज्य नियामकों को बेहतर निरीक्षण और निगरानी के निर्देश दिए हैं ताकि बाजार में उपलब्ध सभी दवाएं सुरक्षित और प्रभावी हों।
बच्चों की दवाओं की सुरक्षा: भविष्य के लिए सुझाव
- केवल प्रमाणित और स्वीकृत दवाएं खरीदें।
- संदिग्ध या अवैध बाजार से दवाएं न लें।
- दवा की लेबलिंग, निर्माण तिथि, समाप्ति तिथि, और निर्माता की जांच करें।
- यदि किसी दवा से संदेह हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- सरकारी और आधिकारिक सूचनाओं का पालन करें।
भारत के दवा विनियमन प्रणाली में यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि हमें दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। CDSCO की यह जांच इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बच्चों को सुरक्षित दवाएं प्रदान करने के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।
(FAQs):
- डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) क्यों खतरनाक है?
DEG एक जहरीला औद्योगिक विलायक है, जो किडनी और लीवर को नुकसान पहुंचाता है और इसके सेवन से मौत भी हो सकती है। - CDSCO क्या करता है?
CDSCO भारत की केंद्रीय दवा नियामक संस्था है जो दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता की जांच करती है। - बच्चों के लिए खांसी की दवाओं में सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करें?
प्रमाणित ब्रांड्स से दवा लें, और डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएं न लें। - यह जांच कब शुरू हुई और किन राज्यों में है?
जांच 3 अक्टूबर 2025 से शुरू हुई है और छह राज्यों में फैली हुई है, जिनमें मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान प्रमुख हैं। - DEG से दूषित दवाओं का पता कैसे चलाया जाता है?
उन्नत लैब परीक्षण जैसे थिन लेयर क्रोमैटोग्राफी और गैस क्रोमैटोग्राफी से परीक्षण किया जाता है। - आम जनता इस तरह की घटनाओं से कैसे सुरक्षित रह सकती है?
सरकारी सूचनाओं का पालन करें, संदिग्ध दवाओं से बचें, और किसी भी दवा से संबंधित समस्या होने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
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