चीन ने G7 पर आंतरिक मामलों में दखल देने और कोल्ड वॉर मानसिकता बरतने का आरोप लगाते हुए इसके बयान को कड़ा विरोध जताया है।
चीन ने G7 को कोल्ड वॉर सोच छोड़ने और विवादित बयान बंद करने का किया आह्वान
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता [translate:लिन जियान] ने G7 देशों के एक संयुक्त बयान को कड़ा विरोध किया है, जिसमें बीजिंग द्वारा अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने पर चिंता जताई गई थी। उन्होंने इस बयान को ‘कोल्ड वॉर मानसिकता’ और चीन के आंतरिक मामलों में ‘गंभीर दखलअंदाजी’ बताया।
बीजिंग में एक नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान [translate:लिन जियान] ने कहा कि G7 का बयान तथ्यों की अवहेलना करता है, सही और गलत को उलट-पुलट करता है, और चीन की बदनामी करने का प्रयास करता है। चीन इस बयान से बेहद नाखुश और विरोध करता है।
G7 ने न्यूयॉर्क में दो दिवसीय बैठक के बाद अपने संधिवचन में चीन के नाभिकीय हथियारों और सैन्य गतिविधियों पर अधिक पारदर्शिता की मांग की थी। इस बैठक में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन के साथ भारत, ब्राज़ील, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको और यूक्रेन भी भागीदार थे।
[translate:लिन] ने G7 पर पाखंड और दोहरे मानदंडों का आरोप लगाया, जहां अमेरिका और AUKUS सुरक्षा गठबंधन के कारण उत्पन्न खतरे को नज़रअंदाज किया लेकिन चीन को दोषी ठहराया। उन्होंने G7 पर वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करके स्थिरता को खतरे में डालने का भी आरोप लगाया।
चीन ने G7 से आग्रह किया है कि वे कोल्ड वॉर की मानसिकता और वैचारिक पक्षपात को छोड़ दें, अपने व्यावसायिक हितों को राजनीतिक हथियार बनाने की राजनीति बंद करें और वैश्विक समुदाय में एकजुटता और सहयोग बढ़ाएं।
यह बयान चीन और पश्चिमी देशों के बीच रक्षा, व्यापार और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर बढ़ते तनाव का संकेत है। चीन अपने सैन्य आधुनिकीकरण को पूरी तरह से रक्षात्मक बताते हुए पश्चिमी देशों को अपने दायित्वों पर विचार करने के लिए कहा है।
FAQs:
- चीन ने G7 के बयान पर क्या प्रतिक्रिया दी?
- G7 के बयान में किन बातों पर चीन ने आपत्ति जताई?
- चीन ने G7 से क्या अपेक्षाएं जताई हैं?
- G7 में किन देशों ने भाग लिया और किन विषयों पर चर्चा हुई?
- इस विवाद का वैश्विक राजनीति पर क्या प्रभाव होगा?
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