टीएमसी एमएलए हुमायूं कबीर ने 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण की घोषणा की है, जिससे राजनीतिक विवाद छिड़ गया।
बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण: टीएमसी और बीजेपी के बीच नई राजनीतिक बहस
मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद का भूमिपूजन और राजनीतिक विवाद
टीएमसी के विधायक हुमायूं कबीर ने एक बड़ा राजनीतिक बयान देते हुए कहा है कि 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की नींव रखी जाएगी। यह तारीख 1992 में अयोध्या में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस की 33वीं वर्षगांठ के दिन है। कबीर ने दावा किया कि मस्जिद तीन वर्षों में बनकर तैयार हो जाएगी और इसमें मुस्लिम नेता भी शामिल होंगे।
बीजेपी की कड़ी प्रतिक्रिया
बीजेपी ने इस घोषणा को ‘वोट बैंक राजनीति’ और ‘प्रशांतिपूर्वक राजनीति’ करार दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि टीएमसी इस बयान के माध्यम से हिन्दुओं को अपमानित कर वोट बैंक हासिल करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह बयान विवादित है और इससे राजनीतिक माहौल और गर्मा सकता है।
टीएमसी के अलग रुख
टीएमसी के उत्तर 24 परगना के विधायक निर्मल घोष ने स्पष्ट किया है कि हुमायूं कबीर की बयानबाजी पार्टी की नीति के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कबीर पार्टी के संपर्क में नहीं हैं और उनके बयान पार्टी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। पार्टी ने उनके बयानों को पार व्यक्ति की राय माना है।
राजनीतिक और सामाजिक असर
बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण लंबे समय से भारत में एक संवेदनशील विषय रहा है। इस नए बयान ने आगामी विधानसभा चुनाव 2026 में राजनीतिक गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है। इसे दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ाने वाला कदम भी माना जा रहा है, जिससे राजनीतिक पार्टियों को चुनावी लाभ और नुकसान दोनों हो सकते हैं।
FAQs:
- बाबरी मस्जिद पुनर्निर्माण के लिए कब और कहां नींव रखी जाएगी?
- टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने कैसी घोषणा की?
- बीजेपी ने इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया दी?
- टीएमसी का इस बयान पर क्या रुख है?
- बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण भारतीय राजनीति में क्यों संवेदनशील विषय है?
Leave a comment