कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मोदी की पुरानी फोटो शेयर कर BJP-RSS की संगठन शक्ति की तारीफ की, कहा RSS कार्यकर्ता गंजे को भी कंघी बेच सकते हैं। विवाद बढ़ा तो सफाई दी कि वे RSS और मोदी के कट्टर विरोधी हैं। BJP ने इसे कांग्रेस हाईकमान पर ‘ट्रुथ बम’ बताया।
‘गंजे को भी कंघी बेच सकते हैं’: दिग्विजय का RSS पर बड़ा बयान, कांग्रेस में खलबली!
दिग्विजय सिंह का नया विवाद: RSS की तारीफ, फिर सफाई
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह एक बार फिर बयानबाजी से सुर्खियों में हैं। उन्होंने पहले सोशल मीडिया पर बीजेपी और RSS की संगठन क्षमता की तारीफ की, फिर इंटरव्यू में कहा कि संघ के कार्यकर्ता इतने प्रभावी हैं कि “गंजे आदमी को भी कंघी बेच सकते हैं।”
ये पूरा विवाद उस समय उठा जब कांग्रेस की वर्किंग कमेटी (CWC) की मीटिंग चल रही थी और पार्टी के भीतर संगठन सुधार को लेकर चर्चा तेज थी। दिग्विजय की पोस्ट और बाद की टिप्पणी को कांग्रेस हाईकमान पर इशारा और अंदरूनी असंतोष का संकेत माना जा रहा है।
मोदी की पुरानी फोटो और ‘पावर ऑफ ऑर्गनाइजेशन’
दिग्विजय सिंह ने X (पूर्व ट्विटर) पर एक पुरानी ब्लैक-ऐंड-व्हाइट फोटो शेयर की, जो उन्होंने Quora से ली बताई। तस्वीर में 1990 के दशक के एक कार्यक्रम में LK आडवाणी कुर्सी पर बैठे हैं और युवा नरेंद्र मोदी अन्य कार्यकर्ताओं के साथ फर्श पर बैठे दिख रहे हैं।
उन्होंने लिखा कि यह फोटो दिखाती है कि कैसे RSS का एक ग्रासरूट स्वयंसेवक और जनसंघ/BJP का साधारण कार्यकर्ता, जो पहले नेताओं के पैरों के पास ज़मीन पर बैठता था, आगे चलकर किसी राज्य का मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। इसे उन्होंने “ऑर्गनाइजेशन की शक्ति” बताया और पोस्ट को “जय सिया राम” के साथ समाप्त किया।
उन्होंने इस पोस्ट में कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल के साथ पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को टैग भी किया, जिसे कई लोगों ने कांग्रेस लीडरशिप के नाम सीधा संदेश माना।
‘गंजे को भी कंघी बेच सकते हैं’: RSS की ग्राउंड ताकत पर कमेंट
पोस्ट पर हंगामा बढ़ने के बाद एक TV इंटरव्यू में जब दिग्विजय से पूछा गया कि क्या कांग्रेस RSS से संगठन चलाने की कला सीख सकती है, तो उन्होंने साफ कहा कि “बिलकुल, संगठन की ताकत इतनी है कि वो घर-घर जाकर गंजे आदमी को भी कंघी बेच सकते हैं।”
उन्होंने माना कि RSS नेटवर्क के कार्यकर्ता बेहद कमिटेड हैं, घर-घर पहुंचते हैं और मैसेज बेचने की उनकी क्षमता असाधारण है। उसी संदर्भ में उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से वैसी ही प्रतिबद्धता की जरूरत पर जोर दिया।
सफाई: ‘मैं RSS, मोदी और BJP का कट्टर विरोधी हूं’
विवाद बढ़ने पर दिग्विजय सिंह ने मीडिया से कहा कि उन्होंने सिर्फ संगठन की ताकत की बात की, लेकिन विचारधारा से उनकी असहमति बरकरार है। उन्होंने NDTV सहित कई चैनलों को दिए बयान में दोहराया कि वे RSS की विचारधारा के खिलाफ हैं, क्योंकि उनके मुताबिक संघ संविधान का पालन नहीं करता।
उन्होंने कहा कि वे BJP, प्रधानमंत्री मोदी और RSS के “कट्टर विरोधी” हैं और रहेंगे, लेकिन विरोधी दल से भी संगठन की सकारात्मक बात सीखी जा सकती है। यह स्पष्टीकरण तब आया जब उनके बयान को लेकर कांग्रेस के भीतर असहजता झलकने लगी और सोशल मीडिया पर समर्थकों के बीच बहस छिड़ गई।
कांग्रेस के भीतर हलचल और ‘रिफॉर्म’ की पृष्ठभूमि
यह विवाद उस समय सामने आया जब दिग्विजय सिंह ने कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में ऑर्गनाइजेशनल रिफॉर्म की जरूरत पर जोर दिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, CWC की बैठक में भी उन्होंने सत्ता केंद्रीकरण पर सवाल उठाते हुए कहा कि संगठन में शक्ति विकेंद्रीकृत कर राज्यों और ग्रासरूट लेवल तक पहुंचानी होगी, सिर्फ दिल्ली ‘हाईकमान’ के पास फैसले नहीं रहने चाहिए।
उनका तर्क था कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति तो हो जाती है, लेकिन उनकी कमेटियां नहीं बन पातीं और बिना दिल्ली की मंजूरी कोई नियुक्ति नहीं होती, जिससे काम अटका रहता है। इस संदर्भ में BJP-RSS की कैडर-बेस्ड स्ट्रक्चर और मोदी के ‘वर्कर टू PM’ मॉडल को उन्होंने एक उदाहरण के रूप में रखा।
BJP का पलटवार: ‘ट्रुथ बम’ और कांग्रेस हाईकमान पर वार
BJP ने इस पूरे एपिसोड को कांग्रेस पर हमला करने का मौका बना लिया। पार्टी प्रवक्ता C R केसवन ने X पर लिखा कि दिग्विजय सिंह का पोस्ट दिखाता है कि कांग्रेस की ‘फर्स्ट फैमिली’ पार्टी को किस तरह तानाशाही ढंग से चलाती है। उन्होंने पूछा कि क्या राहुल गांधी में इतनी हिम्मत है कि वे दिग्विजय के ‘ट्रुथ बम’ पर प्रतिक्रिया देंगे।
एक अन्य BJP प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने दिग्विजय पर तंज करते हुए कहा कि उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ खुलेआम असहमति जताई है। तेलंगाना और अन्य राज्यों के BJP नेताओं ने भी इसे इस रूप में पेश किया कि कांग्रेस के अनुभवी नेता तक अब RSS-BJP की संगठन क्षमता स्वीकार कर रहे हैं।
Congress की सार्वजनिक लाइन: RSS से ‘कुछ सीखने जैसा नहीं’
कई कांग्रेस नेताओं ने मीडिया में बयान दिया कि RSS से “कुछ सीखने जैसा नहीं” है और विचारधारा की लड़ाई में किसी तरह का भ्रम पैदा नहीं होना चाहिए। कुछ नेताओं ने गोडसे-गांधी विवाद की याद दिलाते हुए संघ की विचारधारा को सीधे-सीधे महात्मा गांधी की हत्या की राजनीति से जोड़ा। इससे साफ हुआ कि पार्टी आधिकारिक रूप से दिग्विजय के सॉफ्ट टोन से दूरी बनाना चाहती है।
तालिका: दिग्विजय के बयान और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
भविष्य की राजनीति पर असर
- कांग्रेस के अंदरूनी लोकतंत्र और हाईकमान संस्कृति पर बहस तेज होगी, खासकर तब जब राष्ट्रीय स्तर पर लगातार चुनावी हारें चर्चाओं में हैं।
- BJP इस एपिसोड को 2026 के चुनावों में नैरेटिव के रूप में इस्तेमाल कर सकती है कि “खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी हमारे संगठन की ताकत और उनके मुकाबले कांग्रेस की कमजोरी मान रहे हैं।”
- दिग्विजय सिंह की इमेज ‘हार्डकोर विरोधी’ से थोड़ा ‘स्ट्रैटेजिक क्रिटिक’ की तरफ शिफ्ट दिखेगी, लेकिन RSS-विरोधी बयान से वे अपना पारंपरिक सेक्युलर-कोर बेस बचाए रखना चाहेंगे।
5 FAQs
- दिग्विजय सिंह ने RSS को लेकर क्या विवादित बयान दिया?
उन्होंने कहा कि RSS कार्यकर्ता इतने असरदार हैं कि “घर-घर जाकर गंजे आदमी को भी कंघी बेच सकते हैं”, यानी उनकी संगठन क्षमता और कन्विंसिंग पावर बहुत मजबूत है। - मोदी की कौन-सी फोटो शेयर कर विवाद शुरू हुआ?
उन्होंने 1990 के दशक की एक पुरानी फोटो शेयर की, जिसमें युवा नरेंद्र मोदी LK आडवाणी के पास फर्श पर बैठे दिख रहे हैं, और इसे “पावर ऑफ ऑर्गनाइजेशन” का उदाहरण बताया। - क्या दिग्विजय ने BJP-RSS की विचारधारा का समर्थन किया?
नहीं, बाद में सफाई में उन्होंने कहा कि वे RSS और मोदी के “कट्टर विरोधी” हैं और केवल संगठन क्षमता की बात कर रहे थे, विचारधारा से उनकी असहमति जारी है। - BJP ने इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया दी?
BJP प्रवक्ताओं ने इसे कांग्रेस हाईकमान पर ‘ट्रुथ बम’ बताया और कहा कि इससे कांग्रेस नेतृत्व का “तानाशाही और अलोकतांत्रिक” चेहरा उजागर हुआ है, साथ ही RSS-BJP की ताकत की अप्रत्यक्ष स्वीकारोक्ति भी दिखती है। - कांग्रेस के भीतर इसे कैसे देखा जा रहा है?
कई नेता इसे अनुचित मान रहे हैं और कहते हैं कि RSS से “कुछ सीखने जैसा नहीं” है। इसे पार्टी के अंदर ऑर्गनाइजेशनल रिफॉर्म और हाईकमान कल्चर पर असहमति के संकेत के रूप में भी पढ़ा जा रहा है।
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