भारत-रूस मासिक रुपया-रूबल एक्सचेंज रेट पर विचार कर रहे। डॉलर सैंक्शंस से बचने, ट्रेड कॉस्ट घटाने और 100 अरब डॉलर टारगेट के लिए। FY25 में 68.7 अरब ट्रेड, लेकिन 64 अरब इंपोर्ट डेफिसिट।
रूस ऑयल पेमेंट्स में रुपया-रूबल डायरेक्ट: भारत का नया कदम, ट्रेडरों की परेशानी दूर?
भारत-रूस व्यापार को नई गति: मासिक रुपया-रूबल एक्सचेंज रेट का प्लान
भारत और रूस द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मासिक आधार पर रुपया-रूबल एक्सचेंज रेट तय करने पर विचार कर रहे हैं। ये सेमी-फ्लोटिंग रेट करेंसी कन्वर्जन कॉस्ट घटाएगा और सैंक्शंस के बीच लोकल करेंसी ट्रेड को आसान बनाएगा। वर्तमान में ज्यादातर ट्रेड लोकल करेंसी या थर्ड करेंसी जैसे दिरहम से होता है, क्योंकि डॉलर ट्रांजेक्शंस पर पश्चिमी सैंक्शंस का दबाव है। इससे रुपया इंटरनेशनलाइजेशन को भी बूस्ट मिलेगा।
इंडस्ट्री सोर्सेज के मुताबिक, इंडायरेक्ट कन्वर्जन से फॉरेक्स कॉस्ट 4-5% ज्यादा पड़ता है, जबकि डायरेक्ट लोकल करेंसी सेटलमेंट सस्ता। ये RBI और रूसी सेंट्रल बैंक के बीच कोऑर्डिनेशन से होगा। 2022 यूक्रेन इनवेजन के बाद रुपया सेटलमेंट शुरू हुआ, लेकिन ट्रेड बैलेंस स्क्यूड होने से तेज नहीं बढ़ा। अब पुतिन की 4-5 दिसंबर दिल्ली विजिट के बाद मोमेंटम आया।
ट्रेड इम्बैलेंस: बड़ी चुनौती
FY25 में भारत-रूस मर्चेंडाइज ट्रेड 68.7 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल से 5% ऊपर। लेकिन एक्सपोर्ट सिर्फ 5 अरब डॉलर, जबकि इंपोर्ट 64 अरब – ज्यादातर डिस्काउंटेड रशियन क्रूड ऑयल। ट्रेड डेफिसिट बढ़ा, जिससे Vostro अकाउंट्स में 60 अरब रुपये सालाना जमा हो रहे। 2030 तक 100 अरब ट्रेड टारगेट के लिए एक्सपोर्ट बढ़ाना जरूरी। रूस के 200 अरब इंपोर्ट बास्केट में ऑटो, ऑटो पार्ट्स, फार्मा जैसे आइटम्स जहां भारत घुस सकता।
रशियन ऑयल पेमेंट्स डी-डॉलराइज्ड: UAE दिरहम, रुपये, युआन से। लेकिन ट्रेडर्स चाइनीज युआन में पेमेंट डिमांड कर रहे। 2024 से सेंट्रल बैंक डायरेक्ट रेट मॉडालिटी पर बात कर रहे, डॉलर पेगिंग से बचते हुए।
सैंक्शंस का असर: पश्चिमी दबाव बढ़ा
2025 में वेस्ट ने रूस पर सैंक्शंस टाइट किए। US ने रोसनेफ्ट-लुकोइल पर पाबंदी लगाई, जो भारत के क्रूड इंपोर्ट्स प्रभावित करेगी। EU का 19वां पैकेज: सेंट्रल एशिया बैंक्स पर ट्रांजेक्शन बैन, रशियन पेमेंट सिस्टम्स ब्लॉक, थर्ड कंट्री क्रूड बायर्स पर सैंक्शंस। इससे डॉलर-यूरो चैनल्स मुश्किल, लोकल करेंसी फोकस तेज।
RBI ने रुपया ट्रेड इकोसिस्टम मजबूत किया। अक्टूबर में Vostro बैलेंस के इस्तेमाल को आसान बनाया। सितंबर 2023 में लावरोव ने कहा था कि रशियन बैंक्स में अरबों रुपये जमा हैं, जो यूज नहीं हो पा रहे। RBI ने इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस सुझाए।
चुनौतियां: स्ट्रक्चरल हर्डल्स
रशियन बैंक्स इंडियन एक्सपोर्टर्स को रुपया करेंट अकाउंट खोलने को कहते, लेकिन क्रॉस-बॉर्डर ट्रेड के लिए NOC चाहिए। ये प्रोसेस स्लो। मल्टीनेशनल बैंक्स सैंक्शंस फियर से रशियन पेमेंट्स रिजेक्ट करते। नवंबर में EEPC इंडिया ने कहा कि रशियन बैंक्स पर सैंक्शंस से पेमेंट डिले, e-BRC इश्यू नहीं हो रहे। डायरेक्ट रुपया-रूबल मैकेनिजम जरूरी।
मौजूदा vs प्रस्तावित सिस्टम: तुलना तालिका
| विशेषता | मौजूदा (इंडायरेक्ट) | प्रस्तावित (डायरेक्ट मासिक रेट) |
|---|---|---|
| करेंसी | दिरहम/युआन/डॉलर | रुपया-रूबल डायरेक्ट |
| कॉस्ट | 4-5% ज्यादा | कम, डायरेक्ट सेटलमेंट |
| स्पीड | डिले, NOC जरूरी | तेज, RBI-रशियन बैंक कोऑर्ड |
| ट्रेड वॉल्यूम | धीमी ग्रोथ | 100 अरब टारगेट बूस्ट |
| इंप्लिमेंटेशन | Vostro पाइल-अप | बैलेंस यूज आसान |
एक्सपोर्ट बूस्ट के मौके
रूस इंपोर्ट करता है ऑटोमोबाइल्स (मारुति, टाटा), ऑटो कंपोनेंट्स (मदुरै, पुणे क्लस्टर्स), फार्मास्यूटिकल्स (सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज)। भारत ये सब बना सकता। गवर्नमेंट रेगुलेटर्स पाथवे बना रहे, अब बिजनेस को स्टेप फॉरवर्ड लेना। मोदी की 2024 मॉस्को विजिट में 100 अरब कमिटमेंट।
भविष्य: रुपया ग्लोबल प्लेयर
ये प्लान रुपया को इंटरनेशनल करेंसी बनाने की दिशा। UAE, मलेशिया, श्रीलंका पहले से रुपया ट्रेड कर रहे। रूस के साथ सफलता से अन्य BRICS कंट्रीज को एक्सटेंड। सैंक्शंस के दौर में स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप मजबूत।
अन्य अपडेट्स
- क्रूड इंपोर्ट्स: रूस भारत का टॉप सप्लायर, 35% मार्केट शेयर।
- ट्रेडर्स डिमांड: युआन पेमेंट्स, लेकिन रुपया प्रेफर।
- RBI रिफॉर्म्स: Vostro यूजेज बढ़ा।
ये कदम भारत-रूस इकोनॉमिक टाई को नई ऊंचाई देंगे।
5 FAQs
- रुपया-रूबल मासिक एक्सचेंज रेट क्या है?
मासिक आधार पर तय डायरेक्ट रेट, ताकि लोकल करेंसी से ट्रेड आसान हो और कॉस्ट 4-5% कम हो। - भारत-रूस ट्रेड FY25 में कितना रहा?
68.7 अरब डॉलर, एक्सपोर्ट 5 अरब, इंपोर्ट 64 अरब (ज्यादातर क्रूड ऑयल)। - सैंक्शंस से ट्रेड कैसे प्रभावित?
डॉलर चैनल्स ब्लॉक, इसलिए दिरहम/रुपया/युआन शिफ्ट। Vostro में रुपये पाइल-अप। - 2030 टारगेट क्या?
दोनों देश 100 अरब डॉलर बाइलेटरल ट्रेड का लक्ष्य। - एक्सपोर्टर्स को क्या चुनौतियां?
NOC, पेमेंट डिले, मल्टीनेशनल बैंक्स रिजेक्ट। RBI सिम्प्लिफाई कर रहा।
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