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माँ का वादा और 150 Degrees:ऐसा शख्स जो आज भी है Student

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Professor Parthiban
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माँ से किए एक वादे ने कैसे बनाया एक आम इंसान को 150 Degrees का मालिक? जानें Professor Parthiban की अविश्वसनीय कहानी, जो अपनी 90% सैलरी सिर्फ पढ़ाई पर खर्च करते हैं। शिक्षा के प्रति इस अतुल्य समर्पण और जुनून से सीखें जीवन का असली पाठ।

150 Degrees वाले प्रोफेसर: माँ से किए एक वादे ने बनाया दुनिया का सबसे बड़ा ‘Student’

कल्पना कीजिए, एक इंसान जिसके पास एक नहीं, दो नहीं, बल्कि पूरे 150 से ज्यादा एकेडेमिक डिग्रियाँ हैं। यह कोई कहानी नहीं, बल्कि तमिलनाडु के रहने वाले प्रोफेसर पार्थिबन की सच्ची जिंदगी है। ये वो शख्स हैं जो अपनी सैलरी का 90 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई पर खर्च कर देते हैं। उनके इस अनोखे जुनून के पीछे है उनकी माँ को दिया हुआ एक वादा।

आज हम आपको इस असाधारण शख्सियत की पूरी कहानी बताएंगे। कैसे एक वादे ने एक आम इंसान को खास बना दिया और कैसे शिक्षा की भूख कभी खत्म नहीं होती, ये सब आप इस कहानी से सीखेंगे।

Professor Parthiban: शुरुआती जीवन और माँ का वादा

प्रोफेसर पार्थिबन का जन्म तमिलनाडु के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनकी माँ पढ़ी-लिखी नहीं थीं, लेकिन वह चाहती थीं कि उनका बेटा दुनिया की सबसे ज्यादा पढ़ाई करने वाला इंसान बने। उन्होंने अपने बेटे से एक वादा लिया कि वह जिंदगी भर पढ़ता रहेगा और दुनिया का सबसे पढ़ा-लिखा इंसान बनेगा।

यही वादा प्रोफेसर पार्थिबन के लिए जीवन का मकसद बन गया। उन्होंने न सिर्फ इस वादे को निभाया, बल्कि इसे अपने जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य बना लिया। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, “मेरी माँ ने मुझसे कहा था कि तुम दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे इंसान बनोगे। मैंने उनसे वादा किया था और मैं उस वादे को पूरा कर रहा हूँ।”

150 डिग्रियों का सफर: कैसे मैनेज करते हैं इतनी पढ़ाई?

सवाल यह उठता है कि आखिर एक इंसान इतनी सारी डिग्रियाँ कैसे हासिल कर सकता है? प्रोफेसर पार्थिबन ने यह कमाल अपनी कड़ी मेहनत और समय प्रबंधन (Time Management) से किया है।

  • डिस्टेंस लर्निंग और ओपन यूनिवर्सिटी: उन्होंने ज्यादातर डिग्रियाँ डिस्टेंस लर्निंग और ओपन यूनिवर्सिटी के जरिए हासिल की हैं। इससे वह एक साथ कई कोर्सेज में दाखिला ले सकते थे।
  • सेल्फ-स्टडी है कुंजी: उनकी सफलता का सबसे बड़ा राज है सेल्फ-स्टडी। वह रोजाना 6-7 घंटे पढ़ाई करते हैं, चाहे उनकी नौकरी कितनी भी व्यस्त क्यों न हो।
  • विषयों की विविधता: प्रोफेसर पार्थिबन ने कानून, साहित्य, साइंस, आर्ट्स, कॉमर्स, मैनेजमेंट जैसे कई अलग-अलग क्षेत्रों में डिग्रियाँ हासिल की हैं। इससे पता चलता है कि उनकी जिज्ञासा और सीखने की चाहत कितनी व्यापक है।

वित्तीय समर्पण: 90% सैलरी सिर्फ पढ़ाई पर

प्रोफेसर पार्थिबन की कहानी का सबसे हैरान करने वाला पहलू है उनका वित्तीय समर्पण। वह एक कॉलेज में प्रोफेसर हैं और उनकी एक नियमित सैलरी आती है। लेकिन उसमें से वह 90 प्रतिशत हिस्सा पढ़ाई पर खर्च कर देते हैं। इस 90% में कॉलेज की फीस, किताबें, स्टडी मटीरियल और दूसरे शैक्षणिक खर्चे शामिल हैं।

बाकी की 10 प्रतिशत सैलरी से वह अपने और अपने परिवार का गुजारा चलाते हैं। यह बात उनके समर्पण को और भी ज्यादा खास बना देती है। उन्होंने भौतिक सुख-सुविधाओं से ऊपर उठकर ज्ञान को सबसे ज्यादा महत्व दिया है।

शिक्षा के प्रति इस जुनून से हम क्या सीख सकते हैं?

प्रोफेसर पार्थिबन की कहानी सिर्फ एक रिकॉर्ड बनाने की कहानी नहीं है। यह हम सभी के लिए एक सबक है।

  • जुनून की ताकत: जब इंसान किसी चीज के लिए जुनूनी हो जाए, तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है। चाहे वह 150 डिग्रियाँ हों या कोई और लक्ष्य।
  • वादे की अहमियत: उन्होंने सिखाया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो माँ को दिया एक वादा जीवन का मिशन बन सकता है।
  • उम्र सिर्फ एक संख्या है: प्रोफेसर पार्थिबन ने यह साबित किया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। इंसान चाहे तो जिंदगी भर कुछ नया सीख सकता है।
  • लक्ष्य के आगे सुख-सुविधाएं छोटी: उन्होंने यह दिखाया कि अगर लक्ष्य बड़ा हो, तो इंसान सुख-सुविधाओं का त्याग करने के लिए तैयार हो जाता है।

शिक्षा का असली मतलब: Degrees या ज्ञान?

बहुत से लोग यह सवाल उठा सकते हैं कि क्या सिर्फ डिग्रियाँ इकट्ठा करना ही शिक्षा का मकसद है? प्रोफेसर पार्थिबन की कहानी इस सवाल का जवाब भी देती है। उनके लिए डिग्रियाँ सिर्फ एक कागज नहीं हैं, बल्कि हर विषय में गहराई से ज्ञान हासिल करने का एक जरिया हैं। उनका मानना है कि हर नया विषय सीखने से इंसान की सोच का दायरा बढ़ता है और वह दुनिया को बेहतर तरीके से समझ पाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, लाइफलॉन्ग लर्निंग यानी जीवन भर सीखते रहना मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। यह दिमाग को सक्रिय रखता है और अवसाद जैसी बीमारियों से बचाव करता है।

एक मिसाल जो कभी बुझने नहीं देती ज्ञान की लौ

प्रोफेसर पार्थिबन की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि शिक्षा दुनिया की सबसे कीमती चीज है। आज के दौर में जब लोग सिर्फ नौकरी और पैसे के पीछे भाग रहे हैं, प्रोफेसर पार्थिबन ने ज्ञान को सबसे ऊपर रखा है।

उनका जीवन इस बात का सबूत है कि इंसान की इच्छाशक्ति कितनी मजबूत हो सकती है। एक वादे ने उनकी जिंदगी को एक नया मकसद दिया और वह आज भी उस रास्ते पर चल रहे हैं। वह सच्चे अर्थों में एक ‘जीवन भर सीखने वाले’ (Lifelong Learner) हैं और हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा हैं।


FAQs

1. क्या Professor Parthiban के पास सच में 150 Degrees हैं?
जी हां, मीडिया रिपोर्ट्स और इंटरव्यू के अनुसार, प्रोफेसर पार्थिबन के पास 150 से ज्यादा एकेडेमिक डिग्रियाँ और सर्टिफिकेट हैं। इनमें से ज्यादातर उन्होंने डिस्टेंस लर्निंग के जरिए हासिल की हैं।

2. उन्होंने इतनी सारी डिग्रियाँ हासिल करने के लिए पैसे कहाँ से जुटाए?
प्रोफेसर पार्थिबन एक कॉलेज में लेक्चरर हैं। वह अपनी सैलरी का 90% हिस्सा सीधे तौर पर अपनी पढ़ाई और कोर्सेज की फीस पर खर्च कर देते हैं। यही उनकी फंडिंग का मुख्य जरिया है।

3. क्या उनकी यह उपलब्धि किसी वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है?
अभी तक उनका नाम आधिकारिक तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में तो नहीं दर्ज हुआ है, लेकिन भारत और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में उन्हें दुनिया के सबसे ज्यादा डिग्रियों वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है।

4. उनकी पत्नी और परिवार वाले इस बारे में क्या सोचते हैं?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रोफेसर पार्थिबन का परिवार उनके इस जुनून को पूरा सपोर्ट करता है। उनकी पत्नी और बच्चे समझते हैं कि यह उनके जीवन का सबसे बड़ा मकसद है।

5. क्या सिर्फ डिग्रियाँ इकट्ठा करना ही शिक्षा का सही तरीका है?
यह एक व्यक्तिगत विचार का विषय है। प्रोफेसर पार्थिबन के लिए, हर नई डिग्री एक नए विषय में ज्ञान हासिल करने का प्रतीक है। शिक्षा का असली मकसद ज्ञान अर्जित करना है, चाहे वह किसी भी रास्ते से हो। उनका तरीका थोड़ा अलग जरूर है, लेकिन उनका ज्ञान का भंडार बहुत बड़ा है।

6. उनकी इस सफलता से आम students क्या सीख ले सकते हैं?
आम students यह सीख सकते हैं कि सीखने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती। डिग्रियाँ मकसद नहीं, बल्कि ज्ञान पाने का एक जरिया हैं। समर्पण, अनुशासन और जुनून के साथ कोई भी अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है, चाहे रास्ता कितना भी मुश्किल क्यों न हो।

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