Home मनोरंजन मधुर ने दोहराया ओल्ड स्कूल सिनेमा… लॉकडाउन के दिनों के किस्से…
मनोरंजन

मधुर ने दोहराया ओल्ड स्कूल सिनेमा… लॉकडाउन के दिनों के किस्से…

Share
Share

Movie Review: इंडिया लॉकडाउन
कलाकार: प्रतीक बब्बर , श्वेता बसु प्रसाद , सई ताम्हणकर
प्रकाश बेलवाडी , ऋषिता भट्ट
और अहाना कुमरा
लेखक: अमित जोशी और आराधना साह
निर्देशक: मधुर भंडारकर

आज कल फिल्म जीवन का एक हिस्सा बनाते जा रहा. तो साथ ही साथ एक व्यपक व्यापार का रूप भी लेते जा रहा हैं. हर वीक में एक नई फिल्म नए चेहरे नई कहानी के साथ. तो वही फिल्म एक कला है ऐसी कला जो शांति में हलचल पैदा कर दे. ऐसी हलचल जो लोगों को सोने न दे. वही मधुर भंडारकर एक ऐसा नाम है जो की चंद बेहतरीन फिल्म देकर फिल्मी दुनिया के चर्चित नामों में से एक है. कही न कही संक्रमण काल में ये नाम (मधुर भंडारकर) कही गुम हो गया था. दर्शकों को भीतर से झकझोर देने वाली बस एक कहानी अगर वह कहानी की अंतर्धारा के साथ परदे पर ले आए, तो उनके अच्छे दिन लौट सकते हैं। उसके पहले उनके प्रशंसकों को ‘इंदु सरकार’, ‘बबली बाउंसर’ या फिर अब ‘इंडिया लॉकडाउन’ ही देखना है।

[ads1]

भोजपुरी ,हिन्दी ,गुजराती ,मराठी , राजस्थानी ,बंगाली ,उड़िया ,तमिल, तेलगु ,की भाषाओं की पूरी फिल्म देखने के लिए इस लिंक को क्लीक करे:-http://www.aaryaadigital.com/ आर्या डिजिटल OTT पर https://play.google.com/store/apps/de... लिंक को डाउनलोड करे गूगल प्ले स्टोर से

कोरोना काल की कहानी
फिल्म ‘इंडिया लॉकडाउन’ की कहानी 2020 में कोरोना की खबरें से शुरू होती है। कुछ अनहोनी की आहट लोगों को सुनाई दे रही है। जिसको नाना बनना है, वह उत्साहित भी है और संक्रमण के खतरों से आशंकित भी। घर में काम करने वाली के चेहरे पर आई बेबसी को देख वह एक महीने का अग्रिम वेतन भी देता है। मां को नर्स की नौकरी लगने की बात कहकर आई युवती कोठे पर ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रही है। एक दृश्य में वह कहती है कि जो काम हम पैसे लेकर करते हैं, दूसरी युवतियां उसे मुफ्त में क्यों करने देती हैं, साथ वाली युवती समझाती है कि नहीं वे भी इसके बदले बहुत कुछ पाती हैं। मधुर भंडारकर जैसे संवेदनशील फिल्म निर्देशक से उनके सिनेमा में स्त्री पुरुषों के संबंधों पर इतनी छिछोरी टिप्पणी डराती है। और, ये भी दर्शाती है कि मधुर भंडारकर शायद अब भी सालो पुराने सिनेमा की सोच में ही अटके हैं।

[ads2]

भोजपुरी ,हिन्दी ,गुजराती ,मराठी , राजस्थानी ,बंगाली ,उड़िया ,तमिल, तेलगु ,की भाषाओं की पूरी फिल्म देखने के लिए इस लिंक को क्लीक करे:-http://www.aaryaadigital.com/ आर्या डिजिटल OTT पर https://play.google.com/store/apps/de... लिंक को डाउनलोड करे गूगल प्ले स्टोर से

अंडरकरेंट(अन्तर्भाव) को उभारने में नाकाम
फिल्म ‘इंडिया लॉकडाउन’ में वैसे तो चार कहानियां एक साथ चलती हैं। लेकिन, मधुर का कथन श्वेता बसु प्रसाद पर खास मेहरबान है। देह व्यापार करने वालों पर टूटे लॉकडाउन के कहर की इस कहानी में इतना कुछ है कहने को इस पर अलग से एक फिल्म बन सकती थी. एक बात ठीक से समझ नहीं आ रही है. फिल्म की एक कहानी उन गरीबों की भी है जिनके लिए सौ रुपये की एक जोड़ी चप्पल खरीदना भी जिगर का काम है। और, चौथी कहानी उस युवा जोड़े की है जिसे कौमार्य भंग करने में मंगल ग्रह की यात्रा कर आने जैसा रोमांच पाना है।

[ads2]

भोजपुरी ,हिन्दी ,गुजराती ,मराठी , राजस्थानी ,बंगाली ,उड़िया ,तमिल, तेलगु ,की भाषाओं की पूरी फिल्म देखने के लिए इस लिंक को क्लीक करे:-http://www.aaryaadigital.com/ आर्या डिजिटल OTT पर https://play.google.com/store/apps/de... लिंक को डाउनलोड करे गूगल प्ले स्टोर से

कहानी है, पर एहसास नहीं
सिनेमा लोगों के मनोरंजन का एक माध्यम है और लोक तक सिनेमा पहुंचाने के लिए मधुर भंडारकर को इस लोक के अलग अलग रंग देखने जरूरी हैं। मधुर जी मुंबई में बसे उन शहरों को तो देख पा रहे हैं लेकिन कोरोना काल में मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों में कोरोना से जंग लड़ने वाले योद्धाओं की दास्ता को नहीं देख पा रहे है. मधुर जी कभी ऐसे आबादी में पैदल नहीं गुजरे हैं. वह कार में बैठकर दुनिया को देखते है. पर उनको ये नहीं पता की खिड़की की दूसरी तरफ भी एक दुनिया है। हैं। फिल्म ‘इंडिया लॉकडाउन’ बस यही मात खा गई है। देश के भौगोलिक परिस्थिति का ज्ञान फिल्म लिखने वालों को है ही नहीं। फिल्म का संवाद फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी हैं। फिल्म के निर्देशको जिन्होंने मुंबई को ही हिंदुस्तान माना हुआ है।

[ads4]

भोजपुरी ,हिन्दी ,गुजराती ,मराठी , राजस्थानी ,बंगाली ,उड़िया ,तमिल, तेलगु ,की भाषाओं की पूरी फिल्म देखने के लिए इस लिंक को क्लीक करे:-http://www.aaryaadigital.com/ आर्या डिजिटल OTT पर https://play.google.com/store/apps/de... लिंक को डाउनलोड करे गूगल प्ले स्टोर से

‘इंडिया लॉकडाउन’
कोरोना काल इंसानी इतिहास की एक ऐसी याद है जिसे अब कोई याद ही करना नहीं चाहता। वक्त अच्छा हो या बुरा, वक्त बीत ही जाता है और अच्छे वक्त में जाकर उसे फिर से जीना तो शायद कुछ लोग चाहें भी लेकिन बीते हुए बुरे वक्त को फिर से परदे पर शायद ही कोई पसंद करे। फिल्म ‘इंडिया लॉकडाउन’ के साथ भी यही दिक्कत है।

Share

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

बांग्ला वेब स्टोरी डाइवोर्स बहुत जल्द आर्या डिजिटल ओटीटी पर होगी रिलीज

कोलकाता : आर्या डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड प्रस्तुत बांग्ला वेब स्टोरी डाइवोर्स बहुत...

पीएचडी की तैयारी कर रही छात्रा शगुन मिश्रा का फिल्मी दुनिया में प्रवेश

मुंबई: फिल्मी दुनिया का आकर्षण एक तरह का जुनून है। हिंदी सिनेमा जगत...

मलाइका और अर्जुन कपूर का ब्रेकअप हुआ कन्फर्म !

Bollywood:  अर्जुन कपूर और मलाइका अरोड़ा के ब्रेकअप की खबरे काफी सुर्ख़ियों...

खराब रिश्तो के बीच जया बच्चन का पुराना वीडियो हुआ वायरल

बॉलीवुड अभिनेता और मिस वर्ल्ड रह चुकी ऐश्वर्या राय बच्चन के बीच...