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“हर दंपति के तीन बच्चे हों”: नायडू का बयान, जनसंख्या स्थिरता से बनेगा विश्वगुरु भारत?

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आंध्र प्रदेश CM चंद्रबाबू नायडू ने भारतीय विज्ञान सम्मेलन में कहा कि भारत को वैश्विक शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता, बशर्ते जनसंख्या स्थिर रहे। उन्होंने RSS प्रमुख के सुर में सुर मिलाते हुए दंपतियों को तीन बच्चे रखने की सलाह दी और गंगा–कावेरी नदी जोड़ परियोजना को जल सुरक्षा व विकास के लिए जरूरी बताया।

चंद्रबाबू नायडू बोले– तीन बच्चे, जल सुरक्षा और गंगा–कावेरी लिंक से ही 2047 तक नंबर-1 बनेगा भारत!

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने एक बार फिर जनसंख्या और भारत के भविष्य पर बड़ी बहस छेड़ दी है। तिरुपति में भारतीय विज्ञान सम्मेलन (भारतीय विज्ञान सम्मेलन) को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता, बशर्ते देश की जनसंख्या, ज्ञान और प्रतिभा हमारी पारंपरिक मूल्यों और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ तालमेल में रहे। इसी संदर्भ में उन्होंने सुझाव दिया कि दंपतियों के आदर्श रूप से तीन बच्चे होने चाहिए ताकि जनसंख्या स्थिरता बनी रहे और राष्ट्र मजबूत हो सके।

नायडू ने खुलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की उस बात का समर्थन किया जिसमें उन्होंने हर दंपति से कम से कम तीन संतान रखने की बात कही थी। आंध्र CM ने कहा कि भारत का डेमोग्राफिक डिविडेंड (युवा आबादी का लाभ) आने वाले दशकों में उसे दुनिया की सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्थाओं में बदल सकता है, लेकिन यदि जन्मदर रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे चली गई तो यह बड़ा नुकसान भी बन सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत और खासकर आंध्र प्रदेश में यदि दो से कम बच्चों की प्रवृत्ति बढ़ी तो 2047 के बाद बुजुर्ग आबादी का बोझ तेजी से बढ़ेगा और कामकाजी युवा घटेंगे, जैसा जापान, चीन और कई यूरोपीय देशों में हो चुका है।

चंद्रबाबू नायडू का “तीन बच्चे” वाला फॉर्मूला

अपने भाषण में नायडू ने साफ कहा कि “हर दंपति के तीन बच्चे होना आदर्श है”, ताकि भारत की आबादी न तो अनियंत्रित तरीके से बढ़े और न ही इतनी कम हो जाए कि देश अपनी युवा ताकत खो दे। उन्होंने कहा कि पहले वे खुद भी आबादी नियंत्रित करने के पक्ष में थे और आंध्र प्रदेश में दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने वाला कानून भी लेकर आए थे, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं। खुद उन्होंने स्वीकार किया कि जब उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण पर जोर दिया तो दस साल में राज्य की जनसंख्या वृद्धि काफी धीमी पड़ गई है और अब युवाओं की कमी का डर दिखने लगा है।

वे बताते हैं कि आंध्र प्रदेश की औसत आयु अभी करीब 32 साल है जो 2047 तक 40 के पार चली जाएगी। इस उम्र संरचना का अर्थ यह है कि आज जो देश की ताकत मानी जा रही युवा आबादी है, वह कुछ ही दशकों में बुजुर्ग वर्ग में बदल जाएगी। इसलिए वे अब दंपतियों से अपील कर रहे हैं कि “यह केवल व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि राष्ट्र के हित की सेवा भी है” कि वे दो से अधिक, यानी तीन बच्चे रखने पर विचार करें।

RSS प्रमुख मोहन भागवत की लाइन पर चलते हुए नायडू ने कहा कि यदि हम सब जनसंख्या पर गंभीरता से ध्यान दें और इसे राष्ट्रहित के अनुसार स्थिर रखें तो 2047 और उसके बाद “सदियों तक भारत का ही समय रहेगा और कोई भी देश हमें ग्लोबल परिदृश्य में डोमिनेट नहीं कर पाएगा।” इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में स्वयं मोहन भागवत भी मौजूद थे और जनसंख्या, संस्कृति व भारतीयता पर केंद्रित चर्चा में शामिल रहे।

भारत की प्राचीन वैज्ञानिक विरासत और “भारतीयता” पर जोर

नायडू ने अपने भाषण में केवल जनसंख्या की बात नहीं की, बल्कि भारत की प्राचीन वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विरासत को भी विस्तार से याद किया। उन्होंने हरप्पा सभ्यता के 4,500 साल पुराने शहरी नियोजन (अर्बन प्लानिंग), योग की लगभग 2,900 साल पुरानी आध्यात्मिक विज्ञान परंपरा और लगभग 2,600 साल पुराने आयुर्वेदिक चिकित्सा नवाचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत हमेशा से ज्ञान, विज्ञान और सभ्यता के नेतृत्व में रहा है।

उन्होंने तक्षशिला और नालंदा जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों का उदाहरण दिया, जहां खगोलशास्त्र, गणित, चिकित्सा, अर्थशास्त्र और दर्शन जैसे विषयों में विश्वस्तरीय शोध और शिक्षा होती थी। नायडू के मुताबिक, नेशनल संस्कृत यूनिवर्सिटी, तिरुपति आज उसी परंपरा को आगे बढ़ा रही है और “भारतीयता” (Bharatiyata) और सभ्यतागत ethos पर गर्व के साथ विमर्श का मंच बन गई है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय प्रवासी (डायस्पोरा) दुनिया भर में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले समुदायों में गिने जाते हैं और भारत की IT सेक्टर पर पकड़ ने देश को एक सामरिक (strategic) advantage दिया है। यही वह प्रतिभा, ज्ञान और जनसंख्या है, जिसे यदि सही दिशा, मूल्य और लक्ष्य के साथ जोड़ा जाए तो भारत जल्द ही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 तक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

डेमोग्राफिक डिविडेंड बनाम डेमोग्राफिक डिसास्टर

नायडू का तर्क है कि वर्तमान में भारत के पास “डेमोग्राफिक डिविडेंड” है, यानी कामकाजी उम्र की आबादी की बड़ी संख्या, जो आर्थिक विकास को तेज कर सकती है। लेकिन वे चेतावनी देते हैं कि यदि जन्मदर बहुत नीचे चली गई तो वही डेमोग्राफी भविष्य में “डेमोग्राफिक डिसास्टर” बन सकती है, जहां बुजुर्गों की संख्या तो ज्यादा हो लेकिन कामकाजी युवा कम हों। चीन, जापान और यूरोप के कुछ देशों में घटती जन्मदर और बढ़ती बुजुर्ग आबादी के कारण आर्थिक और सामाजिक संकट की स्थितियां नायडू के उदाहरण हैं।

उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस सोच को आगे बढ़ाने के लिए भविष्य में नीतिगत कदम, जैसे ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को प्रोत्साहन (इंसेंटिव) देना, या पहले के “दो से अधिक बच्चों पर पाबंदी” वाले कानून को पूरी तरह पलटना, जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। 2024 में ही आंध्र सरकार ने दो से अधिक बच्चों वाले लोगों के चुनाव लड़ने पर लगी रोक हटाने और इसके उलट, तीन या अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों को प्रोत्साहन देने की दिशा में कदमों पर चर्चा की थी।​

राष्ट्रीय नदी जोड़ परियोजना और गंगा–कावेरी लिंक को “राष्ट्र का सपना” बताया

अपने भाषण में नायडू ने केवल जनसंख्या और संस्कृति की बात ही नहीं की, बल्कि जल सुरक्षा (water security) और राष्ट्रीय नदी जोड़ परियोजना (National River Linking Project – NRLP) पर भी जोर दिया। उन्होंने गंगा–कावेरी नदी जोड़ परियोजना को “राष्ट्र का लंबे समय से संजोया हुआ सपना” बताया और कहा कि इसे लागू करना देश को जल सुरक्षा देने के लिए जरूरी है।

गंगा–कावेरी लिंक परियोजना का उद्देश्य गंगा बेसिन की बाढ़ के समय मिलने वाले अतिरिक्त जल को दक्षिण भारत की सूखा–प्रवण नदियों तक पहुंचाना है। योजनाओं के अनुसार, यह लिंक नहर लगभग 2,640 किलोमीटर तक सोन, नर्मदा, तापी, गोदावरी, कृष्णा और पेनार जैसे नदी बेसिनों से होते हुए कावेरी में ग्रैंड अनicut के ऊपर जाकर मिलेगी, जिससे खेती, पीने के पानी और उद्योगों के लिए बड़े स्तर पर जल उपलब्ध हो सकेगा।

नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जल सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हैं और यदि राज्यों के बीच सद्भाव और सहयोग से यह परियोजना लागू हो सके तो कृषि, उद्योग और समग्र राष्ट्रीय विकास के लिए अपार संभावनाएं खुलेंगी। उनके अनुसार, नदी जोड़ परियोजनाएं बाढ़ और सूखे दोनों समस्याओं से निपटने, रोजगार सृजन और गरीबी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, बशर्ते पर्यावरणीय और सामाजिक चिंताओं को संतुलित तरीके से संबोधित किया जाए।

भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षा: दूसरी से पहली सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक

नायडू ने 1991 के आर्थिक सुधारों (economic reforms) को भारत के परिवर्तनकारी मोड़ के रूप में याद किया और कहा कि उसी गति को आगे बढ़ाते हुए भारत को जल्द ही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना चाहिए। उनका लक्ष्य 2047 तक भारत को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना है, जिसके लिए वे तीन स्तंभों पर जोर देते हैं: मजबूत और स्थिर जनसंख्या, उच्च गुणवत्ता वाला ज्ञान व प्रतिभा और जल–ऊर्जा–इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी बुनियादी ज़रूरतों की दीर्घकालिक सुरक्षा।

वे मानते हैं कि भारतीय IT सेक्टर, उच्च आय वाला प्रवासी समुदाय, प्राचीन वैज्ञानिक परंपरा, और तेजी से बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता – ये सभी मिलकर भारत को “अनस्टॉपेबल ग्लोबल पावर” बना सकते हैं, यदि नीतियां जनसंख्या स्थिरता, सांस्कृतिक आत्मविश्वास और जल–ऊर्जा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर एक साथ काम करें।

तीन बच्चों की अपील पर उठते सवाल और बहस

हालांकि नायडू ने तीन बच्चों की अपील को राष्ट्र के दीर्घकालिक हित से जोड़ा है, लेकिन डेमोग्राफी और पब्लिक पॉलिसी से जुड़े कई विशेषज्ञों के बीच इस पर बहस भी तेज है। कुछ जनसंख्या विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत का कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate) पहले से ही रिप्लेसमेंट लेवल के आसपास या नीचे है और कुछ राज्यों में यह तेजी से गिर रहा है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसे बढ़ावा देने के बजाय शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और रोजगार पैदा कर डेमोग्राफिक डिविडेंड का अधिक प्रभावी उपयोग किया जा सकता है।

दूसरी ओर, नायडू जैसे नेता तर्क देते हैं कि यदि अभी से योजना नहीं बनाई गई और परिवारों को अधिक बच्चों के लिए प्रोत्साहित नहीं किया गया तो आने वाले दशकों में भारत भी जापान और यूरोप की तरह तेजी से वृद्ध समाज (ageing society) बन सकता है। इस बहस के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत है, जिसमें राष्ट्रीय–राज्यीय स्तर पर अलग–अलग जनसांख्यिकीय स्थितियों को देखते हुए नीतियां बनें।


5 महत्वपूर्ण FAQs

प्रश्न 1: चंद्रबाबू नायडू ने तीन बच्चों की बात कहां और किस संदर्भ में कही?
उत्तर: उन्होंने तिरुपति स्थित नेशनल संस्कृत यूनिवर्सिटी में आयोजित भारतीय विज्ञान सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कहा कि हर दंपति के आदर्श रूप से तीन बच्चे होने चाहिए ताकि भारत का डेमोग्राफिक डिविडेंड और जनसंख्या स्थिरता बनी रहे।

प्रश्न 2: नायडू का तर्क क्या है कि दो की बजाय तीन बच्चे क्यों जरूरी हैं?
उत्तर: उनका कहना है कि भारत और खासकर आंध्र प्रदेश रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे जाने की स्थिति में हैं, जिससे भविष्य में युवाओं की कमी और बुजुर्ग आबादी का बोझ बढ़ सकता है। तीन बच्चे जनसंख्या को स्थिर रखेंगे और देश की आर्थिक–सामाजिक ताकत बनाए रखेंगे।

प्रश्न 3: गंगा–कावेरी नदी जोड़ परियोजना के बारे में नायडू ने क्या कहा?
उत्तर: उन्होंने इसे “राष्ट्र का लंबे समय से संजोया सपना” बताया और कहा कि यह राष्ट्रीय नदी जोड़ परियोजना का हिस्सा है, जो जल सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बाढ़–सूखे की समस्या कम करेगी और कृषि व उद्योग के लिए नई संभावनाएं खोलेगी।

प्रश्न 4: नायडू ने भारत की आर्थिक भविष्यवाणी को कैसे पेश किया?
उत्तर: नायडू ने कहा कि यदि भारत अपनी जनसंख्या, ज्ञान और प्रतिभा को पारंपरिक मूल्यों व राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जोड़े तो देश को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना और 2047 तक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना कोई रोक नहीं सकता।

प्रश्न 5: क्या यह तीन बच्चों की सलाह किसी व्यापक विचारधारा से जुड़ी है?
उत्तर: हां, नायडू ने RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन करते हुए यह बात कही और इसे भारतीयता, सांस्कृतिक आत्मविश्वास, डेमोग्राफिक डिविडेंड और राष्ट्र निर्माण की दीर्घकालिक रणनीति से जोड़ा।

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