दुबई से इंडिया लौटते समय पुरुष 20 ग्राम और महिलाएं 40 ग्राम तक सोने के गहने बगैर कस्टम ड्यूटी ला सकते हैं। इससे ज्यादा या सोने की ईंट–कॉइन पर ड्यूटी और डिक्लेरेशन जरूरी है
दुबई गोल्ड सस्ता है, पर कितना ला सकते हैं इंडिया में? 20 ग्राम, 40 ग्राम या 1 किलो?
दुबई गोल्ड के लिए फेमस है – कम मेकिंग चार्ज, ट्रांसपेरेंट रेट और क्वालिटी की गारंटी। इसलिए बहुत से भारतीय जब दुबई जाते हैं तो वापसी पर गोल्ड ज्वेलरी लेकर आना चाहते हैं। लेकिन अगर कस्टम के नियम साफ नहीं पता हों तो एयरपोर्ट पर गोल्ड जब्त होने, पेनल्टी लगने या भारी ड्यूटी भरने की नौबत आ सकती है। यही वजह है कि दुबई से इंडिया लौटने वालों के लिए ये जानना जरूरी है कि कितने सोने पर ड्यूटी नहीं लगती और किस पर डिक्लेरेशन अनिवार्य है।
इंडियन कस्टम्स के मौजूदा नियम साफ कहते हैं कि ड्यूटी-फ्री अलाउंस सिर्फ पर्सनल यूज़ वाली गोल्ड ज्वेलरी पर मिलता है, वो भी लिमिटेड वेट और वैल्यू तक। गोल्ड बार, कॉइन, बिस्किट या बुलियन पर ये छूट लागू नहीं होती। इन्हें इन्वेस्टमेंट गोल्ड माना जाता है और छोटी मात्रा में भी इन्हें डिक्लेयर करना जरूरी है।
पुरुष और महिला के लिए अलग–अलग ड्यूटी-फ्री गोल्ड लिमिट
दुबई से इंडिया लौटते समय गोल्ड ज्वेलरी पर ड्यूटी-फ्री लिमिट इस बात पर डिपेंड करती है कि पैसेंजर पुरुष है या महिला। इंडियन कस्टम्स गाइडलाइन के मुताबिकः
– एडल्ट पुरुष पैसेंजर (18 साल से ऊपर)
- अधिकतम 20 ग्राम गोल्ड ज्वेलरी
- कुल वैल्यू अधिकतम ₹50,000 तक
- इस लिमिट तक कोई कस्टम ड्यूटी नहीं लगती
– एडल्ट महिला पैसेंजर
- अधिकतम 40 ग्राम गोल्ड ज्वेलरी
- कुल वैल्यू अधिकतम ₹1,00,000 तक
- इस लिमिट तक कोई कस्टम ड्यूटी नहीं लगती
ये लिमिट्स सिर्फ ज्वेलरी के लिए हैं – जैसे चेन, रिंग, चूड़ी, इयररिंग, पेंडेंट जो पर्सनल पहनने के लिए हो।
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह छूट वेट और वैल्यू – दोनों में से जो भी लिमिट पहले क्रॉस हो, वहां तक ही लागू होती है। यानी अगर आपके पास 18 ग्राम ज्वेलरी है लेकिन उसकी वैल्यू ₹60,000 है, तो पुरुष पैसेंजर के केस में ₹50,000 से ऊपर की वैल्यू पर ड्यूटी लगेगी।
गोल्ड ज्वेलरी बनाम बार, कॉइन और बुलियन: नियम पूरी तरह अलग
कई लोग मान लेते हैं कि अगर बार या कॉइन 20 ग्राम / 40 ग्राम के अंदर हैं तो उन पर भी ड्यूटी नहीं लगेगी। लेकिन नियम इससे अलग हैं। इंडियन कस्टम्स के अनुसारः
– ड्यूटी-फ्री अलाउंस सिर्फ गोल्ड ज्वेलरी (पर्सनल यूज़) पर है।
– गोल्ड बार, कॉइन, बिस्किट या अन्य बुलियन हमेशा डिक्लेयर करना जरूरी है, चाहे क्वांटिटी कितनी भी हो।
– इन्हें इन्वेस्टमेंट मानकर ट्रीट किया जाता है और इन पर नॉर्मल कस्टम ड्यूटी और टैक्स लग सकता है।
अगर कोई पैसेंजर गोल्ड बुलियन लेकर ग्रीन चैनल (नथिंग टू डिक्लेयर) से निकलने की कोशिश करता है और कस्टम को पकड़ में आ जाता है, तो अफसरों को ज़ब्ती (seizure), पेनल्टी और यहां तक कि केस दर्ज करने तक का अधिकार होता है।
ड्यूटी-फ्री लिमिट से ज्यादा सोना हो तो क्या करें?
अगर आपके पास ज्वेलरी की मात्रा या वैल्यू ड्यूटी-फ्री लिमिट से ऊपर है, तो दो बातें अनिवार्य हैंः
- रेड चैनल से निकलें
– एयरपोर्ट पर ‘रेड चैनल’ चुनें (goods to declare)
– कस्टम ऑफिसर को साफ-साफ बताएं कि आपके पास कितनी ज्वेलरी या गोल्ड है - सही डिक्लेरेशन और ड्यूटी पेमेंट
– ऑफिशियल वैल्यू के हिसाब से जो एक्स्ट्रा हिस्सा है उस पर कस्टम ड्यूटी लगेगी (गोल्ड पर बेसिक कस्टम ड्यूटी, एग्रीसेस और सोशल वेलफेयर सरचार्ज मिलाकर रेट सरकार समय-समय पर बदलती है, इसलिए यात्रा से पहले लेटेस्ट रेट चेक करना समझदारी है)।
कई अनुभवी ट्रैवलर्स फ्लाइट से पहले ही गोल्ड की इंटरनेशनल प्राइस और इंडिया के कस्टम ड्यूटी रेट्स ऑनलाइन देख लेते हैं ताकि उन्हें अंदाजा रहे कि कितना टैक्स देना पड़ सकता है।
कुल मिलाकर एक पैसेंजर अधिकतम कितना गोल्ड ला सकता है?
ड्यूटी-फ्री लिमिट (20 ग्राम / 40 ग्राम) के अलावा, इंडियन कस्टम्स एक अलग ‘कुल लिमिट’ भी तय करता है, जो ड्यूटी चुकाकर गोल्ड लाने पर लागू होती है। आम तौर पर ये नियम हैंः
– एक व्यक्ति अधिकतम 1 किलो (1000 ग्राम) तक गोल्ड इंडिया ला सकता है – इसमें ज्वेलरी और अन्य रूप (बार, कॉइन, बिस्किट) सब शामिल हो सकते हैं।
– इस 1 किलो तक के गोल्ड पर लागू कस्टम ड्यूटी, IGST और अन्य टैक्स देने होंगे (ड्यूटी-फ्री अलाउंस से ऊपर के हिस्से पर)।
– अगर कोई पैसेंजर इससे ज्यादा गोल्ड लेकर आता है, तो कस्टम इसे सीज़ कर सकता है और कड़ी कार्रवाई कर सकता है।
कुछ गाइडलाइंस में यह भी जोड़ा गया है कि 1 किलो तक गोल्ड इम्पोर्ट की सुविधा आम तौर पर उन्हीं यात्रियों के लिए है जो एक निश्चित न्यूनतम अवधि (जैसे 6 महीने या 1 साल) से विदेश में रहे हों। इसलिए NRI या लॉन्ग-स्टे ट्रैवलर्स को अपने स्टेटस और लेटेस्ट रूल्स क्लीअर रखने चाहिए।
खरीद के बिल और डॉक्यूमेंट्स क्यों जरूरी हैं?
स्मूद क्लियरेंस के लिए यह सबसे अहम पॉइंट है, लेकिन लोग अक्सर इसे इग्नोर कर देते हैं। बेहतर है कि आपः
– दुबई से गोल्ड खरीदते समय ओरिजिनल खरीद बिल/इनवॉइस ज़रूर लें।
– इनवॉइस पर वेट (ग्राम), प्योरिटी (जैसे 22K, 24K) और प्राइस साफ लिखा हो।
– बिल पर शॉप का नाम, डेट और इनवॉइस नंबर हों।
एयरपोर्ट पर कस्टम ऑफिसर इन्हीं डिटेल्स के आधार पर जल्दी से वैल्यू वेरिफाई कर सकते हैं और ड्यूटी कैलकुलेट कर सकते हैं। अगर बिल न हो तो यह ऑटोमैटिक ज़ब्ती का मतलब नहीं है, लेकिन उस स्थिति में पूछताछ ज्यादा हो सकती है, ज्वेलरी की वैल्यू मार्केट रेट से एस्टिमेट की जा सकती है और विवाद की संभावना बढ़ जाती है।
किस पर ये लिमिट लागू होती है?
ये ड्यूटी-फ्री और इम्पोर्ट लिमिट ज्यादातर इंडियन पासपोर्ट होल्डर्स पर लागू होती हैं जो विदेश (जैसे दुबई, UAE) से वापस इंडिया आ रहे हैं – चाहे वो NRI हों, टूरिस्ट बनकर गए हों या शॉर्ट विजिट पर हों। मकसद ये है कि लोग पर्सनल यूज़ के लिए एक ‘reasonable’ मात्रा में ज्वेलरी तो ला सकें, लेकिन बड़ी मात्रा में गोल्ड इम्पोर्ट और स्मगलिंग पर लगाम लगाई जा सके।
रूल्स फॉलो न करने पर क्या रिस्क है?
अगर कोई पैसेंजर जान-बूझकर गोल्ड छिपाकर लाने की कोशिश करता है – जैसे ग्रीन चैनल से बिना डिक्लेर किए गुजरना, बॉडी में हाइड करना या बैग में गलत डिक्लेरेशन देना – तो कस्टम्स के पास स्ट्रॉन्ग पावर होती हैंः
– गोल्ड की ज़ब्ती (confiscation)
– हैवी फाइन और पेनल्टी
– सीरियस केस में प्रोसीक्यूशन (कानूनी कार्रवाई)
इसीलिए सबसे बेहतर तरीका यही है कि अगर आप लिमिट से ज्यादा गोल्ड ला रहे हैं, तो पहले से प्लान करें, बिल संभालकर रखें और ईमानदारी से रेड चैनल में जाकर डिक्लेयर कर दें।
दुबई से गोल्ड लाने वाले यात्रियों के लिए प्रैक्टिकल टिप्स
– ट्रैवल से पहले लेटेस्ट इंडियन कस्टम्स रूल्स और गोल्ड ड्यूटी रेट्स ऑनलाइन चेक कर लें।
– खरीदारी से पहले तय कर लें कि आप सिर्फ ड्यूटी-फ्री लिमिट तक ही ज्वेलरी लेंगे या 1 किलो तक गोल्ड लेकर ड्यूटी भी भरने के लिए तैयार हैं।
– हमेशा बिल, ई-इनवॉइस और पैकिंग स्लिप संभाल कर रखें।
– फैमिली के हर एडल्ट मेंबर्स के नाम पर अलग-अलग लिमिट अप्लाई हो सकती है (जैसे पति–पत्नी – 20g + 40g), लेकिन गोल्ड कृत्रिम तरीके से बांटकर स्मगलिंग के इरादे से न करें।
– अगर कन्फ्यूजन हो तो एयरपोर्ट पर पहुंचते ही कस्टम हेल्पडेस्क पर जाकर सीधे पूछ लें – ऑन-द-स्पॉट गाइडेंस बाद में होने वाली दिक्कतों से बेहतर है।
5 FAQs (आसानी से समझने के लिए)
- दुबई से इंडिया आते समय पुरुष कितने सोने पर ड्यूटी नहीं देंगे?
एक एडल्ट पुरुष पैसेंजर 20 ग्राम तक गोल्ड ज्वेलरी, जिसकी वैल्यू ₹50,000 से ज्यादा न हो, बिना कस्टम ड्यूटी ला सकता है। - महिलाओं के लिए ड्यूटी-फ्री गोल्ड लिमिट क्या है?
एडल्ट महिला पैसेंजर 40 ग्राम तक गोल्ड ज्वेलरी, अधिकतम वैल्यू ₹1,00,000 तक, ड्यूटी-फ्री ला सकती हैं। - क्या गोल्ड बार और कॉइन पर भी ड्यूटी-फ्री छूट मिलती है?
नहीं, ड्यूटी-फ्री छूट सिर्फ पर्सनल यूज़ की गोल्ड ज्वेलरी पर है। बार, कॉइन, बिस्किट या बुलियन हमेशा डिक्लेयर करना पड़ता है और उन पर ड्यूटी लग सकती है। - कुल कितना गोल्ड इंडिया लाया जा सकता है अगर ड्यूटी दे दें?
एक पैसेंजर आम तौर पर अधिकतम 1 किलो गोल्ड (ज्वेलरी + अन्य रूप) ला सकता है, शर्त यह कि वह उस पर लागू कस्टम ड्यूटी और टैक्स भर दे और विदेश में न्यूनतम अवधि तक ठहरा हो। - अगर लिमिट से ज्यादा गोल्ड बिना डिक्लेयर किए पकड़ा गया तो क्या होगा?
कस्टम गोल्ड सीज़ कर सकता है, भारी पेनल्टी लगा सकता है और गंभीर मामलों में केस भी दर्ज हो सकता है। यही वजह है कि रेड चैनल से गोल्ड डिक्लेयर करना हमेशा सुरक्षित विकल्प है।
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