उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ब्लैकलिस्ट में बने हुए हैं, AML/CFT में कमजोरियों के कारण। जानिए उनकी वर्तमान स्थिति और FATF की मांगें।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF)} की ब्लैकलिस्ट में उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार का स्थान जारी
भारत और विश्व स्तर पर वित्तीय सुरक्षा एवं आतंक वित्तपोषण से लड़ने के लिए काम करने वाली प्रमुख संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF)} ने अक्टूबर 2025 में अपनी ब्लैकलिस्ट में बने रहने वाले तीन देशों—उत्तर कोरिया (DPRK), ईरान और म्यांमार—की स्थिति पर ताज़ा जानकारी जारी की है। ये देश गंभीर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण से संबंधित कमजोरियों के कारण उच्च जोखिम वाले क्षेत्र के रूप में चिन्हित हैं।
FATF विस्तार और ब्लैकलिस्ट क्यों?
FATF एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था है जो आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग के वित्तपोषण के खिलाफ नियम बनाती और उनकी पालना पर नजर रखती है। इसका उद्देश्य वैश्विक वित्तीय प्रणाली को सुरक्षित बनाना है ताकि गैरकानूनी गतिविधियों को रोका जा सके। जो देश AML (एंटी मनी लॉन्ड्रिंग) और CFT (काउंटर-टेररिस्ट फाइनेंसिंग) नियमों को लागू करने में कमजोर रहते हैं, उन्हें FATF की ब्लैकलिस्ट में डाला जाता है।
म्यांमार का FATF ब्लैकलिस्ट में स्थान
म्यांमार अक्टूबर 2022 में अपनी कार्रवाई योजना पूरी न कर पाने के कारण ब्लैकलिस्ट में शामिल हुआ था। FATF ने इसे अपनी रणनीतिक कमजोरियों को दूर करने और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए दबाव डाला है। जबकि म्यांमार ने कुछ सुधार किए हैं, जैसे जब्त की गई संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन, लेकिन इसके अन्य जरूरी कार्य अभी अधूरे हैं। FATF ने म्यांमार से वित्तीय खुफिया का बेहतर उपयोग, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ जांच, और अपराधी धन के जब्ती एवं नष्ट करने में वृद्धि करने को कहा है। जब तक पूरा एक्शन प्लान पूरा नहीं होता, म्यांमार को ब्लैकलिस्ट में ही रखा जाएगा।
ईरान की स्थिति
ईरान का FATF एक्शन प्लान 2018 में समाप्त हो गया था। हालांकि 2025 में ईरान ने एक यूएन आतंक वित्तपोषण संधि को अनुमोदित किया है, लेकिन FATF ने कई महत्वपूर्ण कमियों का जिक्र किया है जो भारत के सीएनसीपी नियमों के अनुपालन से संबंधित हैं। ईरान ने अपनी रिपोर्टिंग जारी रखी है, पर कई आवश्यक सुधार नहीं किए गए हैं। FATF ने उन देशों को चेतावनी दी है कि वे ईरान की संस्थाओं की शाखाओं या प्रतिनिधि कार्यालयों की स्थापना से बचें और सावधानी बरतें। इसके साथ ही, यूएन सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के संदर्भ में, प्रतिबन्धों के अनुपालन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
उत्तर कोरिया (DPRK) का जोखिम
उत्तर कोरिया AML/CFT कमजोरियों को दूर नहीं कर पाया है और यह हथियारों के प्रसार एवं उनके वित्तपोषण से संबंधित खतरों के कारण सबसे गंभीर देश माना जाता है। FATF ने सदस्य देशों को DPRK के बैंकों के साथ सभी प्रकार के वित्तीय संबंध समाप्त करने और राज्यों में DPRK की शाखाओं या सहायक संस्थाओं को बंद करने के लिए निर्देश दिए हैं। बावजूद इसके, DPRK का अंतरराष्ट्रीय वित्तीय नेटवर्क से कनेक्शन बढ़ा है, जो प्रसार वित्तपोषण जोखिम को और बढ़ाता है।
FATF का वैश्विक सन्देश
इस ब्लैकलिस्ट में आने वाले देश वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए खतरा हैं और FATF ने सदस्य देशों से सावधानी बरतने एवं इन देशों के साथ वित्तीय संबंधों में प्रगतिशील सावधानी अपनाने को कहा है। इसके अलावा, कई अन्य देशों की प्रगति की समीक्षा भी की गई है और कुछ देशों को ग्रेलिस्ट से हटाकर सामान्य सूची में लाया गया है।
उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार की FATF ब्लैकलिस्ट में बनी स्थिति से उनके वित्तीय ट्रांजेक्शन और वैश्विक आर्थिक संबंधों पर गंभीर असर पड़ रहा है। इन देशों के लिए यह एक दबाव है कि वे अपने AML और CFT ढाँचे को सुधारें, ताकि उन्होंने वैश्विक वित्तीय संस्थाओं के साथ बेहतर सहयोग स्थापित कर सकें।
FAQs
- FATF ब्लैकलिस्ट में शामिल होना क्या मतलब है?
ब्लैकलिस्ट में नामित देश उच्च जोखिम वाले माने जाते हैं जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक वित्तपोषण की रोकथाम में मजबूत कदम नहीं उठा पाते। - म्यांमार को क्यों ब्लैकलिस्ट में रखा गया है?
म्यांमार ने अपनी कार्रवाई योजना को पूरा नहीं किया और मनी लॉन्ड्रिंग व आतंक वित्तपोषण के खिलाफ कदम नहीं उठाए। - ईरान ने FATF की क्या कमियां पूरी नहीं की हैं?
ईरान ने कई युन्नत राष्ट्रों की आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कार्रवाईयों को कार्यान्वित नहीं किया है और अपनी रिपोर्टिंग में सुधार नहीं किया। - DPRK (उत्तर कोरिया) पर FATF की मुख्य चिंताएं क्या हैं?
वह हथियारों के प्रसार से जुड़ी वित्तीय गतिविधियों में लिप्त है और AML/CFT नियमों का पालन नहीं करता। - FATF की ब्लैकलिस्ट में बने रहने का क्या प्रभाव होता है?
इससे वैश्विक वित्तीय संस्थाएं इस देश से संबंध कम कर देती हैं और आर्थिक प्रतिबंध लगते हैं जिससे देश की वित्तीय गतिविधियां प्रभावित होती हैं।
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