सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बढ़ते डिजिटल गिरफ्तारी घोटालों पर गंभीर चिंता जताई है और केंद्र एवं CBI से रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराध न्यायिक व्यवस्था पर जनता के भरोसे के लिए खतरा हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा – फर्जी अदालत आदेश न्याय व्यवस्था में जनता के विश्वास पर हमला है
Supreme Court Flags Rise in Digital Arrest Scams, Seeks Centre’s Response
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल गिरफ्तारी घोटालों को लेकर शुक्रवार को गंभीर चिंता जताई और केंद्र सरकार व CBI से जवाब मांगा है।
मामले की पृष्ठभूमि
मामला हरियाणा के अंबाला के एक वरिष्ठ नागरिक दंपति से जुड़ा है, जिन्हें जालसाजों ने अदालत और जांच एजेंसियों के फर्जी आदेशों के जरिए डिजिटल तरीके से गिरफ्तार कर ₹1.05 करोड़ की ठगी कर ली। यह सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान (suo motu) लेकर शुरू की थी जब 73 वर्षीय महिला ने CJI B R गवई को पत्र लिखा।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस सूर्या कांत और जॉयमल्या बागची की बेंच ने कहा कि अदालतों के आदेश और जजों के हस्ताक्षर की फर्जी नकल जनता के न्याय व्यवस्था पर भरोसे पर सीधा हमला है।
कोर्ट ने कहा,
“न्यायाधीशों के जाली हस्ताक्षरों वाले फर्जी आदेश न्यायिक प्रणाली की नींव और जनता के विश्वास पर चोट करते हैं। यह संस्थान की गरिमा पर प्रत्यक्ष हमला है।”
विशेष अपराध, न कि सामान्य साइबर जालसाजी
बेंच ने कहा कि ऐसे अपराधों को सामान्य चीटिंग या साइबर अपराध नहीं माना जा सकता। यह एक संगठित आपराधिक नेटवर्क का हिस्सा लगता है, जो विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बना रहा है।
केंद्र और राज्यों के लिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन अपराधों से निपटने के लिए केंद्रीय और राज्य पुलिस के बीच समन्वित प्रयास जरूरी हैं ताकि इस संगठित अपराध तंत्र का पूरा खुलासा किया जा सके।
FAQs:
- डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला क्या है?
- फर्जी अदालत आदेशों से जुड़े मामले कैसे बढ़ रहे हैं?
- सुप्रीम कोर्ट ने कौन-कौन सी एजेंसियों से जवाब मांगा है?
- अंबाला का यह मामला क्या था?
- ऐसे अपराधों से नागरिक कैसे बच सकते हैं?
- वरिष्ठ नागरिक इन ऑनलाइन धोखाधड़ियों के बढ़ते मामलों में सबसे ज्यादा क्यों प्रभावित हो रहे हैं?
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