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अनंतनाग से हाइदरपोरा तक—39 परिवारों को सरकारी नौकरी: LG सिन्हा का आतंकवादियों को संदेश

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Kashmir Terror Victims' Families Get Justice: 39 Appointment Letters Handed Over
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LG मनोज सिन्हा ने श्रीनगर में 39 आतंकी पीड़ितों के परिजनों को नियुक्ति पत्र दिए। 1999-2000 हत्याकांड परिवारों को न्याय, OGW को नौकरी बंद, घर निर्माण प्लान शुरू।

आर्टिकल 370 हटने के बाद बदलाव: कश्मीर में आतंकी पीड़ितों के बच्चों को नौकरी, घर निर्माण प्लान

LG सिन्हा ने 39 आतंकी पीड़ितों के परिजनों को नौकरी लेटर सौंपे: कश्मीर में दशकों की प्रतीक्षा खत्म, क्या है पूरा प्लान?

शनिवार को श्रीनगर के लोक भवन में लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने कश्मीर डिवीजन के 39 आतंकी पीड़ितों के परिजनों को नियुक्ति पत्र सौंपे। उन्होंने कहा कि आतंकवाद ने न सिर्फ बेगुनाहों की जान ली, बल्कि परिवारों को चुप्पी, कलंक और गरीबी में धकेल दिया। ‘इन परिवारों के लिए आज न्याय की लंबी प्रतीक्षा समाप्त हुई। पुनर्वास के ठोस कदमों से उनकी गरिमा और सिस्टम पर भरोसा बहाल हुआ।’ इस लेख में सरल हिंदी में समझेंगे कि ये कदम क्यों ऐतिहासिक हैं, कौन से परिवार लाभान्वित हुए, OGW को सबक, और आगे के प्लान क्या हैं।

आतंकवाद का असर—परिवार बर्बाद, बच्चे अनाथ, सिस्टम में OGW को नौकरी

सिन्हा ने कहा कि हर आतंकी घटना के पीछे एक ऐसा घर है जो कभी उबर नहीं पाया, बच्चे बिना माता-पिता के बड़े हुए। सालों तक असली पीड़ितों को नजरअंदाज किया गया, जबकि आतंकी इकोसिस्टम से जुड़े ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGW) को सरकारी नौकरियां मिलीं। ‘एक तरफ OGW को जॉब्स, दूसरी तरफ पीड़ित परिवार खुद को संभालने को छोड़ दिए गए।’ आर्टिकल 370 हटने के बाद पीड़ित परिवारों ने बिना डर के आतंकी तंत्र के खिलाफ आवाज उठाई।

वास्तविक कहानियां—1999 से 30 साल पुराने हत्याकांड पीड़ितों को न्याय

सिन्हा ने व्यक्तिगत केस बताए। अनंतनाग की पकीजा रियाज के पिता 1999 में मारे गए, हाइदरपोरा की शाइस्ता के पिता 2000 में हत्या के शिकार, बीएसएफ शहीद अल्ताफ हुसैन के बेटे इश्तियाक अहमद को आखिरकार सरकारी नौकरी मिली। काजीगुंड के दिलावर गनी और बेटे फैयाज गनी 2000 में शहीद हुए, श्रीनगर के अब्दुल अजीज डार की हत्या 30 साल पहले हुई—ये परिवार दशकों तक डर और गम में रहे। ‘सिस्टम ने पीड़ितों को प्राथमिकता न दी। अब हम उनकी आवाज मजबूत कर रहे, अपराधियों को त्वरित न्याय देंगे।’

शून्य सहनशीलता नीति—मोदी-शाह मार्गदर्शन में आतंकमुक्त J&K

सिन्हा ने दोहराया कि आतंकवाद पर नीति जीरो टॉलरेंस की है। ‘हर संसाधन से J&K को आतंकमुक्त बनाएंगे। आतंकियों को पनाह देने वालों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।’ ये पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गाइडेंस में चल रही है। समाज की सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए दुश्मनों की साजिश नाकाम करने का आह्वान किया।

पुनर्वास के अन्य कदम—नौकरी के अलावा स्वरोजगार, घर निर्माण

कंपैशनेट अपॉइंटमेंट रूल्स SRO-43 और रिहैबिलिटेशन असिस्टेंस स्कीम के तहत लेटर दिए गए। प्रशासन ने बताया कि 156 परिवारों को मिशन युवा, HADP और PMEGP जैसे स्कीम्स से स्वरोजगार दिया। 17 पीड़ित परिवारों की संपत्तियों से अतिक्रमण हटाए, 36 परिवारों के घर दोबारा बनाने की पहचान की। उरी और करनाह में पाक शेलिंग से क्षतिग्रस्त घरों का निर्माण अप्रैल से शुरू होगा।

370 हटने के बाद बदलाव—पीड़ितों का साहस, सिस्टम पर भरोसा

आर्टिकल 370 समाप्ति के बाद पीड़ित परिवार बिना भय के बोलने लगे। सिन्हा ने कहा कि पहले सिस्टम असफल रहा, अब पीड़ितों को अधिकार और सम्मान मिलेगा। ये कदम आतंकी इकोसिस्टम को कमजोर करने और समाज को एकजुट करने के हैं। J&K में शांति स्थापना का सफर जारी है।

J&K के लिए बड़ा संदेश—आतंकवादियों को सजा, पीड़ितों को न्याय

ये घटना दिखाती है कि केंद्र सरकार का फोकस पीड़ितों पर है। OGW को नौकरी बंद कर असली शहीद परिवारों को प्राथमिकता—ये नीतिगत बदलाव है। अप्रैल से घर निर्माण शुरू होने से गांव स्तर पर भरोसा बढ़ेगा। समाज को सतर्क रहने का संदेश दिया गया।

  • मुख्य बदलाव: पीड़ितों को नौकरी-स्वरोजगार।
  • चुनौती: आतंकी समर्थकों पर कार्रवाई।
  • भविष्य: आतंकमुक्त J&K।

कश्मीर आतंकी पीड़ित पुनर्वास पर 5 FAQs

FAQ 1: कितने परिवारों को नौकरी लेटर मिले?
उत्तर: 39 आतंकी पीड़ितों के परिजनों को श्रीनगर लोक भवन में।

FAQ 2: कौन से स्कीम्स से स्वरोजगार दिया?
उत्तर: मिशन युवा, HADP, PMEGP—156 परिवार लाभान्वित।

FAQ 3: OGW क्या हैं और क्या बदला?
उत्तर: ओवरग्राउंड वर्कर्स को पहले जॉब्स मिलते थे, अब पीड़ित परिवारों को प्राथमिकता।

FAQ 4: घर निर्माण कब शुरू?
उत्तर: 36 परिवारों के लिए योजना, उरी-करनाह शेलिंग घर अप्रैल से।

FAQ 5: आतंक नीति क्या है?
उत्तर: जीरो टॉलरेंस, समर्थकों को भारी कीमत—मोदी-शाह गाइडेंस में।

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