Home देश BJP बोली – ममता ने 1.5 करोड़ नाम हटाने का डर दिखाकर खुद चुपचाप फॉर्म दे दिया
देशपश्चिम बंगाल

BJP बोली – ममता ने 1.5 करोड़ नाम हटाने का डर दिखाकर खुद चुपचाप फॉर्म दे दिया

Share
BJP Accuses Mamata of Double Standards on Voter Enumeration
Share

BJP ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने SIR के खिलाफ मंच से फॉर्म न भरने की बात कही, लेकिन आखिरी दिन अपना एन्यूमरेशन फॉर्म जमा कर दिया; CM ने 1.5 करोड़ नाम हटाने की साज़िश का आरोप लगाते हुए अमित शाह और चुनाव आयोग पर निशाना साधा।

“फॉर्म नहीं भरूंगी” से लेकर आखिरी दिन सबमिशन तक: SIR को लेकर ममता बनर्जी पर BJP का वार

BJP का आरोप: SIR फॉर्म पर ममता ने जनता को गुमराह किया, खुद आखिरी दिन फॉर्म भर दिया?

पश्चिम बंगाल में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर सियासी टकराव और तेज हो गया है। केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी BJP ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मंच से यह दावा किया कि वे विरोध स्वरूप अपना एन्यूमरेशन फॉर्म नहीं भरेंगी, जबकि वास्तव में उन्होंने आखिरी दिन अपना फॉर्म जमा कर दिया। SIR के बहाने अब बंगाल की सियासत “मतदाता सूची” और “नागरिकता” की बहस में बदलती दिख रही है, जहां दोनों पक्ष एक‑दूसरे पर झूठ और भ्रम फैलाने के आरोप लगा रहे हैं।

BJP IT सेल प्रमुख और पश्चिम बंगाल के लिए पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक अमित मालवीय ने X पर पोस्ट कर आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने “एक बार फिर जनता को गुमराह करने की प्रवृत्ति दिखाई है”। मालवीय के अनुसार, मुख्यमंत्री ने नदिया जिले के कृष्णनगर में एक रैली से यह कहकर जनता के सामने संदेश दिया कि वे SIR के विरोध में अपना फॉर्म नहीं भरेंगी, लेकिन उसी दिन, यानी 11 दिसंबर को, एन्यूमरेशन फेज़ के आखिरी दिन उन्होंने अपना भरा हुआ और साइन किया हुआ फॉर्म जमा कर दिया ताकि मान्य वोटर बनी रहें।

अमित मालवीय का दावा: “लगभग 100% वोटरों ने फॉर्म जमा किया”

अमित मालवीय ने अपनी पोस्ट में लिखा कि महीनों तक “गलत जानकारी और डर फैलाने” के बाद भी ममता बनर्जी खुद SIR प्रक्रिया से बाहर नहीं रह सकीं और अंतिम दिन फॉर्म जमा करने को मजबूर हुईं। उन्होंने दावा किया कि बंगाल के लोगों ने मुख्यमंत्री की “नाटकबाज़ी” पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और राज्य में लगभग 100 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने फॉर्म भरकर जमा कर दिए।

मालवीय के अनुसार, यही कारण है कि चुनाव आयोग ने जहां पांच राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में एन्यूमरेशन की समयसीमा बढ़ाई, वहीं पश्चिम बंगाल में डेडलाइन 11 दिसंबर आधी रात तक ही रखी और उसे आगे नहीं बढ़ाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि पूरा एपिसोड यह दिखाता है कि “बंगाल के मतदाता अब ममता बनर्जी के झूठ पर भरोसा नहीं करते” और यह कि तृणमूल सरकार की “एक्सपायरी डेट करीब आ गई है।”

नीचे तालिका में BJP के मुख्य दावों और उनके राजनीतिक संदेश को संक्षेप में दिखाया गया है:

बिंदुBJP का दावा/संदेशराजनीतिक संकेत
ममता का फॉर्म सबमिशनअंतिम दिन अपना SIR फॉर्म जमा किया, जबकि मंच से इनकार कर रही थीं “डबल स्टैंडर्ड” और जनता को गुमराह करने का आरोप
वोटर पार्टिसिपेशनलगभग 100% मतदाताओं ने फॉर्म जमा किया SIR के विरोध को जनता ने गंभीरता से नहीं लिया
डेडलाइन न बढ़नाबंगाल में SIR की समयसीमा नहीं बढ़ी EC का विश्वास कि प्रक्रिया ठीक से पूरी हुई
ममता की विश्वसनीयता“झूठ पर आधारित राजनीति” से जनता ऊब चुकी है TMC सरकार की “एक्सपायरी डेट” नज़दीक बताई जा रही

ममता बनर्जी के आरोप: “1.5 करोड़ नाम हटाने की साज़िश”

दूसरी तरफ, ममता बनर्जी SIR अभियान को लेकर लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। उन्होंने नदिया के कृष्णनगर में रैली से आरोप लगाया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह “खुद” इस प्रक्रिया को मॉनिटर कर रहे हैं और कोशिश यह है कि बंगाल की मतदाता सूची से “1.5 करोड़ नाम” हटाए जाएं। उनके मुताबिक, SIR को 2026 विधानसभा चुनाव से महज़ दो महीने पहले “हथियार” की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि विपक्ष के कब्ज़े वाले इलाकों में चुनिंदा तरीके से नाम काटे जा सकें।

ममता ने यह भी आरोप लगाया कि जिन इलाकों में SIR चल रहा है, वहां ऐसे अधिकारी लगाए गए हैं जो “BJP के नज़दीकी” माने जाते हैं और जिन पर दिल्ली से दबाव बनाया जा रहा है कि वे बड़े पैमाने पर नाम हटाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसी भी “वाजिब वोटर” का नाम जानबूझकर हटाया गया, तो वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगी और लोगों से भी अपील की कि वे अपने‑अपने क्षेत्रों में विरोध करें।

SIR फॉर्म पर ममता के सार्वजनिक बयान बनाम BJP का आरोप

कृष्णनगर रैली में ममता बनर्जी ने मंच से कहा कि वे अभी तक अपनी SIR एन्यूमरेशन फॉर्म नहीं भरेंगी और यह काम तभी करेंगी जब “हर नागरिक” का फॉर्म स्वीकार कर लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक BLO उनके घर‑कार्यालय पर फॉर्म लेकर आया था, लेकिन उन्होंने खुद कोई फॉर्म नहीं लिया और न ही जमा किया, यह पूछते हुए कि “तीन बार की केंद्रीय मंत्री, सात बार की सांसद और तीन बार की मुख्यमंत्री” होने के बावजूद क्या अब उन्हें “दंगाइयों की पार्टी” के सामने अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ेगी।

यहीं BJP का आरोप शुरू होता है। मालवीय का दावा है कि इन्हीं बयानों के कुछ घंटों के भीतर ममता ने अपना फॉर्म भरकर जमा कर दिया और जनता के सामने विपरीत संदेश देती रहीं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इससे पहले नवंबर की शुरुआत में ही ममता को उनके कालिघाट आवास पर BLO ने SIR फॉर्म सौंपा था और परिवार के सदस्यों ने पुष्टि की थी कि फॉर्म उनके रेजिडेंस ऑफिस में जमा किया गया, हालांकि उस समय CM ने पब्लिकली कहा था कि वे फॉर्म नहीं भरेंगी।

बंगाल में SIR पर बड़ा राजनीतिक नैरेटिव

SIR, जो मूल रूप से वोटर सूची को अपडेट और साफ‑सुथरा करने की प्रशासनिक प्रक्रिया है, बंगाल में राजनीतिक नैरेटिव का केंद्र बन गया है। BJP इसे “फर्ज़ी वोटरों और डुप्लीकेट एंट्री हटाने” का जरिया बता रही है, जबकि TMC और ममता इसे “वैध मतदाताओं, खासकर बंगाली और अल्पसंख्यक समुदाय के वोटरों को निशाना बनाने की कवायद” बता कर विरोध कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने हालांकि कहा है कि प्रक्रिया कानूनी प्रावधानों के तहत चल रही है और बंगाल में भी SIR की समयसीमा पूरी होते ही ड्राफ्ट रोल जारी किया जाएगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2026 विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का मुद्दा दोनों दलों के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। BJP के लिए यह “साफ वोटर लिस्ट” और “घुसपैठियों” की बहस से जुड़ा है, जबकि ममता इसे “बंगालियों की नागरिकता और लोकतांत्रिक अधिकार की रक्षा” के रूप में पेश कर रही हैं।

5 FAQs (Hindi)

  1. BJP ममता बनर्जी पर किस बात का आरोप लगा रही है?
    BJP का आरोप है कि ममता बनर्जी ने सार्वजनिक रूप से कहा कि वे SIR के विरोध में अपना एन्यूमरेशन फॉर्म नहीं भरेंगी, लेकिन अंतिम दिन चुपचाप अपना फॉर्म जमा कर दिया, जिससे उन्होंने जनता को गुमराह किया।
  2. अमित मालवीय ने SIR को लेकर क्या दावा किया?
    उन्होंने कहा कि महीनों की “मिसइन्फॉर्मेशन” के बावजूद बंगाल में लगभग 100 प्रतिशत मतदाताओं ने फॉर्म जमा किए और इसी कारण चुनाव आयोग को राज्य में SIR की डेडलाइन नहीं बढ़ानी पड़ी।
  3. चुनाव आयोग ने किन राज्यों में SIR की डेडलाइन बढ़ाई और बंगाल में क्यों नहीं?
    ECI ने पांच राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में एन्यूमरेशन की समयसीमा बढ़ा दी, लेकिन पश्चिम बंगाल में आखिरी तारीख 11 दिसंबर आधी रात तक ही रखी; BJP इसे “ओवरव्हेल्मिंग पार्टिसिपेशन” का नतीजा बता रही है।
  4. ममता बनर्जी SIR को लेकर क्या आरोप लगा रही हैं?
    वे आरोप लगा रही हैं कि गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर SIR का इस्तेमाल बंगाल की वोटर लिस्ट से “1.5 करोड़ नाम” हटाने और विपक्षी इलाकों में वैध वोटरों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है।
  5. क्या ममता ने पहले भी SIR फॉर्म को लेकर कोई विवादित बयान दिया था?
    हाँ, पहले मीडिया रिपोर्टों में आया कि BLO ने उनके घर पर फॉर्म सौंपा और जमा भी किया, जबकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि वे फॉर्म नहीं लेंगी और न ही भरेंगी, जिससे इस मुद्दे पर डबल नैरेटिव बना।
Share

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

11,718 करोड़ की 2027 जनगणना: मोबाइल ऐप, CMMS पोर्टल और CaaS से गांव‑वार डेटा

केंद्रीय कैबिनेट ने 11,718 करोड़ रुपये की लागत से 2027 की पहली...

अमृतसर के कई स्कूलों को बम धमकी ई‑मेल: छात्र सुरक्षित निकाले गए

अमृतसर के 10–12 स्कूलों को बम धमकी ई‑मेल मिलने के बाद छात्रों...

“सिर्फ मुझे नहीं, पूरे देश से माफी”: इंडिगो chief की वायरल फोटो पर क्या बोले एविएशन मिनिस्टर

इंडिगो फ्लाइट संकट पर उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने कहा...

गोवा क्लब त्रासदी के बाद भुवनेश्वर बार में आग: दमकल ने घंटों की मशक्कत के बाद काबू पाया

भुवनेश्वर के सत्य विहार इलाके में एक बार में सुबह भीषण आग...