गुजरात सरकार ने GIFT City में शराब पीने के नियम ढीले कर दिए। परमिट जरूरी नहीं, सर्विंग जगहों में बदलाव। गैंडीनगर का फाइनेंशियल हब ग्लोबल बनने की राह पर!
ड्राई स्टेट गुजरात का नया चेहरा: GIFT City में परमिट हटाया, बिजनेस हब बनेगा ग्लोबल?
गुजरात सरकार का GIFT City में शराब नियमों पर बड़ा फैसला: परमिट खत्म
23 दिसंबर 2025 को गुजरात होम डिपार्टमेंट ने GIFT City में शराब सर्विंग और कंजम्पशन के नियमों में बड़ा बदलाव किया। अब यहां परमिट की जरूरत नहीं। ये कदम गैंडीनगर के गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंशियल टेक्नो सिटी (GIFT City) को ग्लोबल फाइनेंशियल हब बनाने के लिए। एक और बदलाव – शराब कहां सर्व की जा सकती है, उसमें भी ढील। ड्राई स्टेट गुजरात में ये ऐतिहासिक स्टेप।
GIFT City भारत का पहला इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (IFSC) है। यहां विदेशी बैंक, इंश्योरेंस, फिनटेक कंपनियां आ रही। लेकिन शराब पर सख्ती से ग्लोबल एग्जीक्यूटिव्स हिचकिचाते। अब परमिट स्क्रैप से बिजनेस लाउंज, होटल्स, क्लब्स में आसानी। होम डिपार्टमेंट का ये फैसला इकोनॉमिक ग्रोथ बूस्ट करेगा।
परमिट सिस्टम क्यों खत्म? GIFT City को ग्लोबल बनाना
गुजरात दुनिया का सबसे ड्राई स्टेट – गांधीजी की जन्मभूमि। लेकिन GIFT City स्पेशल इकोनॉमिक जोन। सिंगापुर, दुबई जैसे IFSC में शराब फ्री। परमिट से विदेशी इनवेस्टर्स दूर भागते। 2024 में GIFT में 500+ कंपनियां, 25,000+ एम्प्लॉयी। 2025 टारगेट – 1 लाख जॉब्स। ये फैसला निवेश दोगुना करेगा।
नए नियम क्या कहते?
- परमिट रिक्वायरमेंट पूरी तरह स्क्रैप।
- शराब सर्विंग और कंजम्पशन की जगहों में बदलाव – अब ज्यादा फ्लेक्सिबल।
- सिर्फ GIFT City लिमिटेड एरिया में लागू।
- सिक्योरिटी, लाइसेंसिंग स्ट्रिक्ट बरकरार।
गुजरात सरकार इसे ‘बिजनेस फ्रेंडली रिफॉर्म’ बता रही। CM भूपेंद्र पटेल ने कहा, GIFT को वर्ल्ड क्लास बनाना जरूरी।
GIFT City vs दूसरे IFSC:
| विशेषता | GIFT City (अब) | दुबई IFC | सिंगापुर |
|---|---|---|---|
| शराब परमिट | नहीं | नहीं | नहीं |
| फॉरेन इनवेस्टमेंट | तेज ग्रोथ | $100B+ | $200B+ |
| एम्प्लॉयी | 25K+ | लाखों | लाखों |
| टैक्स बेनिफिट्स | हाई | हाई | हाई |
| इंडियन वर्कर्स | 90%+ | मिक्स्ड | मिक्स्ड |
इकोनॉमिक इम्पैक्ट: गुजरात की कमर मजबूत
GIFT City से गुजरात GDP में 5%+ कंट्रीब्यूशन। 2025 में $10 बिलियन इनवर्ड फ्लो। शराब नियम ढील से होटल, रेस्टोरेंट, कॉर्पोरेट इवेंट्स बूम। लोकल एम्प्लॉयमेंट – सर्विस, सिक्योरिटी, हॉस्पिटैलिटी। गांधी नगर को ग्लोबल सिटी। लेकिन प्रोहिबिशन स्टेट इमेज पर सवाल। BJP सरकार इसे ‘स्मार्ट रिफॉर्म’ कह रही।
राजनीतिक बैकग्राउंड
गुजरात BJP रूल। 2022 चुनाव में 156/182 सीटें। GIFT City CM विजय रूपाणी-भूपेंद्र पटेल का ड्रीम प्रोजेक्ट। विपक्ष कांग्रेस-AAP ने पहले प्रोहिबिशन ढील का आरोप लगाया। अब चुप। ये फैसला 2027 चुनाव से पहले इकोनॉमी बूस्ट।
सर्विंग जगहों में बदलाव का मतलब
पहले लिमिटेड जोन्स। अब एक्सपैंडेड – बिजनेस टावर्स, होटल्स, स्पेशल इवेंट एरियाज। सिक्योरिटी चेक्स स्ट्रिक्ट। नो होम डिलीवरी, नो आउटसाइड टेकअवे। सिर्फ रेजिडेंट्स/वर्कर्स/गेस्ट्स।
GIFT City का सफर: फैक्ट्स
- 2007: कांसेप्ट।
- 2015: फर्स्ट बिल्डिंग।
- 2024: 500+ फर्म्स (HSBC, BNP Paribas)।
- 2030 टारगेट: $100 बिलियन AUM।
विपक्ष और सोसाइटी रिएक्शन
कांग्रेस: ‘गांधीजी को अपमान।’ BJP: ‘इकोनॉमिक जरूरी, कल्चरल वैल्यूज सेफ।’ GIFT रेसिडेंट्स खुश – अब एग्जेक्यूटिव क्लब्स, डाइनिंग ऑप्शन्स। लेकिन स्टेट वाइड प्रोहिबिशन बरकरार।
भविष्य की संभावनाएं
ये स्टेप GIFT को मुंबई IFSC से आगे ले जाएगा। ज्यादा FDI, जॉब्स, टैक्स रेवेन्यू। गुजरात मॉडल का नया चैप्टर। ड्राई स्टेट में स्मार्ट लिबरलाइजेशन।
5 FAQs
- GIFT City में शराब परमिट क्यों हटाया?
ग्लोबल इनवेस्टर्स आकर्षित करने, बिजनेस हब बनाने के लिए। - नए नियम क्या हैं?
परमिट खत्म, सर्विंग जगहें एक्सपैंडेड, सिक्योरिटी स्ट्रिक्ट। - सिर्फ GIFT City में लागू?
हां, स्पेशल जोन। स्टेट वाइड प्रोहिबिशन वैलिड। - इकोनॉमिक फायदा क्या?
FDI बूस्ट, जॉब्स, होटल बूम। - राजनीतिक विवाद?
विपक्ष गांधी अपमान कहता, BJP इकोनॉमिक रिफॉर्म।
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