जयपुर में 1 Lakh रुपये kilo बिक रही है दिवाली की मिठाई। जानें क्या है Gold Plated मिठाई का राज, इसकी विशेष सामग्री और क्यों है यह इतनी महंगी। हैल्थ और ट्रेंड का पूरा विश्लेषण।
1.1 Lakh रुपये Kilo मिठाई कौन खरीद रहा है और क्यों?
जयपुर की 1.1 लाख रुपये Kilo वाली Diwali मिठाई: सोने का स्वाद या दिखावे की हद?
दिवाली का त्योहार खुशियों, रोशनी और मिठाइयों का त्योहार है। इस मौके पर हर घर में तरह-तरह की मिठाइयां बनती और खरीदी जाती हैं। लेकिन इस बार दिवाली से पहले एक खबर ने सबका ध्यान खींच लिया है। जी हां, जयपुर की एक दुकान ने दिवाली के लिए ऐसी मिठाई तैयार की है जिसकी कीमत सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। इस मिठाई की कीमत है 1,10,000 रुपये प्रति किलोग्राम। यानी एक किलो मिठाई की कीमत एक अच्छी-खासी गाड़ी के डाउन पेमेंट के बराबर!
यह मिठाई कोई जादू-टोना नहीं, बल्कि ‘गोल्ड प्लेटेड’ यानी सोने से मढ़ी हुई मिठाई है। सवाल उठता है कि आखिर क्या चीज है इस मिठाई में? क्या यह सिर्फ दिखावा है या इसकी कोई वजह भी है? और सबसे बड़ा सवाल, आखिर इतनी महंगी मिठाई खरीदता कौन है? आइए, आज हम इस स्वर्ण मढ़वाई मिठाई के हर पहलू पर विस्तार से बात करते हैं।
क्या है इस महंगी मिठाई की पूरी कहानी?
जयपुर के एक मशहूर और पुराने मिठाई व्यापारी ने यह मिठाई तैयार की है। उनका कहना है कि यह कोई नई चीज नहीं है, बल्कि राजस्थान के राजघरानों की पुरानी परंपरा को फिर से जिंदा करने की एक कोशिश है। पहले के जमाने में राजा-महाराजा और अमीर व्यापारी ही ऐसी विशेष मिठाइयों का इस्तेमाल खास मौकों पर करते थे।
यह मिठाई दरअसल एक स्पेशल तरह की ‘बर्फी’ है, जिसे बेहद खास और महंगी सामग्री से तैयार किया गया है। इसकी सबसे बड़ी पहचान है इस पर चढ़ा हुआ 24 कैरेट का शुद्ध सोना। यह सोना इतना पतला और शुद्ध होता है कि उसे ‘वरक’ या ‘गोल्ड लीफ’ कहते हैं, जो खाने योग्य होता है।
किन चीजों से बनी है यह 1.1 लाख रुपये की मिठाई?
अगर आप सोच रहे हैं कि सिर्फ सोना चढ़ाने से मिठाई इतनी महंगी हो गई, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसकी लागत को समझने के लिए इसकी सामग्री को जानना जरूरी है। आइए, इसके हर घटक पर नजर डालते हैं।
- शुद्ध सोने का वरक: इस मिठाई पर जो सोना चढ़ाया जाता है, वह 24 कैरेट का शुद्ध और खाने योग्य सोना है। एक किलो मिठाई को पूरी तरह से ढकने के लिए काफी मात्रा में इस गोल्ड लीफ की जरूरत होती है। सोने का वरक अपने आप में बेहद महंगा होता है और यही इस मिठाई की लागत का एक बड़ा हिस्सा है।
- केशर यानी केसर: इस मिठाई को बनाने के लिए दुनिया की सबसे बेहतरीन और महंगी केसर का इस्तेमाल किया जाता है। इरान या कश्मीर की शाही केसर, जिसकी कीमत लाखों रुपये किलो होती है, का इस्तेमाल इसमें किया जाता है। केसर सिर्फ रंग और स्वाद ही नहीं देती, बल्कि आयुर्वेद में इसे बहुत गुणकारी भी माना जाता है।
- दुर्लभ और ऑर्गेनिक सूखे मेवे: इसमें सामान्य मिठाइयों की तरह बाजार के रेडीमेड मेवे नहीं डाले जाते। इसमें ऑर्गेनिक तरीके से उगाए गए और हाथ से चुने गए पिस्ता, बादाम और काजू का इस्तेमाल होता है। ये मेवे आकार, रंग और गुणवत्ता में एकदम सही होते हैं।
- शुद्ध देसी घी और दूध: मिठाई की बेस बनाने के लिए अच्छी नस्ल की गाय के दूध से बना शुद्ध देसी घी और मलाई का इस्तेमाल किया जाता है। इन चीजों की शुद्धता का खास ख्याल रखा जाता है।
- विशेष शक्कर: इसमें सामान्य चीनी के बजाय एक विशेष प्रकार की शक्कर या रॉक शुगर का इस्तेमाल किया जाता है, जो स्वाद को हल्का और रिफाइंड बनाए रखती है।
- लक्जरी पैकेजिंग: इस तरह की मिठाई को साधारण डिब्बे में नहीं परोसा जा सकता। इसके लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए लकड़ी के बक्से, रेशम के कपड़े और अन्य सजावटी सामानों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी लागत भी अलग से जुड़ती है।
क्या खाने योग्य सोना सेहत के लिए सुरक्षित है?
यह सवाल हर किसी के मन में आता है। क्या सोना खाना सही है? विज्ञान और आयुर्वेद दोनों की मानें तो, 24 कैरेट का शुद्ध सोना (गोल्ड लीफ) खाने योग्य होता है और सीमित मात्रा में सेहत के लिए सुरक्षित माना जाता है।
- आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म का इस्तेमाल सदियों से किया जाता रहा है। माना जाता है कि शुद्ध सोना शरीर की immunity बढ़ाता है, त्वचा में चमक लाता है और शरीर को मजबूत बनाता है। इसे बुढ़ापा रोकने वाला (anti-aging) भी माना जाता है।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण: U.S. Food and Drug Administration (FDA) ने भी सोने (गोल्ड – E175) को एक सुरक्षित फूड एडिटिव के रूप में मान्यता दी है। चूंकि यह शरीर में पचता नहीं है, बल्कि सीधे पाचन तंत्र से गुजर जाता है, इसलिए इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते। हालांकि, इसका कोई पोषण मूल्य भी नहीं होता। यह सिर्फ विलासिता और सौंदर्य के लिए होता है।
लेकिन एक बात का ध्यान रखना जरूरी है। यह सिर्फ 24 कैरेट के शुद्ध सोने पर लागू होता है। नकली या कम कैरेट के सोने का सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
आखिर कौन खरीद रहा है इतनी महंगी मिठाई?
सवाल उठता है कि आखिर इस मिठाई का ग्राहक कौन है? आम आदमी की पहुंच से यह बहुत दूर है। इसके मुख्य ग्राहक हैं:
- उच्च वर्ग के व्यवसायी और उद्योगपति: जो दिवाली पर अपने विशेष बिजनेस क्लाइंट्स और पार्टनर्स को हैरान करने वाला तोहफा देना चाहते हैं।
- सेलिब्रिटी और बॉलीवुड सितारे: जिनके लिए लक्जरी और एक्सक्लूसिव चीजें स्टेटस सिंबल होती हैं।
- विदेशी पर्यटक और NRI: जो भारतीय संस्कृति की शाही विरासत का एक टुकड़ा अनुभव करना चाहते हैं और कीमत उनके लिए मायने नहीं रखती।
- शादी-विवाह जैसे बड़े आयोजन: अमीर घरानों में शादियों के मौके पर ऐसी मिठाइयों की डिमांड रहती है ताकि मेहमानों को कुछ अलग दिखाया जा सके।
इन लोगों के लिए, यह सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि एक ‘स्टेटस सिंबल’ और ‘एक्सपीरियंस’ है।
दिखावा या परंपरा? एक सामाजिक विश्लेषण
इतनी महंगी मिठाई के चलन पर समाज में दो तरह की प्रतिक्रियाएं हैं।
- एक तरफ, कुछ लोग इसे पुरानी राजसी संस्कृति की पुनर्स्थापना और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने वाला कदम मानते हैं। वे कहते हैं कि यह एक तरह की ‘कलिनरी आर्ट’ है और इससे देश की मिठाई बनाने की कला को वैश्विक पहचान मिलती है।
- दूसरी तरफ, बहुत से लोग इसे ‘अनैतिक’ और ‘दिखावे’ की संस्कृति का प्रतीक मानते हैं। एक ओर जहां देश में गरीबी और भूखमरी है, वहीं इतने पैसे में सिर्फ एक किलो मिठाई खरीदना कहां का नैतिकता है? यह सवाल भी उठ रहे हैं।
यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे दुनिया में हज़ारों डॉलर की शैंपेन या लाखों रुपये की व्हिस्की बिकती है। यह पूरी तरह से बाजार की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है।
स्वाद या स्टेटस, आपका नजरिया क्या है?
जयपुर की यह 1.1 लाख रुपये किलो की मिठाई आज के दौर की ‘लक्जरी कल्चर’ की एक जीती-जागती मिसाल है। एक तरफ, यह हमारी शाही विरासत, बेहतरीन हस्तकला और दुर्लभ सामग्री का अनूठा संगम है। वहीं दूसरी तरफ, यह समाज में बढ़ती आर्थिक असमानता और विलासिता पर होने वाले खर्च पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।
अंत में, यह हर व्यक्ति के अपने नजरिए पर निर्भर करता है। किसी के लिए यह सोने का स्वाद चखने का मौका हो सकता है, तो किसी के लिए यह पैसे की बर्बादी। एक बात तो तय है कि दिवाली का असली मतलब अंधेरे पर रोशनी की जीत, प्यार और बंधुत्व का त्योहार है, न कि दिखावे और महंगाई का। मिठाई चाहे साधारण हो या सोने वाली, अगर वह दिल से दी जाए और खुशी से खाई जाए, तो उसका स्वाद हमेशा मीठा ही रहता है।
FAQs
1. क्या सोने की मिठाई खाने का कोई फायदा है?
वैज्ञानिक रूप से, शुद्ध सोना शरीर के लिए नुकसानदायक नहीं है, लेकिन इसके कोई पोषण संबंधी फायदे भी नहीं हैं। यह शरीर में पचता नहीं है और सीधे बाहर निकल जाता है। आयुर्वेद में इम्युनिटी और त्वचा के लिए इसे फायदेमंद माना गया है, लेकिन यह प्रभाव दीर्घकालिक और सूक्ष्म होते हैं।
2. क्या यह मिठाई आम लोगों के लिए भी उपलब्ध है?
जी हां, कोई भी इसे खरीद सकता है, बशर्ते उसके पास इतना पैसा हो। हालांकि, दुकानदारों का कहना है कि यह एक ‘एक्सक्लूसिव प्रोडक्ट’ है और इसकी ऑर्डर पर ही तैयार किया जाता है। आम तौर पर यह प्री-बुकिंग पर ही मिलती है।
3. क्या इस तरह की मिठाई सिर्फ जयपुर में ही मिलती है?
नहीं, जयपुर के अलावा देश के अन्य शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और लखनऊ में भी कुछ लक्जरी स्वीट शॉप्स ऐसी ही महंगी मिठाइयां बनाते हैं। लेकिन जयपुर की इस दुकान ने अपनी शाही परंपरा और ब्रांड वैल्यू के कारण इस बार सुर्खियां बटोरी हैं।
4. क्या सोने के वरक के अलावा चांदी की मिठाई भी होती है?
हां, बिल्कुल होती है। ‘वरक’ या ‘चांदी का वरक’ मिठाइयों पर डालना एक पुरानी प्रथा है और यह सोने के मुकाबले काफी सस्ता और आम लोगों की पहुंच में होता है। माना जाता है कि चांदी शरीर को ठंडक पहुंचाती है और पाचन में मदद करती है।
5. क्या नकली गोल्ड लीफ वाली मिठाइयों का ध्यान रखना चाहिए?
बिल्कुल। बाजार में कई जगहों पर मिलावट या नकली रंगों से बने गोल्ड लीफ का इस्तेमाल हो सकता है, जो सेहत के लिए हानिकारक है। हमेशा किसी विश्वसनीय और प्रतिष्ठित दुकान से ही ऐसी मिठाइयां खरीदें और यह पक्का कर लें कि वह ‘खाने योग्य शुद्ध सोना’ ही है।
6. क्या इस मिठाई का स्वाद सामान्य मिठाई से अलग होता है?
जी हां, इसका स्वाद सामान्य मिठाई से काफी अलग और रिफाइंड होता है। दुर्लभ केसर, ऑर्गेनिक मेवे और शुद्ध घी की वजह से इसका स्वाद बहुत ही खास और गहरा होता है। सोना अपने आप में बेस्वाद होता है, इसलिए वह मिठाई के असली स्वाद को बदलता नहीं है, बल्कि सिर्फ एक लक्जरी अनुभव जोड़ता है।
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