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Gold vs Equity vs Property: कहां निवेश करते तो बन जाते करोड़पति?

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Gold vs Equity vs Property
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पिछले 10 साल में Gold , Equity और Property में किसने दिए बेहतर रिटर्न? जानें CAGR, रिस्क और भविष्य की संभावनाएं।

Millionaire Maker: Gold vs Equity vs Property में सबसे जबरदस्त रिटर्न ?

Gold vs Equity vs Property: पिछला दशक किसने जीता? एक व्यापक विश्लेषण

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपने पिछले 10 साल में 10 लाख रुपये निवेश किए होते, तो आज आपका पोर्टफोलियो कहां होता? क्या सोने की चमक में आपका पैसा चमकता? क्या शेयर बाजार के रोलर कोस्टर राइड ने आपको करोड़पति बना दिया होता? या फिर जमीन-जायदाद की ठोस दीवारों ने आपके निवेश को सबसे सुरक्षित ढाल दिया होता?

यह सवाल हर निवेशक के मन में होता है। सोना, इक्विटी और रियल एस्टेट – ये तीनों भारतीय निवेशकों के पसंदीदा और पारंपरिक निवेश के विकल्प हैं। लेकिन पिछले एक दशक में इन तीनों ने कैसा प्रदर्शन किया है? इस लेख में, हम सिर्फ सतही आंकड़ों से आगे बढ़कर, वैज्ञानिक तरीके से इन तीनों एसेट क्लासेज का गहन विश्लेषण करेंगे। हम रिटर्न, जोखिम, तरलता और भविष्य की संभावनाओं की पड़ताल करेंगे, ताकि आप अपनी वित्तीय योजना के लिए एक सूचित निर्णय ले सकें।

पिछले दशक का रिटर्न कार्ड: किसने मारी बाजी?

आइए, सबसे पहले पिछले 10 वर्षों (2014 से 2024 तक) के आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं। यहां हम CAGR (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) को आधार बनाएंगे, क्योंकि यह निवेश की वास्तविक विकास दर को दर्शाता है।

शेयर बाजार (Equity) का प्रदर्शन

भारतीय शेयर बाजार के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए, हम S&P BSE Sensex को बेंचमार्क के रूप में लेते हैं।

  • तथ्य: अप्रैल 2014 में, सेंसेक्स लगभग 22,500 के स्तर पर था। अप्रैल 2024 तक, यह बढ़कर लगभग 74,000 के ऐतिहासिक स्तर को छू चुका था।
  • गणना: इस अवधि में सेंसेक्स ने लगभग 12.7% का CAGR दर्ज किया है। इसका मतलब है कि अगर आपने अप्रैल 2014 में 1 लाख रुपये का निवेश किया होता, तो अप्रैल 2024 तक यह बढ़कर लगभग 3.31 लाख रुपये हो जाता।
  • विवरण: यह रिटर्न डिविडेंड को फिर से निवेश करने की धारणा पर आधारित है। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव अधिक रहा, लेकिन लंबी अवधि में इसने शानदार रिटर्न दिया। मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक्स ने तो कई मामलों में सेंसेक्स को भी पीछे छोड़ दिया।

सोने (Gold) का प्रदर्शन

सोना भारतीयों के लिए सिर्फ एक धातु नहीं, बल्कि सुरक्षित पनाहगाह है।

  • तथ्य: अप्रैल 2014 में, भारत में 24 कैरेट सोना लगभग 28,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर था। अप्रैल 2024 तक, यह कीमत लगभग 72,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गई है।
  • गणना: इस अवधि में सोने ने लगभग 9.9% का CAGR दर्ज किया है। इस हिसाब से, अप्रैल 2014 में 1 लाख रुपये का सोना खरीदने पर, उसकी कीमत अप्रैल 2024 में लगभग 2.57 लाख रुपये हो जाती।
  • विवरण: सोने का प्रदर्शन वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, ब्याज दरों, रुपए की कमजोरी और केंद्रीय बैंकों की खरीद पर निर्भर करता है। पिछले दशक में इसने इक्विटी से कम, लेकिन फिर भी मजबूत रिटर्न दिया।

रियल एस्टेट (Property) का प्रदर्शन

रियल एस्टेट को हमेशा ही ठोस और सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है, लेकिन पिछला दशक इसके लिए चुनौतीपूर्ण रहा।

  • नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB) के रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी प्राइस इंडेक्स के अनुसार, 2014 से 2024 के बीच भारत के प्रमुख शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतों में औसतन वार्षिक वृद्धि काफी धीमी रही है। कोविड-19 के बाद ही इसमें कुछ सुधार देखने को मिला है।
  • इस अवधि में रियल एस्टेट ने औसतन लगभग 4-6% का CAGR दर्ज किया है। इसका मतलब है कि 2014 में 1 लाख रुपये की प्रॉपर्टी की कीमत 2024 में लगभग 1.48 से 1.79 लाख रुपये के बीच होती।
  • यह रिटर्न शहर और लोकेशन के हिसाब से बहुत भिन्न हो सकता है। मुंबई, दिल्ली जैसे महंगे शहरों में रिटर्न कम रहा, जबकि टियर-2 और टियर-3 शहरों में बेहतर प्रदर्शन देखा गया। इसके अलावा, प्रॉपर्टी से किराये का आमदनी एक अतिरिक्त लाभ हो सकता है।

सिर्फ रिटर्न ही काफी नहीं है

अब तक के आंकड़े बताते हैं कि रिटर्न के मामले में इक्विटी ने सोने और प्रॉपर्टी को पीछे छोड़ दिया। लेकिन एक स्मार्ट निवेशक सिर्फ रिटर्न से आगे देखता है।

जोखिम का स्तर (Risk Factor)

  • इक्विटी: सबसे अधिक जोखिम। बाजार में उतार-चढ़ाव बहुत तेज हो सकता है। किसी विशेष कंपनी के शेयर में तो पूरा पैसा डूबने का भी खतरा रहता है।
  • सोना: मध्यम जोखिम। इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार, डॉलर की कीमत और भू-राजनीतिक हालात पर निर्भर करती है। लेकिन दीर्घकाल में यह स्थिरता प्रदान करता है।
  • प्रॉपर्टी: कम तरलता का जोखिम। इसमें पैसा बंध जाता है, जल्दी बेचना मुश्किल हो सकता है। मार्केट साइकिल का प्रभाव और कानूनी जोखिम भी हो सकते हैं।

तरलता (Liquidity)

  • इक्विटी: सबसे अधिक तरल। आप एक क्लिक में अपने शेयर बेच सकते हैं और पैसा 2-3 दिन में बैंक खाते में प्राप्त कर सकते हैं।
  • सोना: अच्छी तरलता। गोल्ड ETF या सोने के सिक्के आसानी से बेचे जा सकते हैं। ज्वेलरी बेचते समय मेकिंग चार्जेस का नुकसान हो सकता है।
  • प्रॉपर्टी: सबसे कम तरल। प्रॉपर्टी बेचना एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है। सही खरीदार ढूंढने और रजिस्ट्रेशन आदि में महीनों लग सकते हैं।

कर प्रभाव (Tax Impact)

  • इक्विटी: लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) 1 लाख रुपये से अधिक के मुनाफे पर 10%। शॉर्ट-टर्म में 15%।
  • सोना: LTCG 2.5 लाख रुपये से अधिक के मुनाफे पर 20% इंडेक्सेशन के साथ + 3% सेस। शॉर्ट-टर्म में आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार।
  • प्रॉपर्टी: LTCG 2.5 लाख रुपये से अधिक के मुनाफे पर 20% इंडेक्सेशन के साथ। स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज अतिरिक्त लागत हैं।

एक आदर्श निवेश रणनीति क्या होनी चाहिए?

पिछले दशक का सबक साफ है: रिटर्न के मामले में इक्विटी सबसे आगे रही, जबकि प्रॉपर्टी निराश करती दिखी। सोने ने एक स्थिर और सम्मानजनक रिटर्न दिया।

लेकिन असली जीत सिर्फ एक एसेट क्लास में निवेश करने में नहीं, बल्कि डायवर्सिफिकेशन (विविधीकरण) में है। एक बुद्धिमान निवेशक अपने पोर्टफोलियो में इन तीनों को जगह देता है।

  • इक्विटी: दीर्घकालिक धन निर्माण के लिए, 7-10 साल के निवेश हॉरिजन के साथ।
  • सोना: पोर्टफोलियो में स्थिरता लाने और मुद्रास्फीति से बचाव के लिए।
  • प्रॉपर्टी: ठोस संपत्ति के रूप में और किराये की नियमित आय के स्रोत के रूप में।

आपकी उम्र, वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के आधार पर इनमें एलोकेशन तय होना चाहिए। युवा और उच्च जोखिम उठा सकने वाले निवेशक इक्विटी में अधिक निवेश कर सकते हैं, जबकि सेवानिवृत्ति के करीब पहुंचे लोग सोने और डेट इंस्ट्रूमेंट्स में अधिक निवेश कर सकते हैं।


(FAQs)

क्या मुझे सिर्फ एक ही एसेट क्लास में निवेश करना चाहिए?
जवाब: बिल्कुल नहीं। सभी एसेट क्लासेज अलग-अलग आर्थिक परिस्थितियों में अलग तरह से प्रदर्शन करती हैं। अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने से जोखिम कम होता है और रिटर्न को स्थिरता मिलती है।

छोटी रकम के निवेश के लिए क्या बेहतर है?
जवाब: छोटी और नियमित रकम (SIP) के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड सबसे बेहतर विकल्प हैं। सोने में भी गोल्ड ETF के जरिए छोटे निवेश किए जा सकते हैं। प्रॉपर्टी में छोटा निवेश संभव नहीं है।

क्या प्रॉपर्टी अब भी निवेश का अच्छा विकल्प है?
जवाब: हां, लेकिन सोच-समझकर। अच्छी लोकेशन में रियल एस्टेट अभी भी किराये की आमदनी और दीर्घकाल में पूंजीगत मुनाफा दे सकता है। हालांकि, इसकी तरलता कम होती है, इसलिए केवल उसी पैसे को निवेश करें जिसकी लंबे समय तक जरूरत न हो।

गोल्ड ETF और फिजिकल गोल्ड में क्या अंतर है?
जवाब: फिजिकल गोल्ड (ज्वेलरी, सिक्के) में सुरक्षा और मेकिंग चार्जेस का खर्च होता है। गोल्ड ETF डिजिटल फॉर्म में सोना है, जो स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदा-बेचा जाता है। यह अधिक सुविधाजनक, सुरक्षित और तरल है।

क्या पिछले 10 साल का रिटर्न भविष्य के लिए सही मार्गदर्शक है?
जवाब: नहीं, भूतकाल का रिटर्न भविष्य की गारंटी नहीं है। यह सिर्फ एक ट्रेंड और प्रदर्शन का विश्लेषण है। भविष्य में अलग-अलग आर्थिक हालात अलग-अलग नतीजे ला सकते हैं। इसलिए, अपनी रिसर्च करें और फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें।

क्या रियल एस्टेट में निवेश के लिए REITs एक बेहतर विकल्प हैं?
जवाब: हां, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs) छोटे निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हैं। ये स्टॉक की तरह खरीदे-बेचे जा सकते हैं, अच्छी तरलता देते हैं और नियमित डिविडेंड का स्रोत होते हैं। यह फिजिकल प्रॉपर्टी खरीदने के झंझट से मुक्त हैं।

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