केंद्र ने मनीपुर में नए केंद्रशासित प्रदेश के निर्माण के लिए अभी तक कोई नीति नहीं बनाई है, कुकी-ज़ो समूहों की मांगों के बीच स्पष्ट किया।
कुकी-ज़ो समूहों की मांग पर केंद्र का जवाब, नया केंद्रशासित प्रदेश बनाने को लेकर साफ़ जताई स्थिति
केंद्र ने मनीपुर में नए केंद्रशासित प्रदेश बनाने की नीति को लेकर स्पष्ट किया
मनीपुर में कुकी-ज़ो समूहों की नई मांगों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि अभी तक नए केंद्रशासित प्रदेश के निर्माण के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई है। 6 और 7 नवंबर को नई दिल्ली में हुई दो दिवसीय बातचीत में गृह मंत्रालय ने कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट (UPF) के प्रतिनिधियों से चर्चा की, जो कुकी-ज़ो सशस्त्र समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बातचीत के प्रारंभिक विषय और केन्द्र की स्थिति
इस बैठक का नेतृत्व गृह मंत्रालय के पूर्वोत्तर सलाहकार ए.के. मिश्रा ने किया। चर्चा का मुख्य विषय त्रिपक्षीय समझौते के क्रियान्वयन, प्रशासनिक सुधार, आंतरिक सुरक्षा और विस्थापितों के पुनर्वास से संबंधित मुद्दे थे। केंद्र ने स्पष्ट किया कि किसी भी भविष्य के प्रशासनिक बदलाव के लिए मनीपुर के सभी समुदायों की व्यापक सलाह जरूरी होगी।
कुकी-ज़ो समूहों की मांग
कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट ने मनीपुर के कुकी-ज़ो पहाड़ी इलाकों में स्वायत्तता बहाल करने हेतु नए केंद्रशासित प्रदेश की स्थापना की मांग दोहराई। उन्होंने इतिहास और संविधान के हवाले से तर्क दिया कि स्वतंत्रता से पहले ये क्षेत्र ‘Excluded Areas’ थे, जिन्हें ब्रिटिश राजनीतिक एजेंट द्वारा प्रशासित किया जाता था, न कि मेइती राजघराने द्वारा।
महत्वपूर्ण पहलू
- कुकी-ज़ो समूहों का दावा कि मनीपुर का 1949 का विलय असमान था और उन्होंने परंपरागत अधिकारों को खो दिया है।
- केंद्र ने जोर दिया कि यह मांग कोई अलगाववादी कदम नहीं बल्कि संवैधानिक सीमा में स्वायत्तता हासिल करने का प्रयास है।
- बातचीत में आदिवासी भूमि अधिकार, वन संरक्षण और प्रथागत प्रमुखों के अधिकारों को लेकर भी चर्चा हुई।
आगे की प्रक्रिया
दोनों पक्षों ने भरोसा बढ़ाने के प्रयास जारी रखने पर सहमति जताई है। आगामी हफ्तों में फिर से बातचीत की संभावना है ताकि मनीपुर के जातीय और प्रशासनिक संकट का स्थायी समाधान निकल सके।
FAQs:
- कुकी-ज़ो समूह क्या मांग रहे हैं?
वे मनीपुर में नए केंद्रशासित प्रदेश की स्थापना चाहते हैं जिसमें उन्हें अपनी स्वायत्तता मिले। - केंद्र सरकार की क्या नीति है?
केंद्र ने स्पष्ट किया है कि अभी तक इस तरह की कोई नीति नहीं बनाई गई है। - क्या यह मांग अलगाववादी है?
नहीं, समूहों का कहना है कि यह भारत के संविधान के तहत स्वायत्तता की मांग है। - बातचीत में किन मुद्दों पर चर्चा हुई?
प्रशासनिक सुधार, आंतरिक सुरक्षा, विस्थापितों का पुनर्वास, भूमि व वन अधिकार आदि। - आगे क्या होगा?
भरोसा बढ़ाने के प्रयास चलेंगे और अगली बातचीत की संभावना है।
Leave a comment