हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 77% की कमी आई है और राज्य 2027 तक शून्य पराली जलाने वाला राज्य बनने का लक्ष्य रखता है।
2027 तक हरियाणा बनेगा ‘ज़ीरो बर्न’ राज्य, पराली जलाने पर लगाम कसी
हरियाणा में इस कृषि मौसम में पराली जलाने की घटनाओं में 77 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है, जिससे राज्य 2027 तक ‘ज़ीरो बर्न’ यानी पराली जलाने से मुक्त राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है। यह जानकारी राज्य के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने शुक्रवार को साझा की।
इस वर्ष नवंबर के शुरू तक केवल 171 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुई हैं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 888 मामले सामने आए थे। यह कमी विशेष रूप से करनाल और कुरुक्षेत्र जिलों में किसानों और अधिकारियों के संयुक्त प्रयासों के कारण संभव हुई है।
राज्य की तीन-स्तरीय रणनीति – इन-सिटू प्रबंधन, एक्स-सिटू उपयोग, और चारा उपयोग – ने पराली प्रबंधन में उत्कृष्ट परिणाम दिए हैं। लगभग 44.40 लाख टन पराली इन-सिटू विधि से, 19.10 लाख टन एक्स-सिटू विधि से और 22 लाख टन पराली चारे के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
सरकार ने पराली प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन भी दिए हैं, जैसे कि प्रति एकड़ 1,200 रुपये प्रबंधन के लिए, 8,000 रुपये फसल विविधीकरण के लिए और 4,500 रुपये डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस (DSR) के लिए। कुल बजट 471 करोड़ रुपये है।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की देखरेख में 2 लाख एकड़ जमीन पर बायोडीकम्पोजर पाउडर का उपयोग भी किया जा रहा है।
केंद्र और राज्य सरकार ने क्रॉप रेजिड्यू मैनेजमेंट योजना के तहत 7,781 मशीनों के लिए 94 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जिनका कुल कार्ज़ 250.75 करोड़ रुपये है। मशीनों का उपयोग किसानों के बीच तेजी से फैल रहा है।
पराली का औद्योगिक उपयोग भी बढ़ गया है, जिसमें 31 पेलेटाइजेशन और ब्रीकेटिंग प्लांट, 11 बॉयोमास पावर प्लांट्स, 2जी एथेनॉल प्लांट, 2 कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट और 5 थर्मल पावर प्लांट शामिल हैं। आगामी वर्षों में इनकी संख्या और बढ़ेगी।
राज्य ने गैर-एनसीआर जिलों के ईंट भट्टों को 2025 तक 20% और 2028 तक 50% स्ट्रा-बेस्ड पेलेट्स उपयोग करने के निर्देश दिए हैं।
हरियाणा स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर से सैटेलाइट मॉनिटरिंग की मदद से 10,028 नोडल अधिकारियों द्वारा फायर डिटेक्शन पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
प्रदूषण नियंत्रण आयोग (CAQM) के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने हरियाणा प्रशासन और किसानों के संयुक्त प्रयासों की प्रशंसा की और अगले दस दिनों को निर्णायक बताया।
FAQs:
- हरियाणा में पराली जलाने में कितनी कमी आई है?
- 77% की कमी दर्ज हुई है।
- राज्य में पराली प्रबंधन के लिए कौन-कौन सी विधियां अपनाई गई हैं?
- इन-सिटू, एक्स-सिटू और चारा उपयोग विधियां।
- किसानों को पराली प्रबंधन के लिए क्या प्रोत्साहन दिए गए हैं?
- प्रति एकड़ 1,200 रुपये, फसल विविधीकरण और डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस पर भी आर्थिक सहायता।
- पराली का औद्योगिक उपयोग कैसे बढ़ा है?
- पेलेटाइजेशन, बॉयोमास पावर, एथेनॉल, बायोगैस और थर्मल पावर प्लांट शामिल हैं।
- प्रदूषण नियंत्रण में अगले कदम क्या हैं?
- कड़ी निगरानी, जागरूकता, और तकनीकी सहायता को और बढ़ाना।
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