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दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर पासपोर्ट किस देश का है? Henley Passport Power Index 2025

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Henley Passport Index 2025 की रैंकिंग जारी: अमेरिका पहली बार टॉप-10 से बाहर, भारत 80वें स्थान पर पहुंचा। सिंगापुर का पासपोर्ट सबसे ताकतवर, जानें पूरी लिस्ट और रैंकिंग के पीछे की वजह।

दुनिया का सबसे ताकतवर Passport 2025

अमेरिका टॉप-10 से बाहर, भारत 80वें स्थान पर, जानें क्या है पूरी रैंकिंग

क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर पासपोर्ट किस देश का है? अगर आप अंतरराष्ट्रीय यात्रा करना पसंद करते हैं या बिजनेस के सिलसिले में विदेश जाते हैं, तो आपके पासपोर्ट की ताकत आपकी यात्रा को आसान या मुश्किल बना सकती है। हाल ही में साल 2025 के लिए प्रतिष्ठित ‘हैनले पासपोर्ट इंडेक्स’ (Henley Passport Index) जारी किया गया है, जिसमें इस साल कुछ बड़े बदलाव देखने को मिले हैं।

इस साल की रैंकिंग ने ऐतिहासिक बदलाव देखा है, जहां दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका पहली बार टॉप-10 देशों की सूची से बाहर हो गया है। वहीं, भारत की स्थिति में मामूली सुधार देखने को मिला है, लेकिन वह अभी भी काफी पीछे है। अगर आप जानना चाहते हैं कि किस देश का पासपोर्ट सबसे ज्यादा मजबूत है, भारत की रैंक क्या है और अमेरिका के साथ क्या हुआ है, तो यह लेख आपके लिए ही है।

Henley Passport इंडेक्स क्या है?

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि आखिर हैनले पासपोर्ट इंडेर्ट क्या है। हैनले एंड पार्टनर्स, एक लंदन स्थित ग्लोबल सिटीजनशिप और रेजिडेंसी एडवाइजरी फर्म, हर साल यह इंडेक्स जारी करती है। यह इंडेक्स दुनिया के 199 पासपोर्टों की तुलना करता है और यह मापता है कि किस पासपोर्ट के धारक बिना वीजा के (Visa-Free) या ऑन-अराइवल वीजा (Visa-on-Arrival) पर कितने देशों में यात्रा कर सकते हैं।

इस इंडेक्स को तैयार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के डेटा का इस्तेमाल किया जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो, जिस देश के पासपोर्ट के धारक जितने ज्यादा देशों में बिना पूर्व वीजा के घूम सकते हैं, उस पासपोर्ट को उतना ही ‘ताकतवर’ या ‘स्ट्रॉन्ग’ माना जाता है।

2025 की रैंकिंग: किसने मारी बाजी, किसने गंवाई जमीन?

2025 की रैंकिंग में एशियाई देशों का दबदबा कायम है, जबकि पारंपरिक पश्चिमी शक्तियों में गिरावट देखी गई है।

  • टॉप-3 सबसे ताकतवर पासपोर्ट:
    1. सिंगापुर: लगातार दूसरे साल सिंगापुर का पासपोर्ट दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट बना हुआ है। सिंगापुर के पासपोर्ट धारक बिना वीजा के 195 देशों में यात्रा कर सकते हैं।
    2. इटली, जर्मनी, स्पेन और फ्रांस: ये चारों यूरोपीय देश संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर हैं। इनके पासपोर्ट धारक 194 देशों में वीजा-फ्री एक्सेस पा सकते हैं।
    3. फिनलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया और स्वीडन: ये चारों देश तीसरे स्थान पर काबिज हैं, जिनके पासपोर्ट धारक 193 देशों में घूम सकते हैं।
  • अमेरिका की ऐतिहासिक गिरावट: इस साल का सबसे बड़ा झटका संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) को लगा है। अमेरिका का पासपोर्ट 12वें स्थान पर फिसल गया है। अमेरिकी पासपोर्ट धारक अब बिना वीजा के सिर्फ 188 देशों में ही यात्रा कर सकते हैं। पिछले एक दशक में अमेरिका की रैंकिंग में लगातार गिरावट देखी जा रही है।
  • भारत की स्थिति: भारत ने इस साल अपनी रैंकिंग में थोड़ा सुधार किया है। भारत अब 80वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल यह 81वें स्थान पर था। भारतीय पासपोर्ट धारक अब 67 देशों में बिना वीजा के या ऑन-अराइवल वीजा पर यात्रा कर सकते हैं। यह संख्या पिछले वर्षों के मुकाबले बेहतर है।

रैंकिंग के पीछे की वजह: अमेरिका टॉप-10 से बाहर क्यों?

विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका की रैंकिंग में गिरावट के पीछे कई कारण हैं:

  • राजनीतिक और विदेश नीति: कुछ देशों के साथ अमेरिका के तनावपूर्ण संबंधों के कारण, उन देशों ने अमेरिकी नागरिकों के लिए वीजा नियमों को सख्त कर दिया है या वीजा-फ्री एक्सेस वापस ले लिया है।
  • ग्लोबल पॉलिटिक्स का बदलता लैंडस्केप: दुनिया भर में कई देश अब अपनी स्वायत्तता पर जोर दे रहे हैं और वीजा नीतियों को अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर बना रहे हैं।
  • प्रतिस्पर्धा का बढ़ना: दूसरे देश, खासकर एशियाई और यूरोपीय देश, अपने पासपोर्ट की ताकत बढ़ाने के लिए दूसरे देशों के साथ मजबूत डिप्लोमेटिक संबंध बना रहे हैं, जबकि अमेरिका इस मामले में पिछड़ता नजर आ रहा है।

भारत के लिए क्या मायने हैं इन रैंकिंग के?

भारत के लिए 80वां स्थान एक मिश्रित संदेश लेकर आता है।

  • सकारात्मक पहलू: भारत की रैंकिंग में हाल के वर्षों में लगातार सुधार हो रहा है। यह भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और दुनिया के अन्य देशों के साथ मजबूत होते डिप्लोमेटिक रिश्तों का नतीजा है। भारत ने कई देशों के साथ वीजा-छूट समझौते किए हैं।
  • सुधार की गुंजाइश: अभी भी भारत को टॉप-50 या टॉप-30 में पहुंचने के लिए एक लंबा सफर तय करना है। इसके लिए और अधिक देशों के साथ मजबूत राजनयिक संबंध, आर्थिक सहयोग और वीजा नीतियों पर बातचीत जारी रखनी होगी।

Henley Passport इंडेक्स 2025 ने साफ कर दिया है कि ग्लोबल पावर डायनामिक्स बदल रही है। एशिया और यूरोप के देश अब वैश्विक गतिशीलता (Global Mobility) के मामले में अग्रणी हैं। जहां अमेरिका जैसे देश के लिए यह रैंकिंग एक चेतावनी है, वहीं भारत के लिए यह एक उम्मीद की किरण है कि सही दिशा में कदम बढ़ाने से उसकी स्थिति में सुधार संभव है। अगले कुछ वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत अपनी इस रफ्तार को बनाए रख पाता है और क्या अमेरिका अपनी खोई हुई जमीन वापस पा सकता है।


FAQs

1. Henley Passport इंडेक्स कौन जारी करता है?
इसे लंदन स्थित एक ग्लोबल सिटीजनशिप एडवाइजरी फर्म, हैनले एंड पार्टनर्स, जारी करती है। यह दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला पासपोर्ट इंडेक्स है।

2. क्या पाकिस्तान का पासपोर्ट भारत से कमजोर है?
जी हां, हैनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 के अनुसार, पाकिस्तान 106वें स्थान पर है, जो भारत (80वां स्थान) से काफी नीचे है। पाकिस्तानी पासपोर्ट धारकों को सिर्फ 36 देशों में वीजा-फ्री एक्सेस मिलता है।

3. क्या चीन का पासपोर्ट भारत से ज्यादा ताकतवर है?
हां, चीन का पासपोर्ट भारत से कहीं ज्यादा ताकतवर है। 2025 की रैंकिंग में चीन 57वें स्थान पर है और चीनी पासपोर्ट धारक 92 देशों में वीजा-फ्री यात्रा कर सकते हैं।

4. पासपोर्ट की ताकत बढ़ाने के लिए देश क्या कर सकते हैं?
किसी देश के पासपोर्ट की ताकत बढ़ाने के लिए मजबूत अर्थव्यवस्था, स्थिर राजनीतिक व्यवस्था, और दूसरे देशों के साथ मजबूत राजनयिक संबंध सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। देश दूसरे देशों के साथ वीजा-छूट समझौते (Visa-waiver agreements) करके अपने पासपोर्ट की ताकत बढ़ा सकते हैं।

5. क्या भारत की रैंकिंग में सुधार जारी रहेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और वैश्विक प्रभाव के चलते उसकी रैंकिंग में धीरे-धीरे सुधार होता रहेगा। हालांकि, टॉप-30 या टॉप-40 में पहुंचने में अभी समय लग सकता है।

6. दुनिया का सबसे कमजोर पासपोर्ट किस देश का है?
2025 में, अफगानिस्तान का पासपोर्ट सबसे कमजोर पासपोर्ट बना हुआ है, जिसके धारक सिर्फ 28 देशों में ही बिना वीजा के जा सकते हैं। इसके बाद सीरिया (30 देश) और इराक (32 देश) का स्थान है।

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