राजस्थान के Menar गांव में 100 से अधिक दुर्लभ पक्षी प्रजातियाँ निवास करती हैं, जो संरक्षण का एक विश्व स्तरीय उदाहरण बना है।
पक्षी संरक्षण में Menar का योगदान और विश्व में उसकी प्रशंसा
Menar: भारत का पक्षी गांव, जहाँ 100 से अधिक दुर्लभ प्रजातियाँ पनपती हैं
मेनार, राजस्थान के उदयपुर जिले के निकट एक छोटा सा गांव है, जो पक्षी संरक्षण के लिए विश्व प्रसिद्ध हो चुका है। यह गांव पक्षी प्रेमी समुदाय और स्थानीय निवासियों की अनवरत प्रयासों की बदौलत पूरी दुनिया में एक आदर्श संरक्षण मॉडल के रूप में उभरा है। मेनार केवल एक सामान्य गांव नहीं, बल्कि एक जीवंत पक्षी स्वर्ग है जहां सैंकड़ों पक्षी प्रजातियाँ निवास करती हैं और प्रवास करती हैं।
पक्षी जैव विविधता और महत्वपूर्ण संरक्षण क्षेत्र
मेनार के आसपास के दो मुख्य जलाशय — ब्रह्मा तालाब और ढांड तालाब — भारतीय प्राकृति का अनमोल हिस्सा हैं। यहां 100 से अधिक पक्षी प्रजातियों में से 67 प्रवासी पक्षी हैं, जो हर सर्दियों में यहाँ आते हैं। इनमें ग्रेटर फ्लेमिंगो, पेंटेड स्टॉर्क, बार-हेडेड गीज़, इंडियन स्किमर जैसी दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ शामिल हैं। 2024 में बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी ने मेनार को एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA) घोषित किया वहीं वर्ष 2025 में इसे रैमसर साइट का दर्जा मिला।
स्थानीय समुदाय और संरक्षण का आदर्श
मेनार के लोग, जिन्हें ‘पक्षी मित्र’ के नाम से जाना जाता है, अपने आर्द्रभूमि और पक्षियों की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने शिकार, मछली पकड़ने और जलाशयों के औद्योगिक उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है। यह प्रतिबद्धता बाहरी दबाव या सरकारी आदेश से नहीं, बल्कि अपनी परंपरा और विरासत के प्रति प्रेम से प्रेरित है। गांव के युवाओं और बड़ों ने स्वयंसेवी निगरानी दल बनाकर जलाशय की रक्षा करते हैं।
संरक्षण के लिए बदलाव और सफलता की कहानी
खेती को सीमित कर पानी की सतह और पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए गांव के किसान अपनी परंपरागत फसलों समेत अन्य गतिविधियों को बदल चुके हैं, जिससे पक्षियों का प्राकृतिक आवास सुरक्षित रहता है। इस सामूहिक प्रयास से संकटग्रस्त कई पक्षी प्रजातियों की संख्या में वृद्धि हुई है। मेनार के प्रयासों को राष्ट्रीय और वैश्विक मान्यता मिली है, और यह भारत सरकार द्वारा आधिकारिक पक्षी गांव के रूप में पहचाना गया है।
FAQs
- Menar पक्षी गांव क्यों खास है?
- यहाँ पक्षियों की 100+ प्रजातियाँ पाई जाती हैं, और यह संरक्षण का एक सफल मॉडल है।
- मेनार में कौन-कौन से प्रमुख पक्षी देखे जा सकते हैं?
- ग्रेटर फ्लेमिंगो, पेंटेड स्टॉर्क, बार-हेडेड गीज़ और इंडियन स्किमर जैसे दुर्लभ पक्षी।
- गांव के लोग पक्षियों की रक्षा कैसे करते हैं?
- शिकार और मछली पकड़ने पर पाबंदी, जल संरक्षण, और स्वयंसेवी गश्त के माध्यम से।
- मेनार को रैमसर साइट कब घोषित किया गया?
- जून 2025 में मेनार को रैमसर साइट का दर्जा मिला।
- मेनार संरक्षण मॉडल से क्या प्रेरणा मिलती है?
- समुदाय की सहभागिता और समर्पण से पर्यावरण और जीव-जंतुओं का संरक्षण संभव है।
- मेनार में पर्यटक पक्षी दर्शन कब कर सकते हैं?
- मुख्यतः अक्टूबर से अप्रैल तक जब प्रवासी पक्षी यहाँ आते हैं।
यह लेख मेनार पक्षी गांव की सफलता, जैव विविधता, और स्थानीय संरक्षण के अद्भुत प्रयासों से परिचित कराता है जो भारत और विश्व के लिए गर्व का विषय है।
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