Som Pradosh व्रत 3 नवंबर 2025 को है। जानिए पूजा मुहूर्त, विधि, नियम और शिवजी की आराधना का महत्व।
Som Pradosh व्रत अनुसूची, पूजा मुहूर्त और आध्यात्मिक महत्व
Som Pradoshव्रत 2025: तिथि, पूजा मुहूर्त, विधि और महत्व
नवंबर 2025 में सोम प्रदोष व्रत सोमवार, 3 नवंबर को रखा जाएगा। यह व्रत शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाला विशेष प्रदोष व्रत है, जिसका प्रादोष पूजा मुहूर्त शाम 5:34 बजे से 8:11 बजे तक है। प्रदोष समय, सूर्यास्त के बाद का वह काल होता है जब भगवान शिव की कृपा सर्वाधिक मानी जाती है।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोम प्रदोष व्रत का सोमवार को पड़ना इसे अत्यंत शुभ बनाता है क्योंकि सोमवार शिव भगवान को समर्पित होता है। इस दिन व्रती पूर्ण श्रद्धा और नियम के साथ उपवास रखते हैं, शिवजी की पूजा-अर्चना कर उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत से पाप नष्ट होते हैं, जीवन में सुख-शांति बनी रहती है, और विवाहिक तथा मानसिक जीवन में सामंजस्य आता है।
Som Pradosh व्रत पूजा विधि
व्रत के दिन भोः जल्दी उठकर स्वच्छ होकर स्नान करें। शाम के प्रदोष काल में भगवान शिव का अभिषेक दूध, दही, शहद एवं जल से करें। बिल्व पत्र, फल, अगरबत्ती और दीपक अर्पित करें। शिवजी की आराधना शांति पूर्वक करें और गणेश पूजन के साथ पूजा आरंभ करें। पूजा के बाद आहुति और मंत्र जप का विधि पूर्वक सञ्चालन करें।
व्रत के नियम
- उपवास शुद्ध और सात्त्विक भोजन का हो, कई बार निर्जला व्रत रखा जाता है।
- त्रयोदशी तिथि प्रारंभ से अंत तक व्रत पालन का नियम होता है।
- शनिदेव या अन्य देवताओं की भी आराधना की जाती है जिससे समस्त बाधाएं दूर होती हैं।
Som Pradosh व्रत के लाभ
इस व्रत का पालन करने से न केवल पाप नष्ट होते हैं बल्कि व्यक्ति के जीवन में ऊर्जा, प्रेरणा और मानसिक शांति भी आती है। साथ ही रोग-व्याधियों से मुक्ति और धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। व्रती का मनोबल बढ़ता है और भगवान शिव की कृपा बख्शी जाती है।
FAQs
- Som Pradosh व्रत कब है?
- 3 नवंबर 2025 को।
- प्रदोष पूजा मुहूर्त क्या है?
- शाम 5:34 बजे से 8:11 बजे तक।
- व्रत में क्या खाने-पीने की अनुमति है?
- निर्जला उपवास या फल, दूध, जल की अनुमति होती है।
- व्रत का प्रारंभ कैसे करें?
- सुबह स्नान के बाद संकल्प लेकर और गणेश पूजा के साथ।
- क्या सोम प्रदोष व्रत में अन्य देवताओं की पूजा होती है?
- हाँ, कई जगहों पर शनिदेव की पूजा भी होती है।
- व्रत क्यों रखना चाहिए?
- पापों से मुक्ति, सुख-शांति और मनोवैज्ञानिक लाभ के लिए।
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