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पैसे को Online Scammers से कैसे बचाएं?

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Online Scammers से अपने पैसे को सुरक्षित रखना चाहते हैं? जानें फ़िशिंग, UPI फ्रॉड, फ़ोन कॉल स्कैम और सोशल मीडिया हैक्स से बचने के आसान और कारगर एक्सपर्ट टिप्स। अपनी डिजिटल सेफ्टी खुद मैनेज करें।

Social Media और फोन कॉल स्कैम से पैसे बचाने के एक्सपर्ट टिप्स

Online Scammers से सुरक्षा: डिजिटल दुनिया में अपने पैसे को सुरक्षित रखने की पूरी गाइड

कल्पना कीजिए, एक सामान्य दिन में आपका फोन बजता है। कॉल करने वाला खुद को आपके बैंक का अधिकारी बताता है और कहता है कि आपके कार्ड को ब्लॉक करना पड़ेगा क्योंकि KYC अपूर्ण है। वह आपसे आपका कार्ड नंबर और OTP मांगता है। आप घबराकर details शेयर कर देते हैं, और पलक झपकते ही आपके बैंक खाते से हज़ारों रुपए गायब हो जाते हैं। यह कोई सीन नहीं, बल्कि हर रोज हज़ारों भारतीयों के साथ होने वाली एक सच्ची घटना है।

डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन बैंकिंग ने हमारी जिंदगी को आसान बनाया है, लेकिन इसने साइबर ठगों के लिए नए रास्ते भी खोल दिए हैं। ये ठग हर समय नए-नए तरीके ईजाद करते रहते हैं तो लोगों को फंसाकर उनका पैसा हड़प सकें। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या हम अपनी मेहनत की कमाई को इन स्कैमर्स से बचा सकते हैं? जवाब है, हाँ! इस लेख में, हम साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट्स द्वारा बताए गए वो आसान, लेकिन बेहद कारगर तरीके जानेंगे, जिन्हें अपनाकर आप खुद को और अपने पैसे को ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचा सकते हैं।

Online Scammers के प्रमुख प्रकार: दुश्मन को पहचानें

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि हम किससे लड़ रहे हैं। आइए जानते हैं भारत में सबसे ज्यादा होने वाले कॉमन ऑनलाइन स्कैम्स के बारे में।

  • फ़िशिंग कॉल और मैसेज: यह सबसे आम तरीका है। स्कैमर्स आपको फोन कॉल, SMS या व्हाट्सएप मैसेज करके आपके बैंक, डिलीवरी कंपनी (जैसे Amazon, Flipkart) या सरकारी संस्था (जैसे आयकर विभाग) का झूठा रूप धारण करते हैं। वे आपसे आपका पर्सनल डिटेल्स, कार्ड नंबर, नेट बैंकिंग पासवर्ड या OTP शेयर करने के लिए कहते हैं।
  • UPI फ्रॉड: इसमें स्कैमर आपसे कहता है कि उसे पैसा भेजने की जरूरत है या फिर वह आपको एक फ़्रॉड UPI लिंक भेजता है जो देखने में बिल्कुल असली जैसा लगता है। जैसे ही आप पैसा भेजते हैं या लिंक पर क्लिक करके अपना UPI PIN डालते हैं, आपके खाते से पैसा ट्रांसफर हो जाता है।
  • KYC अपडेट स्कैम: यह बहुत ही कॉमन स्कैम है। आपको एक मैसेज या ईमेल आता है कि आपके बैंक अकाउंट या वॉलेट की KYC अपडेट नहीं है और इसे ब्लॉक कर दिया जाएगा। इसमें एक लिंक दिया होता है। जब आप लिंक पर क्लिक करते हैं और अपना डिटेल्स भरते हैं, तो वह सारी जानकारी सीधे स्कैमर के पास पहुँच जाती है।
  • नौकरी और इनवेस्टमेंट फ्रॉड: स्कैमर्स आपको नौकरी का झूठा ऑफर देते हैं या ऐसी इनवेस्टमेंट स्कीम दिखाते हैं जिसमें बहुत कम समय में बहुत ज्यादा रिटर्न का वादा किया जाता है। शुरुआत में तो आपको थोड़ा पैसा रिटर्न भी मिल जाता है, लेकिन जैसे ही आप बड़ी रकम इन्वेस्ट करते हैं, स्कैमर गायब हो जाता है।
  • सोशल मीडिया हैक और इम्पर्सनेशन स्कैम: अगर किसी के सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो जाते हैं, तो हैकर उनके दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे मांगने के लिए मैसेज कर सकते हैं।

Online Scammers से बचाव के 10 जरूरी एक्सपर्ट टिप्स

अब बारी आती है उन ठोस कदमों की, जिन्हें अपनाकर आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

1. OTP है सोने की चाबी, कभी किसी के साथ शेयर न करें
OTP (वन टाइम पासवर्ड) आपके खाते तक पहुँचने का आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण कदम है। बैंक या किसी भी लीगल कंपनी का कोई भी कर्मचारी आपसे कभी भी OTP नहीं मांगेगा। इसे किसी के साथ शेयर करना अपने घर की चाबी किसी अजनबी को देने के बराबर है। OTP सिर्फ और सिर्फ आपके लिए है।

2. लिंक पर क्लिक करने से पहले तीन बार सोचें
किसी भी अज्ञात मैसेज, ईमेल या व्हाट्सएप चैट में आए लिंक पर क्लिक करने से बचें। अगर लिंक बैंक का दिख रहा है, तो सीधे बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट या ऐप पर जाकर लॉग इन करें और चेक करें। फ़िशिंग लिंक्स में अक्सर spelling mistakes होती हैं (जैसे icic1-bank.com की जगह icic1-bank.com)।

3. कॉलर की पहचान परखें
अगर कोई खुद को बैंक से कहकर कॉल करता है, तो उससे उसका नाम, एम्प्लॉय आईडी और ब्रांच का पता पूछें। फिर उस बैंक की ऑफिशियल कस्टमर केयर नंबर (जो उनकी वेबसाइट पर दिया होता है) पर कॉल करके पुष्टि करें कि क्या सच में उनकी तरफ से कोई कॉल आया था। कभी भी उसी नंबर पर कॉल बैक न करें जिससे कॉल आया है।

4. सोशल मीडिया पर पर्सनल जानकारी शेयर करने में संयम बरतें
अपनी जन्मतिथि, फोन नंबर, पता, बच्चों के स्कूल का नाम आदि जानकारियां सोशल मीडिया पर पब्लिकली पोस्ट न करें। स्कैमर्स इन डिटेल्स को इकट्ठा करके आपके बैंक अकाउंट की सिक्योरिटी के सवालों के जवाब ढूंढ सकते हैं या आप पर भरोसा जताने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

5. UPI लेन-देन में सतर्कता

  • किसी को पैसा भेजने से पहले उसका UPI ID (जैसे abc@okicici) मैन्युअलली टाइप करें या QR कोड स्कैन करें।
  • किसी अजनबी द्वारा भेजे गए “कलेक्ट” (Collect) रिक्वेस्ट को स्वीकार न करें।
  • UPI PIN सिर्फ पेमेंट ऑथेंटिकेट करने के लिए डालें। किसी और को पिन डालने के लिए न कहें।

6. मजबूत और यूनिक पासवर्ड का इस्तेमाल करें
अपने नेट बैंकिंग, ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट्स के लिए एक जैसा पासवर्ड कभी न रखें। पासवर्ड में letters, numbers और symbols का मिक्स्चर इस्तेमाल करें। पासवर्ड मैनेजर टूल का इस्तेमाल करना एक अच्छा विकल्प है।

7. टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) को हमेशा ON रखें
यह सुरक्षा की एक अतिरिक्त layer है। अगर कोई आपका पासवर्ड हैक भी कर लेता है, तब भी उसे आपके अकाउंट में लॉग इन करने के लिए आपके फोन पर आए OTP या ऐप नोटिफिकेशन की जरूरत पड़ेगी। अपने सभी महत्वपूर्ण अकाउंट्स में 2FA जरूर enable करें।

8. ऐप परमिशन पर नजर रखें
कोई भी ऐप इंस्टॉल करते समय, उन परमिशन्स को चेक करें जो वह मांग रहा है। क्या एक कैलकुलेटर ऐप को आपके कॉन्टैक्ट्स और SMS पढ़ने की जरूरत है? अगर नहीं, तो उन परमिशन्स को डिनाइ कर दें। सिर्फ ऑफिशियल ऐप स्टोर (Google Play Store, Apple App Store) से ही ऐप्स डाउनलोड करें।

9. “बहुत ज्यादा अच्छा” ऑफर हमेशा शक की नजर से देखें
अगर कोई ऑफर, स्कीम या डील बहुत ज्यादा अच्छी लग रही है और सच होने जैसी नहीं लग रही, तो संभावना है कि वह सच नहीं है। लालच में आकर जल्दबाजी में कोई कदम न उठाएं।

10. नियमित रूप से बैंक स्टेटमेंट चेक करें
हफ्ते में एक बार अपने बैंक अकाउंट और क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट जरूर चेक करें। अगर कोई अजीब या अनअथॉराइज्ड ट्रांजैक्शन दिखे, तो तुरंत अपने बैंक को सूचित करें।

अगर आप स्कैम का शिकार हो ही गए हैं तो क्या करें?

तुरंत ये कदम उठाएं:

  1. फौरन बैंक को सूचित करें: अपने बैंक की कस्टमर केयर पर कॉल करके ट्रांजैक्शन को रिपोर्ट करें और अपने कार्ड/अकाउंट को तुरंत ब्लॉक करवाएं।
  2. साइबर क्राइम विभाग में शिकायत दर्ज करें: भारत सरकार की नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग वेबसाइट (https://cybercrime.gov.in) पर जाकर complaint दर्ज करें।
  3. पुलिस में एफआईआर करें: अगर रकम बड़ी है तो नजदीकी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाएं।
  4. अपने डिवाइस को स्कैन करें: अपने फोन या कंप्यूटर को अच्छे एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर से स्कैन करें।

सतर्कता ही है सुरक्षा की कुंजी

ऑनलाइन स्कैमर्स से बचाव का सबसे बड़ा मंत्र है “सतर्क रहें और शक करें”। थोड़ी सी सावधानी और जागरूकता आपको बड़े नुकसान से बचा सकती है। याद रखें, बैंक और सरकारी संस्थाएं आपकी पर्सनल जानकारी कभी फोन, ईमेल या मैसेज के जरिए नहीं मांगतीं। डिजिटल दुनिया के फायदों का आनंद लें, लेकिन एक जिम्मेदार और सतर्क उपयोगकर्ता बनकर। आपकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सबसे पहले आपकी खुद की है।


FAQs

1. अगर मैंने गलती से किसी स्कैमर को अपना OTP शेयर कर दिया तो क्या करूं?
सबसे पहले तुरंत अपने बैंक की 24×7 कस्टमर केयर हेल्पलाइन पर कॉल करें और अपने कार्ड/अकाउंट को ब्लॉक करवाएं। उन्हें बताएं कि आपका OTP लीक हो गया है। हो सके तो नेट बैंकिंग/मोबाइल बैंकिंग से लॉग इन करके तुरंत ट्रांजैक्शन पासवर्ड बदल दें।

2. क्या व्हाट्सएप पर आए “लॉटरी विन” के मैसेज सच होते हैं?
बिल्कुल नहीं। यह एक क्लासिक स्कैम है। कोई भी लीगल लॉटरी आपको पहले कभी नोटिफाई किए बिना सीधे व्हाट्सएप मैसेज से नहीं मिलती। ऐसे मैसेज को तुरंत डिलीट कर दें और उस नंबर को ब्लॉक कर दें।

3. UPI पेमेंट करते समय सबसे बड़ी गलती क्या है?
सबसे बड़ी गलती है किसी अजनबी के कहने पर “कलेक्ट” रिक्वेस्ट को स्वीकार करना या उसके भेजे गए लिंक पर क्लिक करके UPI PIN डालना। हमेशा पेमेंट करने के लिए “सेंड” / “पे” बटन का ही इस्तेमाल करें।

4. क्या पब्लिक वाई-फाई (मॉल, कैफे) पर नेट बैंकिंग इस्तेमाल करना सुरक्षित है?
नहीं, बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क हैकर्स के लिए आसान टारगेट होते हैं। इन नेटवर्क्स पर अपने बैंक अकाउंट, UPI ऐप्स का इस्तेमाल करने या कोई ऑनलाइन शॉपिंग करने से बचें। अपने फोन का मोबाइल डेटा इस्तेमाल करना हमेशा ज्यादा सुरक्षित होता है।

5. अगर मेरा सिम कार्ड डुप्लीकेट हो जाए तो क्या खतरा है?
बहुत बड़ा खतरा है। अगर कोई स्कैमर आपका सिम कार्ड डुप्लीकेट करवा लेता है, तो वह आपके बैंक और अन्य अकाउंट्स के सभी OTP अपने पास प्राप्त कर सकता है। अगर आपको फोन पर नेटवर्क नहीं आ रहा है या शक हो तो तुरंत अपने टेलीकॉम ऑपरेटर से संपर्क करें।

6. फ़िशिंग ईमेल की पहचान कैसे करें?
फ़िशिंग ईमेल में अक्सर ये लक्षण होते हैं: ईमेल एड्रेस में spelling mistakes, जल्दबाजी में एक्शन लेने के लिए दबाव डालना, ग्रीटिंग में आपका नाम न होना (“Dear Customer”), और अटैचमेंट या लिंक जो संदिग्ध लगे। ऐसे ईमेल को ओपन न करें और न ही उसके लिंक/अटैचमेंट पर क्लिक करें।

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