“जानिए हाइड्रोजन कार क्या हैं, ये कैसे काम करती हैं, इनके फायदे और नुकसान, भारत में इनके आने की संभावना तथा 2025 की नई तकनीक।”
Hydrogen vs Electric Cars
हाइड्रोजन कार क्या हैं?
हाइड्रोजन कार वे वाहन हैं जो ऊर्जा के रूप में हाइड्रोजन गैस का उपयोग करते हैं। इन्हें फ्यूल सेल वाहन (Fuel Cell Vehicles) भी कहा जाता है। ये कारें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा उत्पन्न बिजली से चलता हैं। इस प्रक्रिया में कार से केवल जल वाष्प निकलती है, जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।
हाइड्रोजन कार कैसे काम करती है?
हाइड्रोजन कार की सबसे बड़ी खासियत है उसका फ्यूल सेल, जो हाइड्रोजन गैस को ऑक्सीजन के साथ रिएक्ट कर बिजली बनाता है। ये बिजली इलेक्ट्रिक मोटर को ऊर्जा देती है जो कार के पहियों को घुमाती है।
- हाइड्रोजन गैस को उच्च दबाव वाली टंकी में स्टोर किया जाता है।
- ये गैस फ्यूल सेल में प्रवेश करती है, जहाँ हाइड्रोजन के अणु इलेक्ट्रॉन्स और प्रोटॉन्स में टूट जाते हैं।
- इलेक्ट्रॉन मेम्ब्रेन के बाहर निकलकर इलेक्ट्रिक सर्किट के माध्यम से कार के मोटर को ऊर्जा देते हैं।
- प्रोटॉन्स मेम्ब्रेन के पार जाकर ऑक्सीजन के साथ मिलकर पानी बनाते हैं।
- इस पूरी प्रक्रिया में कार मात्र जल वाष्प उत्सर्जित करती है, जो पूरी तरह साफ और पर्यावरण मित्र है।
हाइड्रोजन कार के फायदे
- शून्य प्रदूषण: पर्यावरण को कण प्रदूषण या ग्रीनहाउस गैसें नहीं होती।
- तेज रिफ्यूलिंग: पेट्रोल या डीज़ल की तरह कुछ मिनटों में ही टंकी भर जाती है।
- लंबा ड्राइविंग रेंज: लगभग 500-600 किलोमीटर एक बार रिफ्यूलिंग पर यात्रा संभव।
- कम वजन: भारी बैटरियों की आवश्यकता नहीं होने से वाहन हल्का रहता है।
- शांत ड्राइविंग अनुभव: बिना शोर के स्मूद एक्सेलेरेशन।
हाइड्रोजन कारों की चुनौतियाँ
- इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: भारत में हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन अभी सीमित हैं।
- उच्च लागत: फ्यूल सेल तकनीक महंगी होने से वाहन के दाम ज्यादा होते हैं।
- पानी तत्त्व से जुड़ी तकनीकी जटिलता: हाइड्रोजन को सुरक्षित रखना तकनीकी चुनौती।
- सीमित उपलब्धता: वर्तमान में कम मॉडल बाजार में हैं, साथ ही जागरूकता की कमी।
भारत और विश्व में हाइड्रोजन कार बाजार
जापान, जर्मनी, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में हाइड्रोजन कारों का विकास और उपयोग तेजी से हो रहा है। भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन’ शुरू किया है, जिससे हाइड्रोजन ऊर्जा में निवेश एवं उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। प्रमुख भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता भी इस तकनीक में रिसर्च कर रहे हैं।
हाइड्रोजन कार बनाम इलेक्ट्रिक कार
पहलु | हाइड्रोजन कार | इलेक्ट्रिक कार |
---|---|---|
ऊर्जा स्रोत | हाइड्रोजन गैस | बैटरी से संचालित बिजली |
रिफ्यूलिंग/चार्जिंग | 3-5 मिनट | 30 मिनट से कई घंटे तक |
ड्राइविंग रेंज | 500-600 किलोमीटर | 200-450 किलोमीटर |
उपलब्धता | सीमित और बढ़ती हुई | अधिक और व्यापक |
वाहन कीमत | महंगी | कम होती जा रही है |
उत्सर्जन | सिर्फ जल वाष्प | शून्य, पर बैटरी निर्माण में प्रभाव हो सकता है |
भारत सरकार की योजनाएँ और पहल
भारत सरकार ने पर्यावरण हितैषी तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए ‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन’ की शुरुआत की है। इसमें हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, और उपयोग के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता मुहैया कराई जाती है। देश में हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशनों का निर्माण शुरू हुआ है, जो आने वाले वर्षों में तेजी से बढ़ेगा।
FAQs
1. हाइड्रोजन कार कितनी दूरी चला सकती है?
लगभग 500-600 किलोमीटर प्रति रिफ्यूल, जो इलेक्ट्रिक कारों से अधिक है।
2. हाइड्रोजन कार को रिफ्यूलिंग में कितना समय लगता है?
3 से 5 मिनट लगते हैं, जो पेट्रोल-डीजल की गाड़ियों जैसे हैं।
3. क्या भारत में हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन उपलब्ध हैं?
अभी सीमित संख्या में हैं, लेकिन सरकार और उद्योग विकास पर काम कर रहे हैं।
4. हाइड्रोजन कार ज्यादा सुरक्षित होती हैं?
हां, अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
5. हाइड्रोजन कार महंगी क्यों होती हैं?
फ्यूल सेल तकनीक और उच्च सुरक्षा मानकों के कारण लागत अधिक होती है।
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