विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पिछले साल टीबी से 1.23 मिलियन लोगों की मौत हुई, हालांकि नए मामलों में कमी आई है, लेकिन टीबी चुनौती बनी हुई है।
टीबी के मामले और मौतों में कमी, लेकिन खतरा अभी भी बना हुआ है: WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 13 नवंबर को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि टीबी पिछले वर्ष लगभग 1.23 मिलियन लोगों की मौत का कारण बनी, जो कि विश्व का सबसे बड़ा संक्रामक रोगी हत्यारा बना हुआ है।
ट्रेंड़ के हिसाब से टीबी के मामले और मौतों में क्रमशः 2 प्रतिशत और 3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो कोविड-19 महामारी के बाद पहली बार हुआ है। हालांकि, यह उपलब्धि अभी भी अस्थिर है और आगे बढ़ने के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता और निवेश की आवश्यकता है।
2024 में अनुमानित 10.7 मिलियन लोग टीबी से संक्रमित हुए, जिनमें 5.8 मिलियन पुरुष, 3.7 मिलियन महिलाएं और 1.2 मिलियन बच्चे शामिल हैं। टीबी फेफड़ों को प्रभावित करता है और हवा के माध्यम से फैलता है जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है।
वर्तमान में टीबी के इलाज और रोकथाम के लिए 63 नए डायग्नोस्टिक टेस्ट, 29 दवाएं और 18 टीका उम्मीदवार विकसित हो रहे हैं, जिनमें से कुछ अंतिम चरण के परीक्षणों में हैं।
टीबी के पांच प्रमुख जोखिम कारक हैं: कुपोषण, HIV संक्रमण, मधुमेह, धूम्रपान और शराब का सेवन। यह HIV संक्रमित लोगों का प्रमुख हत्यारा भी है, जिससे 1.5 लाख मौतें हुईं।
भारत ने वैश्विक टीबी बोझ का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा रखा है, जो कि विश्व में सबसे अधिक है।
अंतरराष्ट्रीय प्रयासों से 2000 से अब तक 8.3 करोड़ लोगों को समय पर उपचार उपलब्ध कराया गया है, जिससे लाखों लोगों की जान बची है।
WHO प्रमुख [translate:टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसुस] ने कहा कि टीबी का उच्च मौत दर अस्वीकार्य है, और अब इस रोग को खत्म करने के लिए वैश्विक संगठित प्रयास करने होंगे।
FAQs:
- पिछले साल टीबी से कितनी मौतें हुईं?
- टीबी के कौन से नए टेस्ट और दवाएं विकास में हैं?
- भारत में टीबी का भार कितना है?
- टीबी के कौन से प्रमुख जोखिम कारक हैं?
- WHO के अनुसार टीबी के खिलाफ अगला कदम क्या होगा?
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