भारत में उड़ानों में पावर बैंक ले जाने के नियम जल्द बदल सकते हैं। DGCA नई सुरक्षा गाइडलाइन तैयार कर रहा है ताकि लिथियम बैटरी हादसों को रोका जा सके।
यात्रियों के लिए नई गाइडलाइन: फ्लाइट में पावर बैंक ले जाने पर लगेंगे प्रतिबंध
उड़ानों में पावर बैंक ले जाने पर सख्ती जल्द, DGCA ला सकता है नए नियम
नई दिल्ली: भारत में जल्द ही उड़ानों में पावर बैंक ले जाने के नियम और अधिक सख्त किए जा सकते हैं। यह कदम दुनिया भर में बढ़ते लिथियम-आयन बैटरी से जुड़े आग के हादसों को देखते हुए उठाया जा रहा है। हाल ही में दिल्ली एयरपोर्ट पर एक डिमापुर जा रही इंडिगो फ्लाइट में यात्री का पावर बैंक टैक्सी करते समय आग पकड़ बैठा। इसके बाद महानिदेशालय नागरिक उड्डयन (DGCA) ने इस मुद्दे पर गंभीरता से कार्रवाई शुरू की है।
विदेशी एयरलाइंस पहले से सख्त
विदेशी एयरलाइंस पहले ही इस तरह की घटनाओं के कारण पावर बैंक के उपयोग पर कड़े प्रतिबंध लगा चुकी हैं। उदाहरण के लिए, दुबई स्थित एमिरेट्स एयरलाइंस ने 1 अक्टूबर से उड़ानों में किसी भी पावर बैंक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। यात्रियों को 100 वॉट-घंटे से कम क्षमता वाला पावर बैंक साथ रखने की अनुमति मिलती है, लेकिन उसे चार्ज करना या किसी डिवाइस को उससे चार्ज करना वर्जित है।
नई शर्तें
एमिरेट्स ने यह भी स्पष्ट किया है कि हर पावर बैंक पर उसकी क्षमता रेटिंग स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि अनियंत्रित चार्जिंग वाली और सस्ती बैटरी वाली डिवाइसों से किसी प्रकार की आग या दुर्घटना न हो।
तकनीकी इनपुट ले रहा DGCA
DGCA फिलहाल तकनीकी विशेषज्ञों से परामर्श ले रहा है ताकि भारत में उड़ानों के लिए इस संबंध में उचित सुरक्षा गाइडलाइन बनाई जा सके। संभावित नियमों के तहत यात्रियों को पावर बैंक केवल सीट पॉकेट या सामने की सीट के नीचे रखने की अनुमति मिल सकती है, जबकि ओवरहेड लगेज बिन में रखने पर रोक रहेगी।
क्यों बढ़ा खतरा?
लिथियम आयन बैटरी में आग लगने के प्रमुख कारणों में अत्यधिक गर्म होना (overheating), ओवरचार्जिंग, और मटीरियल की गुणवत्ता खराब होना शामिल है। अधिकांश आधुनिक फ़ोन और प्रीमियम पावर बैंक में “ट्रिकल चार्ज” सिस्टम होता है जो बैटरी को नियंत्रित रूप से चार्ज करता है, लेकिन सस्ते और बेसिक पावर बैंकों में यह सुविधा नहीं होती। यही उन्हें आग या शॉर्ट सर्किट के लिए अधिक जोखिमपूर्ण बनाता है।
अन्य एयरलाइंस में प्रतिबंध
सिंगापुर एयरलाइंस ने 1 अप्रैल से यात्रियों को पावर बैंक का उपयोग करके डिवाइस चार्ज करने की अनुमति रोक दी है। यात्री अब न तो अपने पावर बैंक से चार्जिंग कर सकते हैं और न ही प्लेन के USB पोर्ट से पावर बैंक चार्ज कर सकते हैं।
हाल की अंतरराष्ट्रीय घटनाएँ
पिछले सप्ताह चीन से दक्षिण कोरिया जा रही एक एयर चाइना फ्लाइट में लिथियम बैटरी में आग लगने की वजह से विमान को आपात स्थिति में शंघाई डायवर्ट करना पड़ा। इससे यात्रियों की सुरक्षा को लेकर फिर से चिंता बढ़ी है कि यह लिथियम बैटरी डिवाइस उड़ानों के दौरान कितने खतरनाक हो सकते हैं।
भारत में क्या बदल सकता है
नई गाइडलाइन के तहत DGCA उड़ानों में पावर बैंक के लिए सख्त स्टोरेज और उपयोग नियम ला सकता है। यह अपेक्षित है कि भारत में ऐसी बैटरियों के लिए क्षमता सीमा, लेबलिंग और टेम्परेचर प्रोटेक्शन जैसे मानक अनिवार्य किए जाएंगे। इसके तहत एयरलाइंस यात्रियों को फ्लाइट से पहले पावर बैंक की जांच करवाने या रिपोर्ट करने को भी कह सकती हैं।
यात्रियों के लिए सलाह
- यात्रा में केवल प्रमाणित और BIS चिह्नित पावर बैंक ही साथ रखें।
- किसी उड़ान में पावर बैंक को चार्ज करने से बचें।
- बैटरी को गर्म सतह या धूप में न रखें।
- बैटरी क्षमता 100Wh से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- लिथियम बैटरी को हमेशा पास रखें, लेकिन उपयोग से बचें।
विमान सुरक्षा का नया युग
सिविल एविएशन इंडस्ट्री आज ऐसे दौर में खड़ी है जहाँ तकनीकी सुविधा और सुरक्षा दोनों का संतुलन आवश्यक है। DGCA के आगामी निर्देश न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, बल्कि एयरलाइंस को भी आग या विस्फोट जैसे खतरों से बचाएंगे।
FAQs
- क्या भारत में फिलहाल हवाई यात्रा के दौरान पावर बैंक ले जाना अनुमति है?
हाँ, लेकिन उपयोग या चार्ज करना निर्धारित सीमाओं में ही संभव है। नया नियम इसे और सख्त कर सकता है। - क्यों लगाई जा रही है यह रोक?
लिथियम आयन बैटरी में आग लगने की घटनाओं के कारण यात्रियों की सुरक्षा के लिए यह कदम जरूरी माना जा रहा है। - अधिकतम किस क्षमता का पावर बैंक ले जाना सुरक्षित है?
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, 100 वॉट-घंटे (Wh) से कम क्षमता के पावर बैंक की अनुमति है। - क्या सभी एयरलाइंस के नियम समान हैं?
नहीं, हर एयरलाइन के नियम अलग हैं। एमिरेट्स और सिंगापुर एयरलाइंस ने पहले ही सख्त रोक लगा रखी है। - नए DGCA नियम कब तक लागू होंगे?
तकनीकी परामर्श के बाद इसके अगले कुछ महीनों में लागू होने की संभावना है।
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