RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत के पास विविधता प्रबंधन के उदाहरण हैं, जिन्हें दुनिया को सिखाने की आवश्यकता है ताकि सामाजिक समरसता बढ़े।
मोहन भागवत का संदेश: दुनिया को विविधता प्रबंधन की कला सिखानी होगी, भारत के पास है उदाहरण
RSS प्रमुख मोहन भागवत] ने गुरुवार को कहा कि भारत को दुनिया को यह सिखाना होगा कि विविधता को कैसे प्रबंधित किया जाए, क्योंकि दुनिया के पास भारत जैसी प्रणाली नहीं है।
उन्होंने ‘विभिन्नता में एकता’ को भारत की सबसे बड़ी ताकत बताया और कहा कि राष्ट्र को समृद्ध बनाना और ‘विश्व गुरु’ बनाना किसी एक व्यक्ति के नियंत्रण में नहीं है। यह कार्य नेताओं, नीतियों, संगठनों और समाज के सभी वर्गों का है।
भागवत ने 100 वर्ष पूर्ण होने] वाली RSS यात्रा की श्रृंखला में ‘Entrepreneur Dialogue: Towards New Horizons’ कार्यक्रम में यह विचार साझा करते हुए कहा कि RSS समाज को संगठित करना चाहता है ताकि संपूर्ण समाज देश के लिए समर्पित और निःस्वार्थ भाव से कार्य करे।
उन्होंने कहा कि RSS के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने दशकों की समाज की खोज के बाद इसे स्थापित किया था, जिसमें सामाजिक सद्भाव, पर्यावरण चेतना और सक्रिय नागरिक जिम्मेदारी शामिल थीं।
भागवत ने परिवार और सामाजिक जुड़ाव, पौधारोपण, जल संरक्षण, प्लास्टिक उपयोग में कमी और आत्मनिर्भरता एवं राष्ट्रीय गर्व बढ़ाने जैसे मुख्य क्रियाकलापों को प्रोत्साहित किया।
उनका मानना है कि ये प्रयास सामाजिक समरसता और पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी हैं और भारत को विश्व गुरुत्व की ओर ले जाएंगे।
FAQs:
- मोहन भागवत के अनुसार भारत को दुनिया को क्या सिखाना चाहिए?
- RSS की 100 वर्ष यात्रा का उद्देश्य क्या है?
- सामाजिक समरसता और पर्यावरण संरक्षण में भारत की भूमिका क्या होनी चाहिए?
- भागवत ने किन मुख्य सामाजिक क्रियाकलापों को प्रोत्साहित किया?
- भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाने के लिए क्या आवश्यकताएँ बताईं गईं?
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