महंगाई अक्टूबर में 0.25% पर पहुंची रिकॉर्ड निचले स्तर पर। पियूष गोयल ने RBI से ब्याज दरें कम करने का संकेत दिया। दिसंबर नीति में क्या होगा? पूरी डिटेल्स और प्रभाव यहां जानें।
इन्फ्लेशन रिकॉर्ड निचले स्तर पर: क्या दिसंबर में RBI गिफ्ट लाएगा ब्याज कटौती का?
भारत की अर्थव्यवस्था में एक अच्छी खबर आ रही है। अक्टूबर 2025 में खुदरा महंगाई दर यानी सीपीआई महज 0.25 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो पिछले 10 सालों में सबसे कम है। वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सबकी नजरें आरबीआई पर टिकी हैं और केंद्रीय बैंक को इन आंकड़ों पर गौर करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि आजादी के बाद पहली बार दशकीय महंगाई इतनी कम हुई है।
यह गिरावट खाने-पीने की चीजों के दाम सस्ते होने और बेस इफेक्ट की वजह से हुई। आरबीआई का लक्ष्य 4 प्रतिशत है, लेकिन पहली छमाही में औसत महंगाई 2.22 प्रतिशत रही। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 26 के लिए अनुमान 3.1 से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया है। गोयल जी ने साफ कहा, “सब आरबीआई का इंतजार कर रहे हैं कि ये नंबरों पर अमल करे।”
महंगाई क्यों गिरी इतना नीचे?
अक्टूबर में सीपीआई 0.25 प्रतिशत रहा, जो सीरीज शुरू होने के बाद सबसे कम है। खासकर सब्जी, फल, अनाज और तेलों के दामों में भारी कमी आई। ग्रामीण इलाकों में हेडलाइन महंगाई माइनस 0.25 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में 0.88 प्रतिशत। खाद्य महंगाई ग्रामीण में -4.85 प्रतिशत और शहरी में -5.18 प्रतिशत रही। जीएसटी कटौती का पूरा असर और बेस इफेक्ट ने इसमें मदद की।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, यह नौवां महीना है जब महंगाई 4 प्रतिशत से नीचे है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भी कहा कि हाल के डेटा से ब्याज दरें कम करने की गुंजाइश है। ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के अनुसार, अगले महीने 1.20 प्रतिशत का अनुमान है। यह सब अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने का संकेत दे रहा है।
पियूष गोयल के बयान का मतलब क्या?
28 नवंबर 2025 को दिल्ली इवेंट में गोयल ने कहा, “पिछले 10 सालों की महंगाई आजादी के बाद सबसे कम रही और इस साल भी बहुत कम रहेगी।” उन्होंने उद्योग से आत्मनिर्भरता पर जोर दिया, क्योंकि ट्रेड को हथियार बनाया जा रहा है। भारत यूएस, यूरोपीय संघ और ओमान जैसे देशों से एफटीए नेगोशिएट कर रहा है। गोयल का यह बयान आरबीआई की 3-5 दिसंबर बैठक से ठीक पहले आया, जब सबकी उम्मीदें 25 बेसिस पॉइंट कट पर हैं।
यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि सरकार और आरबीआई के बीच कभी-कभी मतभेद होते हैं। पहले भी गोयल ने खाद्य महंगाई को दर तय करने का आधार न मानने की बात कही थी। लेकिन अब कम महंगाई से ग्रोथ को इंपलस देने का मौका है। रॉयटर्स पोल में ज्यादातर इकोनॉमिस्ट्स 5.25 प्रतिशत रेपो रेट की भविष्यवाणी कर रहे हैं।
आरबीआई की मौद्रिक नीति का इतिहास
आरबीआई ने फरवरी से अब तक 100 बेसिस पॉइंट कट किए हैं। अक्टूबर में रेपो रेट 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा। अगस्त से होल्ड है। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि डेटा से कट की गुंजाइश बनी हुई है। दिसंबर 5 को एमपीसी मीटिंग में फैसला होगा। मॉर्गन स्टैनली जैसे एनालिस्ट्स टर्मिनल रेट 5.25 प्रतिशत मान रहे हैं।
नीचे एक टेबल है जो हाल के रेट चेंजेस दिखाता है:
| तारीख | रेपो रेट (%) | बदलाव (bps) | मुख्य वजह |
|---|---|---|---|
| फरवरी 2025 | 6.50 | -25 | महंगाई कंट्रोल |
| अप्रैल 2025 | 6.25 | -25 | ग्रोथ सपोर्ट |
| जून 2025 | 6.00 | -25 | कम सीपीआई |
| अगस्त 2025 | 5.75 | -25 | लिक्विडिटी |
| अक्टूबर 2025 | 5.50 | 0 | सतर्कता |
| दिसंबर 2025? | 5.25? | -25? | 0.25% इन्फ्लेशन |
ब्याज दरें कम होने से क्या फायदा?
अगर रेपो रेट 25 bps घटकर 5.25 प्रतिशत हुआ, तो बैंक लोन सस्ते होंगे। होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन पर ईएमआई कम होगी। डिपॉजिट रेट्स भी थोड़े गिर सकते हैं, लेकिन ग्रोथ तेज होगी। अर्थव्यवस्था में खपत बढ़ेगी, क्योंकि महंगाई कम है। जीडीपी ग्रोथ 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- होम बायर्स को फायदा: 20 लाख लोन पर 30 साल के लिए 500-600 रुपये मासिक बचत।
- बिजनेस लोन: छोटे उद्योग सस्ते कर्ज से विस्तार करेंगे।
- स्टॉक मार्केट: सेंसेक्स-निफ्टी ऊपर जाएंगे, क्योंकि कॉस्ट ऑफ कैपिटल कम।
- आम आदमी: सस्ते लोन से बाइक-कार खरीद आसान।
लेकिन रुपया कमजोर है, एशिया में सबसे खराब परफॉर्मर। आरबीआई वोलेटिलिटी कंट्रोल करेगा। ग्लोबल एनर्जी प्राइस पर नजर।
भारत की महंगाई का ट्रेंड
पिछले सालों से तुलना करें तो:
| महीना/वर्ष | सीपीआई (%) | खाद्य महंगाई (%) | आरबीआई एक्शन |
|---|---|---|---|
| सितंबर 2025 | 1.44 | -2.47 | रेट होल्ड |
| अक्टूबर 2025 | 0.25 | -5.18 (शहरी) | कट की उम्मीद |
| औसत FY26 H1 | 2.22 | – | फोरकास्ट 2.6% |
| लक्ष्य | 4.00 | – | – |
यह ट्रेंड दिखाता है कि फूड प्राइस कंट्रोल जरूरी। डब्ल्यूपीआई भी माइनस 1.21 प्रतिशत रहा। फूड इंडेक्स -5.04 प्रतिशत।
महंगाई कम होने से स्थानीय उत्पाद सस्ते होंगे। लेकिन मॉडर्न इकोनॉमिक्स कहता है कि सप्लाई चेन मजबूत हो। आईएमएफ अनुमान में भारत की महंगाई 2.8 प्रतिशत।
ट्रेड और आत्मनिर्भरता पर गोयल का जोर
गोयल ने कहा कि ट्रेड को वुडनाइज किया जा रहा है। भरोसेमंद पार्टनर्स चुनें। भारत एफटीए से फायदा लेगा। यूएस, ईयू से डील्स चल रही। उद्योग आत्मनिर्भर बने। यह कम ब्याज दरों से कैपिटल इन्वेस्टमेंट बढ़ाएगा।
उद्योगपतियों के लिए टिप्स:
- सस्ते लोन का फायदा उठाएं, एक्सपैंशन करें।
- एफटीए से एक्सपोर्ट बढ़ाएं।
- इन्फ्लेशन कम होने से कॉस्ट कंट्रोल आसान।
- रुपया वोलेटिलिटी पर हेजिंग करें।
आम लोगों पर असर
महंगाई कम से राशन बिल घटेगा। लेकिन लंबे समय में वेजिटेबल प्राइस पर नजर। लोन लेने वालों को राहत। सेविंग्स पर रिटर्न थोड़ा कम, लेकिन इन्वेस्टमेंट ऑपर्चुनिटी बढ़ेंगी। स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाएं।
बैंक जैसे एसबीआई, HDFC पहले से लोन रेट अडजस्ट कर रहे। दिसंबर फैसले के बाद और बदलाव।
विशेषज्ञों की राय
रॉयटर्स पोल: 25 bps कट। डойचे बैंक: फोरकास्ट डाउन, कट जरूरी। मॉर्गन स्टैनली: टर्मिनल 5.25%। क्रिसिल: ईंड ऑफ ईयर कट। लेकिन फूड वेवरिंग से सतर्क।
आईसीआरए की अधिकारी आदि नायर ने कहा कि इन्फ्लेशन अंडरशूट करेगा।
आगे क्या होगा?
दिसंबर 5 को फैसला। अगर कट नहीं, तो फरवरी में। ग्रोथ 6.8% रहेगी। ग्लोबल फैक्टर्स जैसे ऑयल प्राइस पर निर्भर। सरकार कैपेक्स पर फोकस।
FAQs
- प्रश्न: अक्टूबर 2025 में भारत की महंगाई दर कितनी थी?
उत्तर: सीपीआई 0.25 प्रतिशत, जो रिकॉर्ड निचला स्तर है। खाद्य महंगाई भी नेगेटिव रही। - प्रश्न: क्या दिसंबर में आरबीआई ब्याज दरें कम करेगा?
उत्तर: ज्यादातर विशेषज्ञ 25 bps कट की उम्मीद कर रहे हैं, रेपो 5.25% हो सकता है। गोयल ने संकेत दिया। - प्रश्न: पियूष गोयल ने क्या कहा आरबीआई पर?
उत्तर: सब आरबीआई के इंतजार में हैं कि कम महंगाई पर रिफ्लेक्ट करे। 10 सालों की सबसे कम महंगाई। - प्रश्न: कम ब्याज दरों से आम आदमी को क्या फायदा?
उत्तर: लोन ईएमआई सस्ती होंगी, होम-कार लोन आसान। खपत बढ़ेगी। - प्रश्न: महंगाई क्यों गिरी?
उत्तर: फूड प्राइस कम, जीएसटी कट, बेस इफेक्ट। ग्रामीण-शहरी दोनों में कमी।
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