दिल्ली के प्रेम नगर में 23 वर्षीय इग्नू लाइब्रेरी साइंस की छात्रा अंजली सिंह अपने कमरे में मृत मिली। कमरा अंदर से बंद था, परीक्षा में फेल होने के बाद वह डिप्रेशन में थी। पुलिस आत्महत्या की आशंका पर जांच कर रही है।
दिल्ली के प्रेम नगर में 23 साल की अंजली की संदिग्ध मौत: इग्नू की फेल हुई परीक्षा, कमरे में बंद मिली लाश
प्रेम नगर की घटना: क्या हुआ था उस दिन?
यह घटना दिल्ली के प्रेम नगर इलाके में हुई, जहां 23 वर्षीय अंजली सिंह अपने परिवार के साथ रहती थी। सोमवार के दिन वह अपने कमरे में अकेली थी, जबकि उसके पिता विनोद कुमार सिंह (51) और मां काम पर गए हुए थे; भाई और दूसरी बहन भी घर पर मौजूद नहीं थे।
शाम के समय अंजली की बहन और पड़ोसी को कमरे से कोई आवाज न आने पर चिंता हुई। परिवार के अनुसार, अंजली के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था और काफी देर तक खटखटाने पर भी उसने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद बहन और पड़ोसी ने लोहे की रॉड/क्राउबार की मदद से दरवाजा तोड़ा और अंदर घुसे, जहां अंजली को कमरे के भीतर बिस्तर पर बेहोश हालत में पाया।
पुलिस की शुरुआती जांच में क्या सामने आया?
पुलिस के मुताबिक, मौके पर पहुंचने के बाद प्राथमिक जांच में यह संकेत मिला कि अंजली ने संभवतः पंखे से कपड़े के सहारे फांसी लगाने की कोशिश की थी। कमरे में पंखे से बंधे कपड़े के निशान और अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य मिले। यह भी आशंका जताई गई कि फांसी के लिए इस्तेमाल किया गया कपड़ा या फंदा बाद में ढीला पड़ गया या टूट गया, जिस कारण अंजली का शरीर नीचे बिस्तर पर आ गिरा और वहीं मिली।
शरीर पर कोई बाहरी चोट के निशान शुरुआती निरीक्षण में नहीं पाए गए और न ही कमरे से कोई सुसाइड नोट बरामद हुआ। पुलिस ने कहा कि परिवार ने किसी तरह की साजिश या बाहरी हमले (foul play) का आरोप नहीं लगाया है। कानूनी प्रक्रिया के तहत शव को पोस्ट-मॉर्टम के लिए भेजा गया है और इनक्वेस्ट (मृत्यु की न्यायिक जांच) की कार्यवाही शुरू कर दी गई है, ताकि मौत के असली कारण की पुष्टि हो सके।
कौन थीं अंजली सिंह?
परिजनों ने बताया कि अंजली सिंह इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) से लाइब्रेरी साइंस कोर्स की अंतिम वर्ष की छात्रा थी। लगभग एक सप्ताह पहले उसके फाइनल ईयर एग्जाम का रिज़ल्ट आया था, जिसमें वह फेल हो गई थी। परिवार के अनुसार, रिज़ल्ट आने के बाद से वह काफी निराश और उदास रहती थी और उसके व्यवहार में बदलाव दिख रहा था, हालांकि उन्होंने किसी से दुश्मनी या उत्पीड़न का जिक्र नहीं किया।
पुलिस के अनुसार, फिलहाल जो इनपुट हैं, वह यह संकेत देते हैं कि परीक्षा में असफल होने के बाद अंजली मानसिक दबाव में थी और उसी पृष्ठभूमि में यह घटना हुई हो सकती है; लेकिन जब तक पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट और अन्य जांच पूरी नहीं हो जाती, पुलिस आत्महत्या के अलावा अन्य सभी एंगल जैसे आकस्मिक मौत या किसी तरह की अनदेखी को भी खुला रखे हुए है।
परीक्षा में असफलता और छात्र आत्महत्या का बड़ा संदर्भ
अंजली की मौत ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि भारत में परीक्षा परिणाम और अकादमिक प्रदर्शन को लेकर समाज और परिवार की अपेक्षाएं कितनी भारी पड़ सकती हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) और रिसर्च स्टडीज़ के अनुसार, 2022 में देश में कुल 1,70,924 आत्महत्या के मामलों में लगभग 7.6% छात्र थे और इनमें से 2,248 मौतें सीधे तौर पर ‘एग्जाम फेलियर’ से जुड़ी दर्ज की गईं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे मामलों में सिर्फ फेल होना ही कारण नहीं होता, बल्कि कई फैक्टर साथ मिलकर असर डालते हैं – कम आत्मविश्वास, अत्यधिक अपेक्षा, अकेलापन, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं (जैसे डिप्रेशन और एंग्जायटी), आर्थिक दबाव और कभी-कभी परिवार या संस्थान का सपोर्ट न मिलना। ये सब मिलकर किसी भी संवेदनशील युवा को बेहद नाजुक मानसिक स्थिति में पहुंचा सकते हैं।
परिवार और समाज के लिए क्या सीख?
अंजली का मामला यह दिखाता है कि रिज़ल्ट या परीक्षा में असफलता को जीवन की ‘अंतिम रेखा’ मान लेना कितना खतरनाक हो सकता है। एक कोर्स में फेल होना सिर्फ अकादमिक असफलता है, जीवन की असफलता नहीं, लेकिन अक्सर छात्र यह फर्क महसूस नहीं कर पाते, खासकर जब उन्हें भावनात्मक सहारा और खुलकर बात करने का मौका न मिले।
परिवारों के लिए जरूरी है कि वे रिज़ल्ट के समय बच्चों को भावनात्मक सहारा दें, फेल होने पर डांटने, शर्मिंदा करने या दूसरों से तुलना करने के बजाय उन्हें यह महसूस कराएं कि उनसे ज्यादा कीमती उनकी जान और सेहत है। शिक्षण संस्थान और ओपन यूनिवर्सिटी जैसे IGNOU के स्टडी सेंटर भी हेल्पलाइन, काउंसलिंग और सपोर्ट ग्रुप जैसी सेवाओं को ज्यादा दृश्यमान और सुलभ बना सकते हैं, ताकि छात्र समय रहते मदद ले सकें।
अगर आप या आपका कोई जानकार संघर्ष कर रहा हो…
- यदि किसी को बार-बार मरने की बात, निराशा, बेकार होने का अहसास, नींद/खाने में भारी बदलाव या अचानक बहुत शांत/अलग-थलग रहने जैसे संकेत दिखें तो इसे हल्के में न लें।
- तुरंत परिवार, भरोसेमंद दोस्त, काउंसलर या डॉक्टर से बात करें; भारत के कई शहरों में 24×7 हेल्पलाइन और NGOs (जैसे स्नेहा, iCALL आदि) फोन पर काउंसलिंग देते हैं।
- मीडिया गाइडलाइन के अनुसार, ऐसी खबरें पढ़ते/छापते समय भी यह संदेश देना जरूरी है कि मदद उपलब्ध है और आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है।
5 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
- सवाल: अंजली सिंह कहाँ रहती थीं और उनकी उम्र कितनी थी?
जवाब: अंजली सिंह 23 साल की थीं और दिल्ली के प्रेम नगर इलाके में अपने परिवार के साथ रहती थीं। - सवाल: घटना के समय घर पर कौन-कौन मौजूद था?
जवाब: पुलिस के अनुसार, घटना के समय उसके माता-पिता काम पर गए थे और भाई तथा दूसरी बहन भी घर पर नहीं थे; कमरे में अकेली अंजली थी। - सवाल: कमरे का दरवाजा कैसे खुला और शरीर कहाँ मिला?
जवाब: परिवार का कहना है कि अंजली के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। बहन और पड़ोसी ने क्राउबार से दरवाजा तोड़ा, अंदर जाकर देखा तो अंजली बिस्तर पर पड़ी थी; शुरुआती जांच में पंखे से कपड़े के सहारे फांसी की कोशिश की आशंका जताई गई। - सवाल: क्या कोई सुसाइड नोट या चोट के निशान मिले?
जवाब: पुलिस ने कहा कि अब तक न तो कोई सुसाइड नोट मिला है और न ही शरीर पर बाहरी चोट के स्पष्ट निशान दिखे हैं; पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट से ही कारण पूरी तरह साफ होगा। - सवाल: अंजली की पढ़ाई और हाल की स्थिति क्या थी?
जवाब: परिवार के अनुसार, अंजली IGNOU से लाइब्रेरी साइंस कोर्स की फाइनल ईयर स्टूडेंट थी। करीब एक हफ्ते पहले उसका रिज़ल्ट आया था जिसमें वह फेल हो गई थी, जिसके बाद से वह डिप्रेशन और उदासी में रहती थी, हालांकि परिवार ने किसी तरह की साजिश या उत्पीड़न का आरोप नहीं लगाया है।
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