क्या आपको लगातार थकान, चिड़चिड़ापन या Mood स्विंग्स होते हैं? एक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट बता रहे हैं कि कैसे आयोडीन की कमी आपके Thyroid और Mood दोनों को बिगाड़ सकती है। जानें लक्षण, कारण और Iodine बढ़ाने के 5 आसान उपाय।
Iodine,Thyroid और Mood का गहरा संबंध
डिप्रेशन और चिड़चिड़ेपन की अनदेखी वजह
क्या आप हमेशा थका-थका महसूस करते हैं? क्या आपका मूड हर समय बदलता रहता है या आप खुद को छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होते हुए पाते हैं? अक्सर हम इन समस्याओं को सिर्फ तनाव, नींद की कमी या व्यस्त जीवनशैली का नतीजा मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन एक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट (हार्मोन विशेषज्ञ) के अनुसार, इन सबके पीछे आपके शरीर में एक छोटे से तत्व ‘आयोडीन’ की कमी हो सकती है, जो सीधे तौर पर आपके थायराइड और आपके मूड को प्रभावित करती है।
हम सभी जानते हैं कि आयोडीन थायराइड के लिए जरूरी है, लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि थायराइड हार्मोन हमारे दिमाग के कामकाज, भावनाओं के नियंत्रण और मानसिक ऊर्जा के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। आयोडीन की कमी सिर्फ गले की गांठ या वजन बढ़ने का कारण नहीं बनती, बल्कि यह आपको मानसिक रूप से भी बीमार कर सकती है।
इस लेख में, हम एक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट की मदद से आयोडीन, थायराइड और मूड के बीच के उस गहरे संबंध को समझेंगे, जिसे ज्यादातर लोग अनदेखा कर देते हैं। हम जानेंगे कि कैसे एक छोटा सा पोषक तत्व आपकी सोच, आपकी भावनाओं और आपके पूरे व्यक्तित्व को प्रभावित कर सकता है।
Iodine,थायराइड और दिमाग: अटूट त्रिकोण
इन तीनों के बीच का रिश्ता समझने के लिए हमें बुनियादी बातों से शुरुआत करनी होगी।
Iodine की भूमिका:
आयोडीन एक trace mineral है, यानी बहुत थोड़ी मात्रा में जरूरी है। इसका सबसे महत्वपूर्ण काम थायराइड हार्मोन – Thyroxine (T4) और Triiodothyronine (T3) के निर्माण में शामिल होना है। बिना आयोडीन के, ये हार्मोन बन ही नहीं सकते।
थायराइड हार्मोन की भूमिका:
थायराइड हार्मोन को हमारे शरीर का “मास्टर मेटाबॉलिक कंट्रोलर” कहा जाता है। ये हार्मोन शरीर की हर कोशिका में मौजूद रिसेप्टर्स से जुड़कर यह तय करते हैं कि शरीर की ऊर्जा का इस्तेमाल कैसे होगा। ये हमारे मेटाबॉलिज्म, हार्ट रेट, बॉडी टेम्परेचर और पाचन को regulate करते हैं।
दिमाग से कनेक्शन:
यहीं आता है दिमाग का जिक्र। थायराइड हार्मोन दिमाग के विकास (बचपन में) और उसके सही ढंग से काम करने (वयस्कों में) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये हार्मोन:
- न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन को नियंत्रित करते हैं। ये वो केमिकल्स हैं (जैसे सेरोटोनिन, डोपामाइन) जो हमारे मूड, नींद और motivation को कंट्रोल करते हैं।
- दिमाग की कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) के बीच संचार को तेज और कुशल बनाते हैं।
- दिमाग में रक्त के प्रवाह और ऑक्सीजन के उपयोग को बढ़ाते हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो, आयोडीन -> थायराइड हार्मोन -> दिमाग का स्वास्थ्य -> आपका मूड। इस चेन में कहीं भी रुकावट आपके मानसिक संतुलन को डगमगा सकती है।
Iodine की कमी कैसे बनती है डिप्रेशन और मूड स्विंग्स की वजह?
जब शरीर में आयोडीन की कमी होती है, तो थायराइड ग्लैंड पर्याप्त T3 और T4 हार्मोन नहीं बना पाती। इस स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) कहते हैं। अब, जब दिमाग को पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं मिलते, तो उसके काम करने की गति धीमी पड़ जाती है। इसे ही “स्लोड डाउन ब्रेन फंक्शन” कहा जाता है, जिसके निम्नलिखित मानसिक लक्षण हैं:
- डिप्रेशन और उदासी: थायराइड हार्मोन ‘खुशी के हार्मोन’ सेरोटोनिन के उत्पादन में मदद करते हैं। इनकी कमी से सेरोटोनिन का स्तर गिरता है, जिससे गहरी उदासी, निराशा और डिप्रेशन जैसे लक्षण पैदा होते हैं। हैरानी की बात यह है कि हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों में डिप्रेशन का लक्षण सबसे आम है।
- मस्तिष्क कोहरा (Brain Fog): आपको चीजें याद रखने में दिक्कत होती है, ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, और दिमाग हमेशा भारी-भारी सा लगता है। ऐसा लगता है जैसे दिमाग में कोहरा सा छाया हुआ है।
- चिड़चिड़ापन और एंग्जाइटी: जब दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता, तो छोटी-छोटी बातें परेशान करने लगती हैं। मूड स्विंग्स होते हैं और बिना वजह की घबराहट (Anxiety) महसूस हो सकती है।
- मानसिक थकान और सुस्ती: शरीर की तरह दिमाग भी हमेशा थका-थका सा महसूस करता है। कुछ सोचने-समझने में भी बहुत ऊर्जा लगती हुई महसूस होती है।
- रुचि का खत्म होना: पहले जिन कामों में मजा आता था, उनमें अब कोई दिलचस्पी नहीं रह जाती। इसका कारण भी न्यूरोट्रांसमीटर्स का असंतुलन है।
“मेरा थायराइड तो नॉर्मल है!” – एक आम गलतफहमी
बहुत से लोगों का यह कहना होता है कि “मेरी थायराइड रिपोर्ट नॉर्मल आई है, फिर भी मैं ये सब लक्षण महसूस कर रहा हूं।” एंडोक्राइनोलॉजिस्ट के अनुसार, इसकी दो वजहें हो सकती हैं:
- सबक्लिनिकल हाइपोथायरायडिज्म: इस स्थिति में TSH (Thyroid Stimulating Hormone) का स्तर तो बढ़ा हुआ होता है, लेकिन T3 और T4 हार्मोन अभी भी “नॉर्मल रेंज” में होते हैं। शरीर पहले से ही थायराइड ग्लैंड को ज्यादा हार्मोन बनाने के लिए दबाव डाल रहा होता है, और इसका असर मूड और एनर्जी लेवल पर शुरू हो चुका होता है, भले ही रिपोर्ट नॉर्मल दिखे।
- आयोडीन की हल्की कमी: हो सकता है कि आयोडीन की कमी इतनी गंभीर न हो कि थायराइड हार्मोन का स्तर गिर जाए, लेकिन इतनी जरूर हो कि दिमाग के ऑप्टिमम फंक्शन में रुकावट पैदा कर दे।
आयोडीन की कमी के शारीरिक लक्षण: मूड के साथ-साथ दिखें ये संकेत
- गर्दन के सामने सूजन (Goiter)
- अकारण वजन बढ़ना
- हमेशा ठंड लगना
- बालों का झड़ना और त्वचा का रूखा होना
- कब्ज की शिकायत
- मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द
- अनियमित पीरियड्स
आयोडीन की कमी को कैसे दूर करें? अपनाएं ये 5 आसान उपाय
- आयोडाइज्ड नमक का इस्तेमाल: यह सबसे आसान और सस्ता तरीका है। लेकिन ध्यान रखें, जरूरत से ज्यादा नमक न खाएं। एक चुटकी नमक भी आपकी दैनिक जरूरत पूरी करने के लिए काफी है।
- समुद्री भोजन को डाइट में शामिल करें: मछली (जैसे टूना, कोड), श्रिम्प, और समुद्री शैवाल (Seaweed) आयोडीन के बेहतरीन प्राकृतिक स्रोत हैं।
- डेयरी उत्पाद और अंडे खाएं: दूध, दही और अंडे में भी अच्छी मात्रा में आयोडीन पाया जाता है।
- कुछ सब्जियों पर नजर रखें: पालक, ब्रोकोली और लहसुन में आयोडीन होता है। हालांकि, इनमें मात्रा मिट्टी में आयोडीन की उपलब्धता पर निर्भर करती है।
- सप्लीमेंट्स लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें: बिना जांच के आयोडीन सप्लीमेंट लेना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि जरूरत से ज्यादा आयोडीन भी थायराइड को नुकसान पहुंचा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी है आयोडीन
अगली बार जब आप खुद को लगातार उदास, चिड़चिड़ा या थका हुआ महसूस करें, तो सिर्फ साइकोलॉजिकल कारणों पर ही ध्यान न दें। हो सकता है कि आपके शरीर में आयोडीन की कमी हो, जो आपके थायराइड हार्मोन के जरिए आपके मूड को प्रभावित कर रही है। एक साधारण सा ब्लड टेस्ट (Thyroid Profile – TSH, T3, T4) और डॉक्टर की सलाह से आप इस छुपे हुए दुश्मन को पहचान सकते हैं। याद रखें, एक स्वस्थ दिमाग एक स्वस्थ शरीर में ही रहता है, और आयोडीन उस स्वस्थ शरीर की एक बहुत जरूरी कड़ी है।
FAQs
1. क्या ज्यादा Iodine भी नुकसानदायक है?
हां, बिल्कुल। जरूरत से ज्यादा आयोडीन “वुल्फ-चैकॉफ इफेक्ट” पैदा कर सकता है, जिससे थायराइड हार्मोन का production रुक सकता है या थायराइड ऑटोइम्यून बीमारियां (जैसे Hashimoto’s) बढ़ सकती हैं। इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह के सप्लीमेंट न लें।
2. क्या शाकाहारी लोग पर्याप्त आयोडीन कैसे ले सकते हैं?
शाकाहारियों के लिए आयोडाइज्ड नमक सबसे भरोसेमंद स्रोत है। इसके अलावा, दूध और दही (क्योंकि पशुओं के चारे में आयोडीन मिलाया जाता है), समुद्री शैवाल, और आयोडीन युक्त मिल्क पाउडर का सेवन किया जा सकता है।
3. क्या बच्चों में आयोडीन की कमी से मानसिक समस्या हो सकती है?
बिल्कुल। बच्चों में आयोडीन की कमी सबसे ज्यादा खतरनाक है। इससे दिमाग का विकास रुक सकता है, IQ कम हो सकता है, और सीखने की क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह और भी जरूरी है।
4. क्या मूड ठीक करने की दवा लेने से पहले थायराइड की जांच करानी चाहिए?
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट्स की यही सलाह है। किसी भी नए मूड डिसऑर्डर (जैसे डिप्रेशन, एंग्जाइटी) का diagnosis करने से पहले थायराइड फंक्शन टेस्ट (TSH, T3, T4) जरूर कराना चाहिए, क्योंकि थायराइड का इलाज करने से ही मूड के लक्षण अक्सर ठीक हो जाते हैं।
5. आयोडीन की दैनिक जरूरत कितनी है?
एक वयस्क व्यक्ति के लिए प्रतिदिन लगभग 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इससे थोड़ा ज्यादा (220-290 माइक्रोग्राम) चाहिए।
6. क्या टेस्ट से आयोडीन की कमी का पता चल सकता है?
हां, यूरिन टेस्ट के जरिए शरीर में आयोडीन के स्तर का पता लगाया जा सकता है, क्योंकि ज्यादातर आयोडीन यूरिन के जरिए ही शरीर से बाहर निकलता है।
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