राष्ट्रपति द्रौपदी Murmu ने महाराष्ट्र जालना में 2012 की 2 साल बच्ची के रेप-हत्या के दोषी रवि घुमारे की दया याचिका खारिज की। SC ने कहा ‘पशुवृत्ति’, तीसरी ऐसी याचिका नामंजूर।
2 साल की मासूम का रेप-मर्डर: राष्ट्रपति ने दया याचिका नामंजूर की—’पशुता पूर्ण’ अपराध पर सजा तय
राष्ट्रपति द्रौपदी Murmu ने खारिज की 2 साल की मासूम के रेप-हत्या के दोषी की दया याचिका: जालना POCSO केस में फांसी तय
राष्ट्रपति द्रौपदी Murmu ने महाराष्ट्र के जालना में 2012 की एक भयानक घटना के दोषी रवि अशोक घुमारे की दया याचिका नामंजूर कर दी, जो पदभार ग्रहण करने के बाद उनकी तीसरी ऐसी कार्रवाई है। सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2019 को घुमारे को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसमें जस्टिस सूर्य कांत ने लिखा कि आरोपी ने अपनी ‘पशुवृत्ति’ पर काबू नहीं रखा। राष्ट्रपति भवन के अनुसार 6 नवंबर 2025 को याचिका खारिज हुई। इस लेख में सरल हिंदी में समझेंगे अपराध की पूरी कहानी, अदालती फैसले, और न्याय का सफर।
अपराध की भयावहता—चॉकलेट से ललचाकर 4-5 घंटे तक यौन शोषण, हत्या
6 मार्च 2012 को महाराष्ट्र के जालना शहर के इंदिरानगर में रवि घुमारे ने 2 साल की बच्ची को चॉकलेट का लालच देकर अगवा किया। अभियोजन के अनुसार उसने 4-5 घंटे तक अस्वाभाविक यौन शोषण किया जब तक बच्ची की मौत नहीं हो गई। SC ने कहा, ‘आरोपी ने अपनी कामुक भूख मिटाने के लिए प्राकृतिक, सामाजिक और कानूनी सीमाएं तोड़ीं।’ जस्टिस सूर्य कांत ने लिखा कि आरोपी ने ‘फूल बनने से पहले ही जीवन समाप्त कर दिया।’
सुप्रीम कोर्ट का फैसला—’गंदा विकृत मानसिकता का राक्षस’, 2:1 बहुमत
3 जजों की बेंच (जस्टिस सूर्य कांत, Rohinton फली नरीमन, एक असहमत) ने 2:1 से फांसी बरकरार रखी। बहुमत ने कहा, ‘2 साल की मासूम के साथ अप्राकृतिक कृत्य गंदी विकृत मानसिकता दिखाता है। समाज के मूल्यों का अपमान, विश्वासघात।’ ‘पिता जैसा स्नेह देने की बजाय बच्ची को वासना का शिकार बनाया।’ ट्रायल कोर्ट ने 16 सितंबर 2015 को फांसी दी, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जनवरी 2016 में बरकरार रखी।
राष्ट्रपति की दया याचिका प्रक्रिया—तीसरी नामंजूर, कब होगी फांसी?
25 जुलाई 2022 से पद पर Murmu की ये तीसरी दया याचिका खारिज। संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति फांसी रद्द/कम कर सकते, लेकिन इस केस में नामंजूर। अब जेल मैनुअल के अनुसार फांसी की तारीख तय होगी। POCSO एक्ट के तहत न्यूनतम सजा कठोर, बच्ची बलात्कार पर फांसी संभव।
जालना POCSO केस टाइमलाइन (अदालत फैसले)
| तारीख | घटना/फैसला | अदालत |
|---|---|---|
| 6 मार्च 2012 | अपराध—अगवा, रेप, हत्या | इंदिरानगर जालना |
| 16 सितंबर 2015 | फांसी सजा | ट्रायल कोर्ट |
| जनवरी 2016 | फांसी बरकरार | बॉम्बे हाईकोर्ट |
| 3 अक्टूबर 2019 | SC 2:1 से फांसी पुष्टि | सुप्रीम कोर्ट |
| 6 नवंबर 2025 | दया याचिका खारिज | राष्ट्रपति |
POCSO कानून और रेप केस में फांसी—कठोर सजा का संदेश
POCSO एक्ट 2012 के तहत 12 साल से कम बच्चे के बलात्कार पर फांसी का प्रावधान। SC ने इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ केस माना। राष्ट्रपति का फैसला अपराधियों के लिए चेतावनी। समाज में बच्ची सुरक्षा के लिए कठोर कदम जरूरी।
जालना POCSO राष्ट्रपति दया याचिका पर 5 FAQs
FAQ 1: दया याचिका कब खारिज हुई?
उत्तर: 6 नवंबर 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी Murmu ने।
FAQ 2: अपराध क्या था?
उत्तर: 2 साल बच्ची का अगवा, 4-5 घंटे रेप, हत्या (2012 जालना)।
FAQ 3: SC ने क्या कहा?
उत्तर: ‘पशुवृत्ति’, ‘विकृत मानसिकता’, 2:1 फांसी बरकरार।
FAQ 4: अदालती सफर?
उत्तर: 2015 ट्रायल कोर्ट → 2016 बॉम्बे HC → 2019 SC।
FAQ 5: अब आगे क्या?
उत्तर: फांसी की तारीख तय, राष्ट्रपति का तीसरा खारिज।
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